लद्दाख में ड्रोन पलट सकते हैं खेल, चीन से निपटने के लिए ये हैं 5 अत्याधुनिक हथियार, भारतीय सेना कर सकती है शामिल
By शिवेन्द्र कुमार राय | Published: September 20, 2024 05:46 PM2024-09-20T17:46:35+5:302024-09-20T17:47:36+5:30
'हिम-ड्रोन' कार्यक्रम उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों में भारत की सैन्य क्षमताओं को बढ़ाने की दिशा में एक अग्रणी कदम है। सेना ने कार्यक्रम के दौरान उनके प्रदर्शन के आधार पर खरीद के लिए कई ड्रोन को शॉर्टलिस्ट करने की योजना बनाई है, जबकि अन्य के लिए सुधार की सिफारिश की है।
नई दिल्ली: पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर सुरक्षा बढ़ाने के लिए भारतीय सेना उन्नत ड्रोन तकनीकों का इस्तेमाल कर रही है। इस क्षेत्र में ड्रोन का संचालन करना आसान नहीं है। इसलिए सेना ड्रोन निर्माण से जुड़े इनोवेशन को भी खूब बढ़ावा दे रही है। हाल ही में सेना ने 17-18 सितंबर, 2024 को फेडरेशन ऑफ़ इंडियन चैंबर्स ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (FICCI) के सहयोग से हिम-ड्रोन कार्यक्रम आयोजित किया। यह कार्यक्रम लेह के दक्षिण-पूर्व में एक पहाड़ी दर्रे वारी-ला में 15,200 फ़ीट की ऊँचाई पर हुआ।
#HIMDRONATHON2
— @firefurycorps_IA (@firefurycorps) September 19, 2024
Indian Army, in partnership with the Federation of Indian Chambers of Commerce & Industry (FICCI), conducted the landmark HIM-DRONE-A-THON 2 at the Wari La Pass, Ladakh on 17-18 September 2024.
The event showcased cutting-edge indigenous drone technology… pic.twitter.com/TCovjixyjO
नए जमाने की जंग में ड्रोन का महत्व
ड्रोन ने हाल के वर्षों में सैन्य अभियानों में क्रांति ला दी है। रूस -यूक्रेन युद्ध हो या इजरायल हमास जंग या फिर अजरबैजान और आर्मेनिया की बीच हुई लड़ाई। इन युद्धों में ड्रोन्स का जमकर इस्तेमाल हुआ है। निगरानी, रसद, सटीक हमले और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध में ड्रोन इस्तेमाल हो रहे हैं। लद्दाख जैसे उच्च-ऊंचाई वाले क्षेत्रों में भारतीय सेना अपनी परिचालन क्षमताओं को बढ़ाने के लिए कई अलग-अलग तरीके के ड्रोन्स को अपने जखीरे में शामिल कर रही है।
सेना को ड्रोन की जरूरत 2021 में लेह में एविएशन ब्रिगेड की स्थापना से पैदा हुई है। इस ब्रिगेड को सामरिक अभियानों के लिए ड्रोन की आवश्यकता है। एलएसी पर स्थितिजन्य जागरूकता और सुरक्षा बढ़ाने के लिए ड्रोन बेहद अहम हैं।
पाँच प्रकार के ड्रोन की तलाश में भारतीय सेना
'हिम-ड्रोन' कार्यक्रम के दौरान, सेना ने पाँच विशिष्ट प्रकार के ड्रोन का मूल्यांकन किया, जिनमें से प्रत्येक को अलग-अलग सैन्य आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए तैयार किया गया है। यहां हम इन खास ड्रोन्स के प्रकार और विशेषताएं बता रहे हैं।
1- निगरानी ड्रोन: ये ड्रोन वास्तविक समय की खुफिया जानकारी प्रदान करने और LAC पर दुश्मन की गतिविधियों की निगरानी करने के लिए महत्वपूर्ण हैं। निगरानी ड्रोन सेना को लद्दाख में महत्वपूर्ण क्षेत्रों की निरंतर निगरानी बनाए रखने में मदद करेंगे।
