अलविदा सुषमा स्वराज: ओजस्वी वक्ता जिनका लोहा राजनीतिक विरोधी भी मानते थे, देखें उनके 5 यादगार भाषण
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: August 7, 2019 12:02 PM2019-08-07T12:02:52+5:302019-08-07T12:02:52+5:30
सुषमा स्वराज 2009 से 2014 तक लोकसभा में नेता विपक्ष भी रहीं। विधि स्नातक स्वराज ने उच्चतम न्यायालय में वकालत भी की। वह सात बार संसद सदस्य के रूप में और तीन बार विधानसभा सदस्य के रूप में चुनी गईं। स्वराज के पास केंद्रीय मंत्रिमंडल में दूरसंचार, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण और संसदीय कार्य विभागों जैसी जिम्मेदारियां भी रहीं।
भारतीय जनता पार्टी की वरिष्ठ नेत्री सुषमा स्वराज एक ऐसी हस्ती थीं जिन्होंने न सिर्फ एक प्रखर वक्ता के रूप में अपनी छवि बनाई, बल्कि उन्हें ‘जन मंत्री’ कहा जाता था। अपने 42 वर्षों के राजनीतिक जीवन में सुषमा ने अनेक मुकाम पार किए। वह इंदिरा गांधी के बाद देश की दूसरी महिला विदेश मंत्री थीं। स्वराज को हरियाणा सरकार में सबसे युवा कैबिनेट मंत्री होने का श्रेय भी मिला था। इसके साथ ही दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री और देश में किसी राष्ट्रीय राजनीतिक दल की पहली महिला प्रवक्ता होने का श्रेय भी सुषमा स्वराज को जाता है।
सुषमा स्वराज का राजनीतिक जीवन
उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत आरएसएस की छात्र इकाई अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से की थी और बाद में वह भाजपा में शामिल हो गईं। वह 1996 में 13 दिन तक चली अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में सूचना और प्रसारण मंत्री थीं और 1998 में वाजपेयी के पुन: सत्ता में आने के बाद स्वराज को फिर कैबिनेट मंत्री बनाया गया। चुनौतियां स्वीकार करने को हमेशा तत्पर रहने वाली स्वराज ने 1999 के लोकसभा चुनाव में बेल्लारी सीट से कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ा था।
वह 2009 से 2014 तक लोकसभा में नेता विपक्ष भी रहीं। विधि स्नातक स्वराज ने उच्चतम न्यायालय में वकालत भी की। वह सात बार संसद सदस्य के रूप में और तीन बार विधानसभा सदस्य के रूप में चुनी गईं। स्वराज के पास केंद्रीय मंत्रिमंडल में दूरसंचार, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण और संसदीय कार्य विभागों जैसी जिम्मेदारियां भी रहीं। उनका विवाह सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील स्वराज कौशल से हुआ था जो 1990 से 1993 तक मिजोरम के राज्यपाल रहे। कौशल भी 1998 से 2004 तक संसद सदस्य रहे।
सुषमा स्वराज भाजपा की एक ऐसी हस्ती थीं जिन्होंने एक प्रखर वक्ता के रूप अपनी विशिष्ट पहचान बनाई। 15वीं लोकसभा (2009-14) में विपक्ष की नेता रहीं सुषमा स्वराज का लोहा उनका वैचारिक और राजनीतिक विरोधी भी मानते थे। एक बार संसद में खुद तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा था कि मैं उनकी (स्वराज) की तरह ओजस्वी वक्ता नहीं हूं।
देखें उनके यादगार भाषण
1. 11 जून, 1996
लोकसभा चुनाव 1996 के बाद अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में पहली बार एनडीए की सरकार बनी, हालांकि यह सरकार सिर्फ 13 दिनों में ही गिर गई। सरकार गिरने के बाद सुषमा स्वराज ने लोकसभा में ऐतिहासिक भाषण दिया था। इस भाषण में उन्होंने बीजेपी पर लगे साप्रंदायिकता के आरोपों पर जवाब दिया था। उन्होंने पार्टी की विचारधारा का उल्लेख करते हुए भारतीयता का मतलब समझाया। भाषण के दौरान उन्होंने कहा कि शरद पवार ललिता पवार की भूमिका निभा रहे हैं। बीजेपी मंथरा और शकुनियों से घिरी हुई है और पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर भीष्म पितामह की भूमिका निभा रहे हैं।
2. 19 अगस्त, 2003
विपक्षी पार्टियों के साथ मिलकर कांग्रेस ने अगस्त 2003 में वाजपेयी सरकार के खिलाफ प्रस्ताव लेकर आई थी। चर्चा के दौरान सुषमा ने 105 मिनट का लंबा भाषण दिया था।
3. 22 अगस्त, 1997
11 अप्रैल, 1997 को देवेगौड़ा विश्वास मत हार गए। उनके बाद इंद्र कुमार गुजराल ने कुर्सी संभाली और 22 अप्रैल, 1997 को विश्वास मत हासिल किया। सदन में विश्वास मत के दौरान उन्होंने तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सीताराम केसरी पर निशाना साधते हुए देवगौड़ा को प्रधानमंत्री पद से हटाने पर निशाना साधा था।
4. 8 दिसंबर, 2011
देश में बढ़ती महंगाई को लेकर लोकसभा में सुषमा स्वराज का भाषण काफी लोकप्रिय हुआ। तत्कालीन विपक्ष की नेता स्वराज ने महंगाई को लेकर मनमोहन सिंह को कटघरे में खड़ा किया।
5. 18 दिसंबर, 2012
निर्भया गैंगरेप के बाद पूरे देश में आक्रोश था। लोकसभा में इस पर चर्चा करते हुए सुषमा ने बलात्कारियों के लिए फांसी की मांगी की थी।