नई दिल्ली। अप्रैल राजधानी के निजामुद्दीन इलाके में तबलीगी जमात की मरकज के मसले को हल करने के लिए खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हस्तक्षेप करना पड़ा था। मोदी के ही निर्देश पर डोभाल ने मरकज पहुंचकर मामले को सुलझाने के लिए जरुरी कदम उठाए थे। पहले भी संवेदनशील मामलों में मोदी के भरोसेमंद साबित डोभाल ने 28 मार्च की सुबह जमायत उलेमा-ए-हिंद के मौलाना महमूद मदनी से संपर्क साधा था।
मौलाना मदनी ने इस बात की पुष्टि की है कि डोभाल ने उनसे टेलीफोन पर संपर्क साधकर मसले को हल करने में मदद मांगी थी। यूपीए के कार्यकाल में राज्यसभा सदस्य रह चुके मदनी के डोभाल से उस वक्त से नजदीकी रिश्ते हैं, जब डोभाल आईबी के निदेशक हुआ करते थे। डोभाल से कुछ अन्य मुस्लिम नेताओं की मुलाकात के बाद जमात के प्रमुख मौलाना साद कंधावली का रुख नरम हुआ था। प्राप्त जानकारी के मुताबिक योजनाबद्ध तरीके से तब्लीगी जमात के प्रमुख मौलाना साद को सेल्फ-आइसोलेशन में जाने दिया गया और यह भरोसा दिलाया गया कि जमातियों को परेशान नहीं किया जाएगा।
तबलीगी जमात के कार्यक्रम में देश भर से हजारों जमाती हुए थे शामिल
दिल्ली के निजामुद्दीन मरकज में तबलीगी जमात के कार्यक्रम में देशभर से हजारों जमाती शामिल हुए थे। तबलीगी जमात के मरकज से निकलने वाले लोगों ने पूरे देश को संकट में डाल दिया है। यहां पहुंचे कई लोगों में कोरोना वायरस की पुष्टि हुई है। पुलिस की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, वैसे- वैसे शामिल होने के बाद देशभर में छिप गए लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है। कई सौ लोगों की पहचान कर उन्हें क्वारंटाइन किया गया है जबकि आगे भी खोजबीन जारी है। गुजरात के लगभग 1500 लोग शामिल हुए थे। वहीं तेलंगाना से 1000 लोगों के इस जमात में शामिल होने का अनुमान लगाया गया था। इनमें से नौ लोगों की मौत हो चुकी है। राजस्थान में 500 लोगों की होगी जांच हुई है। कर्नाटक से यहां 300 लोग शामिल हुए थे, जिनमें से 40 की पहचान कर उन्हें पृथक कर दिया गया है। उनमें से 12 को कोविड-19 नहीं होने की पुष्टि हो चुकी है। तमिलानाडु के सीएम पलानीस्वामी ने बताया कि मरकज के सम्मेलन में हिस्सा लेने गए 1500 लोगों में से 1131 लौट आए हैं। बुधवार तक असम में 4, ओडिशा में 1, जम्मू में 10 जमात में शामिल होने वाले लोगों की पहचान हुई थी।