लिव-इन रिलेशन पर सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, जानें क्या है रिलेशनशिप में कंसेंट

By पल्लवी कुमारी | Published: January 3, 2019 06:32 PM2019-01-03T18:32:11+5:302019-01-03T18:32:11+5:30

सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि लिव-इन पार्टनर के बीच सहमति से बना शारीरिक संबंध बलात्कार नहीं होता, अगर व्यक्ति अपने नियंत्रण के बाहर की परिस्थितियों के कारण महिला से शादी नहीं कर पाता है।

supreme court Verdict live in relationship, what is consent | लिव-इन रिलेशन पर सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, जानें क्या है रिलेशनशिप में कंसेंट

लिव-इन रिलेशन पर सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, जानें क्या है रिलेशनशिप में कंसेंट

सुप्रीम कोर्ट ने बीते दिन फैसला सुनाया कि लिव-इन पार्टनर के बीच सहमति से बना शारीरिक संबंध बलात्कार नहीं होता, अगर व्यक्ति अपने नियंत्रण के बाहर की परिस्थितियों के कारण महिला से शादी नहीं कर पाता है।

शीर्ष अदालत ने महाराष्ट्र की एक नर्स द्वारा एक डॉक्टर के खिलाफ दर्ज कराई गई प्राथमिकी को खारिज करते हुए यह बात कही। दोनों ‘‘कुछ समय तक’’ लिव-इन पार्टनर थे।

न्यायमूर्ति ए. के. सिकरी और न्यायमूर्ति एस. अब्दुल नजीर की पीठ ने हाल में दिए गए एक फैसले में कहा, ‘‘बलात्कार और सहमति से बनाए गए यौन संबंध के बीच स्पष्ट अंतर है। इस तरह के मामलों को अदालत को पूरी सतर्कता से परखना चाहिए कि क्या शिकायतकर्ता वास्तव में पीड़िता से शादी करना चाहता था या उसकी गलत मंशा थी और अपनी यौन इच्छा को पूरा करने के लिए उसने झूठा वादा किया था क्योंकि गलत मंशा या झूठा वादा करना ठगी या धोखा करना होता है।’’

स्त्री-पुरुष के सेक्सुअल रिलेशन में कंसेंट/सहमति/रजामंदी क्या है, इस पर इन दिनों बहस छिड़ी हुई है। इस मसले पर 'Tea and Consent'' वीडियो इंटरनेट पर कई बार वायरल हो चुका है। इस वीडियो 'Tea and Consent' की लेखिका 'एमेलिन मे' हैं।

''अगर आप अभी भी रिलेशनशिप में 'कंसेट' का मतलब नहीं समझ पा रहे हैं तो मान लीजिए कि आप किसी के साथ सेक्स नहीं करना चाहते बल्कि चाय पीना चाहते हैं।

आप कहते हैं, "हैल्लो, क्या तुम चाय पिओगी?" आपको जवाब मिलता है, "जरूर, बिल्कुल, शुक्रिया, चाय मिल जाए तो मजा आ जाए!" तो समझ जाइए कि सामने वाला चाय पीना चाहता है।

अगर आप कहते हैं, "क्या तुम चाय पिओगी?" आपको जवाब मिलता है कि "हम्म्म...पता नहीं..." तो समझ जाइए कि जरूरी नहीं कि सामने वाला आपके संग चाय पिएगा। यानी वो पी सकता है और मना भी कर सकता है। ऐसे में इस बात का जरूर ध्यान रखें कि जिस समय आपका चाय पीने का मन हो जरूरी नहीं कि सामने वाला भी उसी वक्त चाय पीना चाहे। ध्यान रखें कि अगर आप का मन कर रहा था इसलिए आपने चाय बना लेकिन सामने वाले का मन नहीं है तो आप उसे जबरदस्ती चाय पिलाने की कोशिश मत कीजिए। आप उसपर यह इल्जाम नहीं लगा सकते कि जब मैंने चाय बना ली है तो वो मना कैसे कर सकती है। आपने चाय बना ली है इसलिए जरूरी नहीं कि सामने वाला आपके सामने बैठकर उसे पिए ही।

