सेना के लिए टैंक, नेवी के लिए युद्धपोत..., 1 लाख करोड़ की परियोजनाओं को मिल सकती है मंजूरी, डीएसी की बैठक आज
By शिवेन्द्र कुमार राय | Updated: September 3, 2024 12:54 IST2024-09-03T12:52:31+5:302024-09-03T12:54:13+5:30
केंद्र सरकार सेना, नौसेना और वायुसेना की ताकत बढ़ाने के लिए 1.3 लाख करोड़ रुपये की कुल लागत वाली कई प्रमुख रक्षा परियोजनाओं को मंजूरी देने के करीब है। जिन प्रमुख परियोजनाओं को मंजूरी मिलने की उम्मीद है उनमें से एक भारतीय नौसेना की परियोजना 17 ब्रावो है।

सबसे ज्यादा खर्च नौसेना को मजबूत करने पर किया जाएगा
नई दिल्ली: केंद्र सरकार सेना, नौसेना और वायुसेना की ताकत बढ़ाने के लिए 1.3 लाख करोड़ रुपये की कुल लागत वाली कई प्रमुख रक्षा परियोजनाओं को मंजूरी देने के करीब है। मंगलवार को रक्षामंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) की बैठक होने वाली है। माना जा रहा है कि सबसे ज्यादा खर्च नौसेना को मजबूत करने पर किया जाएगा।
इकॉनमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) को निजी क्षेत्र के शिपयार्ड सहित 'मेक इन इंडिया' पहल के तहत भारतीय शिपयार्डों को लगभग 70,000 करोड़ रुपये की निविदा जारी करने की मंजूरी मिलने की उम्मीद है।
भारतीय नौसेना का प्रोजेक्ट 17 ब्रावो
जिन प्रमुख परियोजनाओं को मंजूरी मिलने की उम्मीद है उनमें से एक भारतीय नौसेना की परियोजना 17 ब्रावो है। इसके तहत सात उन्नत स्टील्थ फ्रिगेट का निर्माण किया जाना है। लगभग 70,000 करोड़ रुपये मूल्य की इस पहल का लक्ष्य भारत के अब तक के सबसे आधुनिक युद्धपोतों का निर्माण करना है। हिंद महासागर में चीन से मिलने वाली चुनौती और पाकिस्तान-चीन की बढ़ती दोस्ती के कारण नौसेना की क्षमताओं को बढ़ाना आवश्यक हो गया है।
मझगांव डॉकयार्ड्स लिमिटेड (एमडीएल) और गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (जीआरएसई) इस परियोजना के प्रमुख दावेदार हैं। एमडीएल वर्तमान में प्रोजेक्ट 17ए के तहत चार फ्रिगेट का निर्माण कर रहा है, जबकि जीआरएसई तीन का निर्माण कर रहा है।
इंडिया टुडे की रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसी संभावना है कि मेगा प्रोजेक्ट को दो शिपयार्डों के बीच विभाजित किया जा सकता है, जिसमें सबसे कम बोली लगाने वाले को चार मिलेंगे, जबकि अन्य तीन के साथ समझौता कर सकते हैं।
भारतीय सेना के लिए नए टैंकों की योजना
भारतीय सेना भी अपने बख्तरबंद बलों की ताकत में इजाफा करने की योजना बना रही है। रूसी मूल के टी-72 टैंकों के पुराने बेड़े को बदलने के लिए 1,700 फ्यूचर रेडी कॉम्बैट व्हीकल (एफआरसीवी) हासिल करने की मांग की जा रही है। 50,000 करोड़ रुपये से अधिक की अनुमानित लागत वाली इस परियोजना का उद्देश्य टैंक और पैदल सेना के लड़ाकू वाहनों सहित सेना के बख्तरबंद वाहनों को आधुनिक बनाना है। सेना ऊंचे इलाकों और रेगिस्तानों सहित विभिन्न इलाकों में अपनी परिचालन तैयारी बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित कर रही है। उच्च स्तरीय बैठक के दौरान सेना द्वारा लगभग 100 बीएमपी-2 पैदल सेना लड़ाकू वाहनों के अधिग्रहण का प्रस्ताव रखने की भी उम्मीद है।
चीन-पाकिस्तान की दोहरी चुनौती
हाल ही में चीन ने भारत से लगती सीमा पर बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचे का निर्माण किया है। चीन ने सीमा के करीब बंकर, हेलीपैड और एयरबेस बनाए हैं। समुद्र में भी चीन अब हिंद महासागर में दखल देने लगा है। भारत के लिए एक बड़ी चुनौती चीन और पाकिस्तान की दोस्ती भी है। चीन, पाकिस्तान को नए और आधुनिक युद्धपोत दे रहा है। भारतीय नौसेना का मौजूदा बेड़ा पाकिस्तान और चीन का एक साथ सामना करने के लिए कम है। यही कारण है कि सबसे ज्यादा जोर नेवी की ताकत बढ़ाने पर दिया जा रहा है। हाल ही में देश की दूसरी परमाणु पनडुब्बी आईएनएस अरिघात सेवा में शामिल की गई है। अन्य पनडुब्बियों का भी निर्माण जारी है।