2- लोइटरिंग म्यूनिशन: जिन्हें 'आत्मघाती ड्रोन' के रूप में भी जाना जाता है, इन्हें हमला करने से पहले लक्ष्य पर मंडराने के लिए डिज़ाइन किया गया है। ये दुश्मन के प्रतिष्ठानों और संपत्तियों को निशाना बनाने में सटीकता प्रदान करते हैं।
3- कामिकेज़ ड्रोन: लोइटरिंग म्यूनिशन की तरह ही कामिकेज़ ड्रोन को दुश्मन के लक्ष्यों पर दुर्घटनाग्रस्त होकर खुद को नष्ट करने के लिए पहले से प्रोग्राम किया जाता है। इसपर घातक पेलोड होते हैं। ये ड्रोन सबसे खतरनाक होते हैं। दुश्मन के ठिकाने को पहचान कर वहां पहुंचते हैं और फट जाते हैं।
4- लॉजिस्टिक्स ड्रोन: लॉजिस्टिक्स ड्रोन्स को कठिन और दुर्गम इलाकों में गोला-बारूद या चिकित्सा उपकरण जैसी आवश्यक आपूर्ति के परिवहन के लिए डिज़ाइन किया गया है। लॉजिस्टिक्स ड्रोन लद्दाख के दूरदराज के इलाकों में आपूर्ति करने की सेना की क्षमता को काफी बढ़ाएँगे।
5- इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर ड्रोन: ये ड्रोन संचार और इलेक्ट्रॉनिक खुफिया जानकारी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर ड्रोन दुश्मन के संचार को बाधित करने और उनके इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम को जाम करने में सक्षम हैं। युद्ध के समय ये एक महत्वपूर्ण सामरिक लाभ प्रदान करते हैं।
लद्दाख में ड्रोन का संचालन करना चुनौती
लद्दाख में ड्रोन का संचालन करना आसान नहीं है। इतनी ऊंचाई पर ड्रोन के रोटर द्वारा उत्पन्न लिफ्ट कम हो जाता है। यह इंजन के प्रदर्शन को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है। इसके अतिरिक्त, तेज़ हवाएँ, तेज़ी से बर्फ़ का निर्माण और ठंडे तापमान के कारण बैटरी तेज़ी से खत्म होती है। 'हिम-ड्रोन' कार्यक्रम में ऐसे ड्रोन्स की क्षमताओं को परखा गया जो इस क्षेत्र में सेना की सफलता के लिए विश्वसनीय उच्च-ऊंचाई ऑपरेशन कर सकें।
देश में निर्माण पर जोर
आत्मनिर्भर भारत को बढ़ावा देने के लिए सेना घरेलू रूप से विकसित ड्रोन खरीदने पर ध्यान केंद्रित कर रही है। एक बड़ी चिंता घरेलू रूप से निर्मित ड्रोन में चीनी भागों की उपस्थिति है। ऐसे में डेटा के बाहरी उपकरणों में स्थानांतरित होने का अंदेशा होगा। इस समस्या से निपटने के लिए उत्तरी कमान और सेना डिजाइन ब्यूरो ने एक 'तकनीकी मूल्यांकन समिति' का गठन किया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि तैनाती के लिए चुने गए ड्रोन में चीन में बने किसी उपकरण का प्रयोग न हुआ हो।
लद्दाख में ड्रोन पलट सकते हैं खेल
'हिम-ड्रोन' कार्यक्रम उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों में भारत की सैन्य क्षमताओं को बढ़ाने की दिशा में एक अग्रणी कदम है। सेना ने कार्यक्रम के दौरान उनके प्रदर्शन के आधार पर खरीद के लिए कई ड्रोन को शॉर्टलिस्ट करने की योजना बनाई है, जबकि अन्य के लिए सुधार की सिफारिश की है। ड्रोन भारत की सैन्य रणनीति में तेजी से महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं, खासकर लद्दाख के चुनौतीपूर्ण इलाके में। भारत वास्तविक नियंत्रण रेखा पर खतरों के खिलाफ अपनी रक्षा क्षमताओं को भी मजबूत कर रहा है। इस इलाके में ड्रोन किसी भी युद्ध का परिणाम बदलने की क्षमता रखते हैं।