नई दिल्ली, 26 सितंबरः सुप्रीम कोर्ट के पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने आधार कार्ड की वैधता पर ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। कोर्ट ने आधार की वैधता बरकरार रखा है। साथ ही बैंक खातों, सिम कार्ड और प्राइवेट कंपनियों के लिए आधार की अनिवार्यता का खत्म कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने 27 याचिकाकर्ताओं को सुनने के बाद 10 मई को फैसला सुरक्षित रख लिया था। मामले में उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश के एस पुत्तास्वामी की याचिका सहित कुल 31 याचिकाएं दायर की गयी थीं।
आधार पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले की Highlights:-
- न्यायमूर्ति अशोक भूषण ने बुधवार को आधार मामले में अपना फैसला अलग से पढ़ा जिसमें बहुमत के फैसले से सहमति जताते हुए उन्होंने कहा कि सरकार और भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) आधार योजना की खामियों को दूर करने में सक्षम हैं। आधार पर आज फैसला देने वाली प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय पीठ में न्यायमूर्ति भूषण भी शामिल थे। न्यायमूर्ति भूषण ने अपने फैसले में कहा कि आधार निगरानी के लिए रूपरेखा तैयार नहीं करता है।
- बहुमत का पहला निर्णय संविधान पीठ के सदस्य न्यायमूर्ति ए के सीकरी ने न्यायमूर्ति सीकरी ने प्रधान न्यायाधीश, न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर और अपनी ओर से फैसला पढ़ा। इसमें पीठ ने केन्द्र की महत्वाकांक्षी योजना आधार को संवैधानिक रूप से वैध करार दिया लेकिन उसने बैंक खाते, मोबाइल फोन और स्कूल दाखिले में आधार अनिवार्य करने सहित कुछ प्रावधानों को रद्द कर दिया।
- न्यायमूर्ति सीकरी ने यह भी कहा कि आधार विधेयक को लोकसभा में धन विधेयक के रूप में पारित कराने का फैसला न्यायिक समीक्षा की जद में नहीं है।
- अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने एएनआई से कहा कि मैं फैसले से बेहद खुश हूं। यह उल्लेखनीय और ऐतिहासिक फैसला है।
- पूर्व एटॉर्नी जनरल सोली सोराबजी ने कहा कि मोटे तौर पर यह एक अच्छा फैसला है। यद्यपि मैं जस्टिस चंद्रचूड़ के फैसले से खुश हूं कि उन्होंने निजता के अधिकार पर बात की।
- पैन कार्ड से आधार लिंक करना अनिवार्य है लेकिन यूजीसी, एनईईटी और सीबीएसई परीक्षाओं और स्कूल एडमिशन में यह जरूरी नहीं है। इसके अलावा बैंक खाता खोलने, नई सिम खरीदने और प्राइवेट कंपनियों आधार की मांग नहीं कर सकती।
- सुप्रीम कोर्ट ने आधार एक्ट की धारा 57 को खत्म कर दिया है। जिसके बाद प्राइवेट कंपनियां अब आधार नहीं मांग सकती।
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आधार प्राइवेसी में दखल लेकिन उसकी जरूरत को भी देखना होगा। मौलिक अधिकारों पर कुछ अंकुश भी संभव। 99.76 फीसदी लोगों को सुविधा से वंचित नहीं किया जा सकता। बॉयोमेट्रिक की सुरक्षा के पुख्ता उपाय की जरूरत है।
- सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि बैंक खातों और मोबाइल नंबर से आधार लिंक करना अनिवार्य नहीं हैं। सर्वोच्च न्यायालय ने स्कूलों में भी आधार की अनिवार्यता को समाप्त कर दिया है। इसके अलावा सीबीएसई और एनईईटी में आधार दिया जाना जरूरी नहीं है।
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यूआईडीएआई नागरिकों के आधार पंजीकरण के लिए डेमोग्राफिक और बॉयोमेट्रिक डेटा जुटाता है। किसी व्यक्ति को जारी आधार नंबर यूनीक होता है। इसे किसी अन्य व्यक्ति को नहीं किया जा सकता।
- जस्टिस एके सीकरी ने फैसला पढ़ते हुए कहा कि आधार ने समाज के हाशिए पर पड़े लोगों को पहचान दी है। यह यूनीक पहचान है क्योंकि इसका डुप्लीकेट नहीं हो सकता।
- सुप्रीम कोर्ट में आधार की वैधता पर फैसला पढ़ना शुरू किया जा चुका है। शुरुआती रिपोर्ट के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने आधार को नागिरकों की पहचान माना है। फैसले जस्टिस सीकरी पढ़ रहे हैं।
- आधार मामले पर केंद्र सरकार के पैरोकार मुकुल रोहतगी ने उम्मीद जताई है कि फैसला उनके पक्ष में ही आएगा। उन्होंने कहा कि आधार तमाम योजनाओं में प्रासंगिक है। जहां तक उसकी सुरक्षा की बात है सरकार प्रयास कर रही है। इस संबंध में जल्द ही एक कानून पास किया जाएगा।
- सुप्रीम कोर्ट में सुबह साढ़े दस बजे से पांच जजों की संवैधानिक पीठ फैसले की कार्यवाही शुरू कर सकती है। पूरे देश की नजरें इस महत्वपूर्ण निर्णय पर टिकी हुई हैं।
- कोर्ट द्वारा फैसला सुरक्षित रखे जाने पर अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने पीठ को बताया था कि 1973 के केसवानंद भारती के ऐतिहासिक मामले के बाद सुनवाई के दिनों के आधार पर यह दूसरा मामला बन गया है। पीठ में न्यायमूर्ति ए के सिकरी, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति अशोक भूषण भी थे।
- श्याम दीवान, गोपाल सुब्रमण्यम, कपिल सिब्बल, पी चिदंबरम, अरविंद दतार, के वी विश्वनाथ, आनंद ग्रोवर, सजन पूवैया और कुछ अन्य वरिष्ठ वकीलों ने आधार का विरोध करने वाले याचिकाकताओं की ओर से दलीलें दी है।
आधार एक 12 अंक की यूनिक पहचान संख्या है जो सवा अरब भारतीयों को दी गई गई है। इसमें व्यक्ति की पहचान के साथ उसका निवास और पहचान की अन्य जानकारियां होती हैं। 38 दिनों तक चली रिकॉर्ड सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने 27 याचिकाकर्ताओं को सुना जिन्होंने आधार की संवैधानिकता पर सवाल खड़े किए थे और इसे निजता के अधिकार का हनन माना था।