भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की कद्दावर नेता सुषमा स्वराज का मंगलवार (06 अगस्त) की रात 11 बजे निधन हो गया। पूरे देश में उनके निधन की खबर फैलते ही शोक की लहर दौड़ गई। हर कोई उनको याद कर रहा है क्योंकि वह कइयों को नई जिंदगी देकर गई हैं। दरअसल, साल 2014 में देश की नरेंद्र मोदी सरकार आने के बाद उन्हें विदेश मंत्री की जिम्मेदारी सौंपी गई थी, जिसको उन्होंने बखूबी निभाया।
ट्विटर के जरिए 'मेडम सुषमा' से बचाने की लगाई गुहार
नरेंद्र मोदी की पहली सरकार में बतौर विदेश मंत्री रहते हुए उन्होंने साल 2015 में 4000 भारतीयों को यमन से बाहर निकाला था, जिसके चलते उन्होंने अपनी एक अलग पहचान बनाई थी। उनके इस कदम के बाद विदेश में फंसा हर नागिरक ट्विटर के जरिए 'मेडम सुषमा' से खुद को बचाने की गुहार लगाने लगा था और उन्होंने उसे बचाने के हर संभव प्रयास भी किए।
बतात चलें कि साल 2015 में यमन में हूथी विद्रोहियों और सरकार के बीच लड़ाई छिड़ गई थी। इस दौरान करीब 4000 भारतीय वहां फंसे हुए थे, जिन्होंने तात्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से गुहार लगाई थी कि उन्हें यहां से जल्द-जल्द से निकाला जाए ताकि उनकी जान बच सके। भारतीयों की गुहार के बाद सुषमा स्वराज ने बिना देरी किए उन्हें बचाने के लिए गंभीरता दिखाई क्योंकि यमन में जंग इतनी बढ़ गई थी कि सऊदी अरब की सेना लगातार वहां बम गिरा रही थी।
सुषमा स्वराजः 'ऑपरेशन राहत' चलाया
सुषमा स्वराज ने यमन में फंसे 4000 भारतीयों को निकालने के लिए ऊदी अरब की मदद की मदद ली। इस दौरान भारतीय सशस्त्र बलों ने 'ऑपरेशन राहत' चलाया, जिसके जरिए भारतीयों को वतन लाने की कवायद शुरू की गई। 'ऑपरेशन राहत' 11 दिन तक चला और अदन बंदरगाह से 1 अप्रैल, 2015 को समुद्र के रास्ते 4000 भारतीयों को वतन वापस लाया गया।
सुषमा स्वराज का निधनः हृदय गति रुकने से हुआ
आपको बता दें कि दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का निधन हुआ है और उनकी उम्र 67 वर्ष की थी। एम्स के चिकित्सकों ने बताया कि हृदय गति रुकने से उनका निधन हो गया। आज दोपहर 3 बजे उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।