भारतीय सेना को मिले अत्याधुनिक बख्तरबंद वाहन, न गोली का असर होगा न ही बारूदी सुरंग का
By शिवेंद्र राय | Published: July 26, 2022 06:09 PM2022-07-26T18:09:44+5:302022-07-26T18:13:33+5:30
टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड (TASL) ने भारतीय सेना को देश में ही बने उन्नत क्विक रिएक्शन फाइटिंग व्हीकल सौंप दिए हैं। दुर्गम इलाकों में भी आसानी से चलने वाले इस वाहन के शामिल होने से भविष्य के संघर्षों में भारतीय सेना की परिचालन क्षमता में वृद्धि होगी।
नई दिल्ली: भारतीय सेना की ताकत में जल्द ही बड़ा इजाफा होने वाला है। टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड (TASL) ने भारतीय सेना को देश में ही बने उन्नत क्विक रिएक्शन फाइटिंग व्हीकल की डिलिवरी कर दी है। ये जानकारी देते हुए टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड ने ट्विटर पर लिखा, ‘TASL ने सफलतापूर्वक भारतीय सेना को QRFV डिलिवर किया।’
TASL successfully delivers the QRFV (Quick Reaction Fighting Vehicle- Medium) to the Indian Army pic.twitter.com/vfEvRZYwAH
— TATA Advanced Systems (TATA Aerospace & Defence) (@tataadvanced) July 25, 2022
क्या है खासियत
भारतीय सेना को लंबे समय से ऐसी बख्तरबंद गाड़ियों की जरूरत थी जो सुरक्षित होने के साथ-साथ तेज भी हों। टाटा की नई स्वदेशी बख्तरबंद गाड़ियां इन दोनों जरूरतों को पूरा करेंगी। खास डिजाइन की वजह से इन गाड़ियों की स्पीड तेज है साथ ही यह हल्की और मजबूत भी हैं। इन गाड़ियों पर असॉल्ट राइफलों की गोलियों और बमों का असर नहीं होता। इतना ही नहीं अत्याधुनिक तकनीक से बनी ये गाड़ियां माइन प्रोटेक्टेड आर्मर्ड व्हीकल हैं। इसका मतलब ये है कि अगर इनके नीचे बारूदी सुरंग भी फट जाए तो अंदर बैठे सैनिकों को कोई नुकसान नहीं होगा। इस तरह की पहली गाड़ी को पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल एमएम नरवणे ने अप्रैल में सेना में शामिल किया था।
सेना में स्वदेशी उपकरणों के इस्तेमाल पर जोर
सरकार की पूरी कोशिश है कि सेना में ज्यादा से ज्यादा देश में ही बने हथियारों और उपकरणों का इस्तेमाल हो। सरकार इसके लिए निजी कंपनियों को प्रोत्साहन भी दे रही है। टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड की बनाई क्विक रिएक्शन फाइटिंग व्हीकल इसी अभियान की देन है। प्रधनमंत्री मोदी के आत्मनिर्भर भारत अभियान का एक बड़ा मकसद भारत की तीनो सेनाओं को देश में बने उन्नत हथियारों से लैस करना भी है। स्वदेशी रक्षा उपकरणों को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने बाहर से खरीद को भी कम किया है। पिछले चार वर्षों में 2018-19 से 2021-22 तक, स्वदेशी रक्षा उपकरणों के उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए केंद्र द्वारा की गई पहलों के परिणामस्वरूप विदेशों से रक्षा क्षेत्र के लिए खरीद पर होने वाले खर्च को कुल खर्च के 46 प्रतिशत से घटाकर 36 प्रतिशत कर दिया गया है।