Poonch Terror Attack: पुंछ हमले के लिए आतंकियों ने लिया था स्टील बुलेट, स्नाइपर, ग्रेनेड और स्थानीय गाइडों का सहारा
By सुरेश एस डुग्गर | Updated: April 23, 2023 17:51 IST2023-04-23T17:46:06+5:302023-04-23T17:51:02+5:30
एक सेनाधिकारी के मुताबिक, हमले में 7 से 10 आतंकी शामिल थे और मिलने वाले सबूत यह भी कहते हैं कि कुछ गाइड भी साथ में हो सकते हैं जिन्होंने हमले में आतंकियों की मदद करने के साथ ही जवानों के हथियार और गोला बारूद को लूटने में सहायता की होगी।

Poonch Terror Attack: पुंछ हमले के लिए आतंकियों ने लिया था स्टील बुलेट, स्नाइपर, ग्रेनेड और स्थानीय गाइडों का सहारा
जम्मू: डेढ़ साल में पुंछ-राजौरी के जुड़वा जिलों में जिन आतंकियों ने 19 जवानों को शहीद किया है उन्होंने चार दिन पहले राष्ट्रीय रायफल्स के उन पांच जवानों को मारने के लिए, जो रमजान के महीने में मुस्लिम भाईयों के लिए सामान लेकर जा रहे थे, घातक स्टील बुलेट, स्नाइपर राइफलों, ग्रेनेड लांचरों तथा स्थानीय गाइडों का सहारा लिया था। हालांकि अभी तक इसके प्रति कोई सबूत नहीं मिला है कि आतंकियों ने हमले में स्टिकी बम को इस्तेमाल किया था। इतना जरूर है कि मामले की नजाकत और गंभीरता को देखते हुए अब हमले में शामिल 7 से 10 आतंकियों की तलाश में सेना के कमांडों का साथ एनएसजी के जवान व एनआईए के अधिकारी भी दे रहे हैं।
एक सेनाधिकारी के मुताबिक, हमले में 7 से 10 आतंकी शामिल थे और मिलने वाले सबूत यह भी कहते हैं कि कुछ गाइड भी साथ में हो सकते हैं जिन्होंने हमले में आतंकियों की मदद करने के साथ ही जवानों के हथियार और गोला बारूद को लूटने में सहायता की होगी। फिलहाल कोई सफलता हाथ नहीं लगी थी सिवाय स्टील बुलेट के। जबकि सेनाधिकारी हमले में स्टिकी बम के इस्तेमाल से इंकार करते हुए कहते थे कि अगर डीजल टैंक पर स्टिकी बम लगाया गया होता तो आतंकियों को स्टील बुलेट और ग्रेनेड लांचरों के साथ ही स्नाइपर के इस्तेमाल की जरूरत नहीं होती।
हालांकि आज 20 किमी के उस सड़क के भूभाग को नागरिकों की आवाजाही के लिए खोल दिया गया है जहां यह हमला हुआ था पर लोगों को जबरदस्त तलाशी के बाद ही आसपास के इलाकों में बाहर निकलने दिया जा रहा है। करीब 14 स्थानीय नागरिकों को भी हिरासत में लिया गया है जिनके प्रति शक है कि उन्होंने इन आतंकियों को पिछले डेढ़ साल से शरण मुहैया करवा रखी थी।
एनएसजी, सेना, एनआईए और पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी फिलहाल पुंछ में ही डेरा डाले हुए हैं क्योंकि इनपुट कहते थे कि पाक परस्त पीएएफएफ के आतंकी फिर से कुछ बड़ा कर सकते हैं। रक्षा सूत्र कहते थे कि कश्मीर में जी-20 की बैठकों को करवाए जाने की घोषणा के बाद पाकिस्तान तिलमिला उठा है और वह बजाय कश्मीर के प्रदेश के अन्य हिस्सों में आतंकी हमलों को अंजाम दिलवा कर इंटरनेशनल लेवल पर यह साबित करना चाहता है कि जम्मू कश्मीर में कश्मीरियों द्वारा छेड़ा गया तथाकथित आजादी का आंदोलन अभी जिन्दा है।
पिछले चार दिनों से सैंकड़ों जवान, जिनमें सेना, पुलिस, केरिपुब, एनएसजी और बीएसएफ भी शामिल है, खोजी कुत्ते, लड़ाकू हेलिकाप्टर उन आतंकियों की थाह अभी तक नहीं पा सके थे जो एरिया में एक्टिव हैं और जिन्होंने इतने बड़े हमले को अंजाम देकर प्रशासन के उन सभी दावों की धज्जियां उड़ा दी थीं जिसमें चार सालों से कहा जा रहा था कि कश्मीर में आतंकवाद पूरी तरह से खत्म हो चुका है और शांति लौट आई है।