मोदी ने दक्षेस देशों से आतंकवाद की बुराई को परास्त करने के लिए प्रभावी कदम उठाने को कहा

By भाषा | Updated: December 9, 2019 07:33 IST2019-12-09T07:33:56+5:302019-12-09T07:33:56+5:30

आखिरी दक्षेस शिखर सम्मेलन 2014 में काठमांडू में आयोजित हुआ था जिसमें मोदी ने हिस्सा लिया था। साल 2016 में दक्षेस शिखर सम्मेलन इस्लामाबाद में आयोजित होना था।

Take Effective Steps To Defeat Terrorism says PM Modi On SAARC Founding Day | मोदी ने दक्षेस देशों से आतंकवाद की बुराई को परास्त करने के लिए प्रभावी कदम उठाने को कहा

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Highlightsप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने परोक्ष तौर पर पाकिस्तान की ओर इशारा करते हुए कहा कि दक्षेस देशों के बीच अधिक सहयोग के लिए भारत के प्रयासों को बार-बार आतंकवाद के खतरों और कृत्यों से चुनौती मिली है। मोदी ने कहा, ‘‘दक्षेस ने प्रगति की है लेकिन और अधिक करने की जरूरत है। अधिक सहयोग के लिए हमारे प्रयासों को बार-बार आतंकवाद के खतरों और कृत्यों से चुनौती मिली है।’’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने परोक्ष तौर पर पाकिस्तान की ओर इशारा करते हुए कहा कि दक्षेस देशों के बीच अधिक सहयोग के लिए भारत के प्रयासों को बार-बार आतंकवाद के खतरों और कृत्यों से चुनौती मिली है। मोदी ने दक्षेस के स्थापना दिवस पर दक्षेस सचिवालय को लिखे पत्र में कहा कि क्षेत्र के सभी देशों को आतंकवाद की बुराई और उसका समर्थन करने वाली ताकतों को हराने के लिए प्रभावी कदम उठाने चाहिए।

उन्होंने कहा कि ऐसे प्रयासों से एक मजबूत दक्षेस बनाने के लिए अधिक विश्वास और भरोसा उत्पन्न होगा। मोदी ने कहा, ‘‘दक्षेस ने प्रगति की है लेकिन और अधिक करने की जरूरत है। अधिक सहयोग के लिए हमारे प्रयासों को बार-बार आतंकवाद के खतरों और कृत्यों से चुनौती मिली है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ऐसा माहौल दक्षेस की पूर्ण क्षमता साकार करने के हमारे साझा उद्देश्य को बाधित करता है। यह जरूरी है कि क्षेत्र में सभी देश आतंकवाद की बुराई और उसका समर्थन करने वाली ताकतों को हराने के लिए प्रभावी कदम उठायें।’’ भारत पिछले तीन वर्षों से पाकिस्तान में स्थित आतंकवाद के नेटवर्क से क्षेत्र में उत्पन्न सुरक्षा चुनौतियों का उल्लेख करते हुए स्वयं को दक्षेस से दूर कर रहा है। पाकिस्तान भी दक्षेस का एक सदस्य है।

वहीं, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने 35वें दक्षेस चार्टर दिवस पर अपने संदेश में उम्मीद जतायी कि दक्षेस के लगातार प्रगति में आया ठहराव समाप्त होगा। पाकिस्तान विदेश कार्यालय द्वारा जारी बयान के अनुसार, खान ने ‘‘दक्षेस प्रक्रिया के प्रति पाकिस्तान की प्रतिबद्धता दोहरायी और उम्मीद जतायी कि इसके निरंतर प्रगति में आया ठहराव समाप्त होगा, जिससे सार्क देशों को क्षेत्रीय सहयोग के मार्ग पर आगे बढ़ने और अपनी पूरी क्षमता प्राप्त करने में सक्षम होंगे।’’

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान का मानना है कि प्रभावी और नतीजा केंद्रित क्षेत्रीय सहयोग सिर्फ दक्षिण एशिया क्षेत्रीय सहयोग संगठन (दक्षेस) के घोषणा-पत्र में निहित संप्रभु समानता और परस्पर सम्मान के मुख्य सिद्धांत के पालन से ही हासिल किया जा सकता है।

आखिरी दक्षेस शिखर सम्मेलन 2014 में काठमांडू में आयोजित हुआ था जिसमें मोदी ने हिस्सा लिया था। साल 2016 में दक्षेस शिखर सम्मेलन इस्लामाबाद में आयोजित होना था। यद्यपि उसी वर्ष 18 सितम्बर को जम्मू कश्मीर के उरी में भारतीय सेना के शिविर पर आतंकवादी हमले के बाद भारत ने ‘‘वर्तमान परिस्थितियों’’ के मद्देनजर सम्मेलन में हिस्सा लेने में अपनी असमर्थता जतायी।

शिखर सम्मेलन तब रद्द कर दिया गया जब बांग्लादेश, भूटान और अफगानिस्तान ने भी इस्लामाबाद में शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने से इनकार कर दिया। मोदी ने कहा, ‘‘दक्षेस की स्थापना एकीकृत और जुड़े हुए दक्षिण एशिया निर्माण के लिए की गई थी जिसका उद्देश्य क्षेत्र में सभी देशों के विकास और प्रगति को बढ़ावा देना है।

भारत विभिन्न क्षेत्रों में नजदीकी सहयोग हासिल करने के लिए विभिन्न पहलों का समर्थन जारी रखे हुए है।’’ ढाका में आठ दिसंबर 1985 को दक्षेस के पहले शिखर सम्मेलन के दौरान दक्षिण एशिया के सात राष्ट्रों- मालदीव, भारत, भूटान, पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश और श्रीलंका - ने दक्षेस की स्थापना को लेकर एक घोषणा-पत्र पर दस्तखत किए थे। अफगानिस्तान 2007 में दक्षेस का आठवां सदस्य राष्ट्र बना था। इसी के उपलक्ष्य में हर साल दक्षेस चार्टर दिवस मनाया जाता है।

Web Title: Take Effective Steps To Defeat Terrorism says PM Modi On SAARC Founding Day

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