महामारी के दौरान अनाथ बच्चों को अवैध तरीके से गोद लेने वालों के खिलाफ करें कार्रवाई : न्यायालय

By भाषा | Updated: June 8, 2021 17:14 IST2021-06-08T17:14:52+5:302021-06-08T17:14:52+5:30

Take action against those who adopt orphans illegally during the pandemic: Court | महामारी के दौरान अनाथ बच्चों को अवैध तरीके से गोद लेने वालों के खिलाफ करें कार्रवाई : न्यायालय

महामारी के दौरान अनाथ बच्चों को अवैध तरीके से गोद लेने वालों के खिलाफ करें कार्रवाई : न्यायालय

नयी दिल्ली, आठ जून उच्चतम न्यायालय ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को कोविड-19 महामारी के दौरान अनाथ हुए बच्चों को अवैध तौर पर गोद लिए जाने में संलिप्त गैर सरकारी संगठनों और लोगों के खिलाफ ‘‘कड़ी कार्रवाई’’ करने का निर्देश दिया है।

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने शीर्ष अदालत को सोमवार को सूचित किया कि पांच जून तक विभिन्न राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा सौंपे गए आंकड़ों के मुताबिक 30,071 बच्चे अनाथ हो गए। इनमें से से ज्यादातर बच्चे महामारी के कारण अभिभावकों के गुजरने या छोड़ दिए जाने के कारण बेसहारा हुए। न्यायालय ने अभिभावक को खोने वाले या बेसहारा, अनाथ हुए बच्चों की देखभाल और सुरक्षा के लिए कई निर्देश जारी करते हुए कहा कि अनाथ बच्चों को गोद लिए जाने का आमंत्रण देना कानून के प्रतिकूल है क्योंकि केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (​कारा) की भागीदारी के बिना गोद लेने की अनुमति नहीं है।

न्यायमूर्ति एल एन राव और न्यायमूर्ति अनिरूद्ध बोस की पीठ ने कहा कि किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) कानून, 2015 के प्रावधानों और केंद्र, राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के कार्यक्रमों का व्यापक प्रचार करना चाहिए जिससे प्रभावित बच्चों का फायदा हो। शीर्ष अदालत ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को कोविड-19 या किसी अन्य कारण से पिछले साल मार्च से अपने अभिभावकों को खो देने वाले या अनाथ हो गए बच्चों की पहचान करने का काम जारी रखने तथा बिना किसी देरी के इस संबंध में आंकड़े एनसीपीसीआर की वेबसाइट पर मुहैया कराने को कहा। पीठ ने कहा, ‘‘बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) को सुनिश्चित करना चाहिए कि बच्चा जिस वित्तीय लाभ का हकदार है, वह उसे बिना किसी देरी के मुहैया कराया जाए। राज्य, केंद्रशासित प्रदेशों को अवैध तरीके से गोद लेने में संलिप्त पाए गए गैर सरकारी संगठन, या व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया जाता है।’’

पीठ ने जिला बाल सुरक्षा इकाइयों (डीसीपीयू) को बच्चे के माता-पिता या अभिभावकों की मृत्यु के बारे में पता चलने पर प्रभावित बच्चों और उनके अभिभावकों से तुरंत संपर्क करने और बच्चे की देखभाल के लिए मौजूदा अभिभावक की इच्छा का पता करने को कहा। इससे पहले शीर्ष अदालत ने प्राधिकारियों को अनाथ बच्चों को भोजन और अन्य जरूरी सहायता तुरंत मुहैया कराने को कहा था। पीठ ने डीसीपीयू से, प्रभावित बच्चों को भोजन, दवा, कपड़े और अन्य जरूरतें पूरी करना सुनिश्चित करने को कहा। पीठ ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को सरकारी के साथ निजी स्कूलों में ऐसे बच्चों की शिक्षा जारी रखने के लिए प्रावधान करने का निर्देश दिया। बच्चों की पहचान का काम चाइल्डलाइन (1098), स्वास्थ्य अधिकारियों, पंचायती राज संस्थाओं, पुलिस प्राधिकार, गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) और अन्य के जरिए किया जा सकता है।

पीठ ने कोविड-19 के कारण अनाथ हुए बच्चों के लिए हाल में शुरू ‘पीएम-केयर्स फॉर चिल्ड्रेन’ योजना के विवरण के संबंध में केंद्र को चार हफ्ते के भीतर एक हलफनामा दाखिल करने का समय दिया। वकील गौरव अग्रवाल द्वारा दाखिल एक अर्जी पर सुनवाई करते हुए पीठ ने ये निर्देश दिए। बाल देखभाल केंद्रों में बच्चों के बीच संक्रमण फैलने के संबंध में स्वत: संज्ञान लिए गए एक मामले में अग्रवाल न्याय मित्र (एमिकस क्यूरी) के तौर पर अदालत का सहयोग कर रहे हैं।

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Web Title: Take action against those who adopt orphans illegally during the pandemic: Court

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