भ्रष्टाचार रोधी कानून के प्रावधान की वैधता की जांच करेगी शीर्ष अदालत

By भाषा | Published: July 5, 2019 05:56 AM2019-07-05T05:56:16+5:302019-07-05T05:56:16+5:30

अधिवक्ता शिवाशीष मिश्रा ने पीठ से कहा कि उन्होंने विस्तृत शोध किया है लेकिन उन्हें लोक सेवक द्वारा आपराधिक कदाचार से निपटने वाली धारा 13 की व्याख्या पर एक भी फैसला नहीं मिला।

Supreme Court will examine validity of provision in anti-corruption law | भ्रष्टाचार रोधी कानून के प्रावधान की वैधता की जांच करेगी शीर्ष अदालत

File Photo

उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को भ्रष्टाचार रोधी कानून के उस प्रावधान की वैधता की जांच करने का फैसला किया, जिसमें निजी लोगों को लोक सेवकों के साथ आरोपी बनाया जा रहा है। शीर्ष अदालत भ्रष्टाचार रोकथाम कानून की धारा 13 की जांच करेगी क्योंकि सवाल उठ रहे हैं कि यह प्रावधान ऐसे आरोपियों के खिलाफ नहीं लगाया जा सकता जो लोकसेवक नहीं हैं।

जब प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ को यह विश्वास हो गया कि शीर्ष अदालत ने इस विषय पर अब तक कोई फैसला नहीं सुनाया है तो पीठ ने इस विषय पर गौर करने पर सहमति जताई।

इस मामले में पेश अधिवक्ता शिवाशीष मिश्रा ने पीठ से कहा कि उन्होंने विस्तृत शोध किया है लेकिन उन्हें लोक सेवक द्वारा आपराधिक कदाचार से निपटने वाली धारा 13 की व्याख्या पर एक भी फैसला नहीं मिला। वह एक महिला की ओर से पेश हुए थे जिसे ओडिशा पुलिस ने उसके पति के साथ प्राथमिकी में नामजद किया था।

वकील ने कहा कि कानून की धारा 13 (1) (ई) के तहत महिला को नामजद कैसे किया जा सकता है। महिला के पति की मृत्यु हो चुकी है और उसने भादंसं के तहत अपराध के लिए उकसाने तथा उसके खिलाफ इस कानून का इस्तेमाल करने का अनुरोध किया। उसके पति के खिलाफ यह मामला कथित रूप से आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक धन अर्जित करने से जुड़ा है। 

Web Title: Supreme Court will examine validity of provision in anti-corruption law

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