नई दिल्ली, 26 सितंबरःसुप्रीम कोर्ट ने आधार की वैधता सरकार की दलीलों को मानते हुए भी कई अहम टिप्पणियां की हैं। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा के नेतृत्व वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने आधार स्कीम और इससे जुड़े 2016 के कानून की संवैधानिकता पर महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कहा कि यह पहचान का यूनीक जरिया है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने बैंक खातों और स्कूलों में आधार की अनिवार्यता खत्म कर दी है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का असर भारत के 1.22 अरब लोगों पर पड़ेगा। इस मामले में उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश के एस पुत्तास्वामी की याचिका सहित कुल 31 याचिकाएं दायर की गयी थीं। जानें इस फैसले से जुड़ी अब-तक की बड़ी बातेंः-
- सुप्रीम कोर्ट ने आधार एक्ट की धारा 57 को खत्म कर दिया है। जिसके बाद प्राइवेट कंपनियां अब आधार नहीं मांग सकती।
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आधार प्राइवेसी में दखल है लेकिन उसकी जरूरत को भी देखना होगा। मौलिक अधिकारों पर कुछ अंकुश भी संभव।
- कोर्ट ने कहा कि 99.76 फीसदी लोगों को सुविधा से वंचित नहीं किया जा सकता। गौरतलब है कि भारत के 1.22 अरब लोगों का आधार जारी किया जा चुका है।
- बॉयोमेट्रिक की सुरक्षा के पुख्ता उपाय की जरूरत है। सुप्रीम कोर्ट ने इस दिशा में कदम बढ़ाने की बात कही है।
- सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि बैंक खातों और मोबाइल नंबर से आधार लिंक करना अनिवार्य नहीं हैं। सर्वोच्च न्यायालय ने स्कूलों में भी आधार की अनिवार्यता को समाप्त कर दिया है। इसके अलावा सीबीएसई और एनईईटी में आधार दिया जाना जरूरी नहीं है।
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यूआईडीएआई नागरिकों के आधार पंजीकरण के लिए डेमोग्राफिक और बॉयोमेट्रिक डेटा जुटाता है। किसी व्यक्ति को जारी आधार नंबर यूनीक होता है। इसे किसी अन्य व्यक्ति को नहीं किया जा सकता।
- जस्टिस एके सीकरी ने फैसला पढ़ते हुए कहा कि आधार ने समाज के हाशिए पर पड़े लोगों को पहचान दी है। यह यूनीक पहचान है क्योंकि इसका डुप्लीकेट नहीं हो सकता।
- सुप्रीम कोर्ट में आधार की वैधता पर फैसला पढ़ना शुरू किया जा चुका है। शुरुआती रिपोर्ट के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने आधार को नागिरकों की पहचान माना है। फैसले जस्टिस सीकरी पढ़ रहे हैं।
आधार मामले पर केंद्र सरकार के पैरोकार मुकुल रोहतगी ने उम्मीद जताई है कि फैसला उनके पक्ष में ही आएगा। उन्होंने कहा कि आधार तमाम योजनाओं में प्रासंगिक है। जहां तक उसकी सुरक्षा की बात है सरकार प्रयास कर रही है। इस संबंध में जल्द ही एक कानून पास किया जाएगा।
याचिकाकर्ताओं के सवालः-
- किसी व्यक्ति से जुड़ी सारी सूचना एक स्थान पर मिल जाएगी।
- निजता के अधिकार का हनन है जिसे पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने मूलभूत अधिकार करार दिया था।
- लोगों पर निगरानी रखना आसान बनाता है। इससे सूचनाओं के हैक होने का खतरा बढ़ जाता है।
- अगर डेटा हैक होता है या गलत इस्तेमाल होता है तो इस स्थिति के लिए कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं है।
- बॉयोमेट्रिक मिस-मैच से नागरिकों के लाभ से वंचित रखा जा सकता है।