चुनावी बॉन्ड पर सुप्रीम कोर्ट कल सुनाएगा फैसला, चुनाव तक हस्तक्षेप नहीं करने की केंद्र की याचिका खारिज

By स्वाति सिंह | Published: April 11, 2019 02:28 PM2019-04-11T14:28:28+5:302019-04-11T14:39:30+5:30

चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि स्वयं सेवी संगठन ऐसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म (एडीआर) की याचिका पर शुक्रवार को फैसला सुनाया जायेगा। 

Supreme Court will pronounce verdict on the plea to stay operation of electoral bonds on Friday | चुनावी बॉन्ड पर सुप्रीम कोर्ट कल सुनाएगा फैसला, चुनाव तक हस्तक्षेप नहीं करने की केंद्र की याचिका खारिज

इलेक्टोरल बॉन्ड का इस्तेमाल करने वालों को सरकार टैक्स में भी छूट देती है।

Highlightsनरेंद्र मोदी सरकार ने साल 2017-18 के बज़ट में राजनीतिक चन्दे को पारदर्शी बनाने के लिए इलेक्टोरल बॉन्ड की घोषणा की थी। मोदी सरकार ने दो हजार रुपये से ज्यादा के नकद चंदे पर रोक लगा दी थी।नए नियम के अनुसार दो हजार रुपये से ज्यादा चंदा केवल चेक या ऑनलाइन भुगतान के जरिए ही दिया जा सकता है।

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सरकार की, राजनीतिक दलों को चंदे के लिए प्रारंभ की गई चुनावी बॉन्ड योजना को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका पर अपना निर्णय शुक्रवार तक के लिए सुरक्षित रख लिया। 

चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि स्वयं सेवी संगठन ऐसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म (एडीआर) की याचिका पर शुक्रवार को फैसला सुनाया जायेगा। 

एडीआर ने इस योजना की वैधता को चुनौती देते हुये इस पर अंतरिम स्थगनादेश देने की मांग करते हुये कहा या तो चुनावी बॉन्ड जारी करने पर रोक लगे अथवा चंदा देने वालों के नाम सार्वजनिक हों ताकि चुनावी प्रक्रिया में शुचिता बनी रहे। 

कोर्ट में केंद्र का पक्ष रखते हुये अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने योजना का समर्थन करते हुये कहा कि इसका उद्देश्य चुनावों में कालेधन के प्रयोग पर अंकुश लगाना है। वेणुगोपाल ने कहा, ‘‘जहां तक चुनावी बॉन्ड योजना का संबंध है, यह सरकार का नीतिगत निर्णय है और किसी सरकार को नीतिगत फैसले लेने के लिए दोषी नहीं ठहराया जा सकता।’’ उन्होंने कहा कि अदालत चुनाव पश्चात इस योजना की पड़ताल कर सकती है। 

क्या है इलेक्टोरल बॉन्ड

नरेंद्र मोदी सरकार ने साल 2017-18 के बज़ट में राजनीतिक चन्दे को पारदर्शी बनाने के लिए इलेक्टोरल बॉन्ड की घोषणा की थी। 

मोदी सरकार ने दो हजार रुपये से ज्यादा के नकद चंदे पर रोक लगा दी थी। नए नियम के अनुसार दो हजार रुपये से ज्यादा चंदा केवल चेक या ऑनलाइन भुगतान के जरिए ही दिया जा सकता है।

सरकार ने इस साल जनवरी में इन बॉन्ड की अधिसूचना जारी की। अधिसूचना के अनुसार 1000 रुपये, 10,000 रुपये, एक लाख रुपये, 10 लाख रुपये और एक करोड़ रुपये के बॉन्ड जारी किए जाते हैं। 

ये बॉन्ड कोई दानदाता एसबीआई में अपने केवाईसी जानकारी वाले अकाउंट से खरीद सकता है। राजनीतिक पार्टियाँ इन बॉन्ड को दान में मिलने के 15 दिनों के अंदर बैंक में भुना सकते हैं।

इन बॉन्ड पर दान देने वालों का नाम नहीं होता। इस दान की जानकारी भी सार्वजनिक नहीं की जाती। इन बॉन्ड के माध्यम से कोई दानदाता अपनी पहचान जाहिर किए बिना राजनीतिक दलों को चंदा दे सकता है।

चंदा देने वालों को टैक्स छूट

इलेक्टोरल बॉन्ड का इस्तेमाल करने वालों को सरकार टैक्स में भी छूट देती है।

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने साल की शुरुआत में इलेक्टोरल बॉन्ड का यह कहकर समर्थन किया था कि इससे चंदे में पारदर्शिता बढ़ेगी और राजनीतिक दलों को कानूनी पैसा ही चंदे के तौर पर मिलेगा।

हालाँकि विशेषज्ञ इलेक्टोरल बॉन्ड की यह कहकर आलोचना करते रहे हैं कि इनके माध्यम से राजनीतिक दलों को चंदा देने वालों की पहचान छिपाना लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए नुकसानदायक भी साबित हो सकता है।

विशेषज्ञों के अनुसार इन बॉन्ड का इस्तेमाल कारोबारी घराने और अन्य अमीर लोग कर सकते हैं। 

जिस तरह 99 प्रतिशत से ज्यादा इलेक्टोरल बॉन्ड 10 लाख रुपये और एक करोड़ रुपये के खरीदे गये हैं उससे इस आशंका को बल मिलता है।

Web Title: Supreme Court will pronounce verdict on the plea to stay operation of electoral bonds on Friday

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