अगर वो कहती है कि "नहीं, शुक्रिया" तो आप चाय बिल्कुल मत बनाइए। आपके उनके लिए न तो चाय बनाइए और न उन्हें पिलाने की कोशिश कीजिए। वो चाय नहीं पीना चाहती इस बात को लेकर गुस्सा भी मत करिए। वो केवल चाय नहीं पीना चाहती, इतनी सी बात है।

हो सकता है कि जब आप उससे चाय पीने के लिए पूछें तो वो हाँ कह दे लेकिन जब आप चाय बनाकर ले आएँ तो वो उसे न पीना चाहे। ऐसी हरकत से खीझ जाना स्वाभाविक है क्योंकि चाय बनाने में लगी आपकी मेहनत और लगन बर्बाद गयी, लेकिन सामने वाला चाय पीने के लिए मजबूर नहीं है। पहले वो चाय पीना चाहता था और अब नहीं पीना चाहता। कई बार लोगों का ख्याल उतने देर में ही बदल जाता है जितने देर में आप चूल्हे पर चाय चढ़ाकर उसमें पानी, दूध और चायपत्ति डालते हैं। लेकिन सबको अपने ख्याल बदलने का हक है। आपको चाय बनाने की जहमत उठानी पड़ी है इस आधार पर सामने वाले को जबरदस्ती चाय नहीं पिलायी जा सकती। 

अगर सामने वाला बेसुध है, बेहोश है तो उसे चाय मत पिलाइए। बेहोशी में कोई चाय नहीं पीता और न ही वो आपके सवाल "चाय पिओगी?" का जवाब दे सकता है।  

हो सकता है कि जब वो होश में था तो उसने चाय पीने के लिए हामी भरी थी लेकिन अब जब आप चाय बना रहे थे इसी बीच वो बेसुध या बेहोश हो गया। अब आप को चुपचाप चाय पीना का प्लान कैंसिल कर देना चाहिए। जो बेसुध है उसकी सुरक्षा का ख्याल रखिए, उसे चाय कत्तई मत पिलाइए। ठीक है कि होश में उसने हाँ कहा था लेकिन बेहोश शख्स चाय नहीं पीता ये याद रखें।

अगर किसी ने चाय पीने के लिए हामी भरी है और उसे पीना भी शुरू कर  दिया है लेकिन उसे पूरा पीने से पहले ही वो बेसुध हो जाता है तो आप उसे जबरदस्ती पूरी चाय मत पिलाइए। चाय वहाँ से हटा लीजिए और ये सुनिश्चित कीजिए कि वो सुरक्षित रहे क्योंकि बेसुध व्यक्ति चाय नहीं पीते। ये बात पूरी तरह पक्की है। 

अगर किसी ने पिछले हफ्ते आपके साथ चाय पीने के लिए हामी भरी थी तो इसका मतलय ये नहीं है कि उसने हमेशा के लिए "हाँ" कह दिया है। जरूरी नहीं कि वो हर दम हर समय आपके साथ चाय पीना ही चाहे। जबरदस्ती उसके घर पर पहुँचकर आप उसे चाय पीने पर मजबूर मत करें। आप ये नहीं कह सकते कि "लेकिन पिछले हफ्ते तो तुम चाय पीना चाहती थी।" आप अचानक से पहुँचकर किसी को सोते हुए से जगाकर चाय पीने के लिए नहीं कह सकते। आप यह नहीं कह सकते कि "कल  रात तो तुमने मेरे साथ चाय पी थी।"

क्या आपको लगता है कि चाय और सेक्स में तुलना बेवकूफी है? हाँ, आपको ये बातें पहले से पता हैं। आप अच्छी तरह समझते हैं कि किसी ने पिछले हफ्ते आपके साथ चाय पीने के लिए हाँ कहा था इसका ये मतलब नहीं कि वो आज आपके साथ चाय पीने को मजबूर है। अगर किसी ने 5 मिनट पहले भी चाय पीने के लिए हाँ कहा था लेकिन अब वो बेसुध-बेहोश है तो आप उसे उस हालत में चाय नहीं पिला सकते। अगर आप ये बात समझते हैं कि किसी को जबरदस्ती चाय पिलाना बिल्कुल बेतुका है और आप यह समझ सकते हैं कि कई मौकों पर लोगों का चाय पीना का मन नहीं करता तो फिर आपके लिए सेक्स को लेकर यही बात समझने में क्या मुश्किल है?

चाय हो या सेक्स, कंसेंट (सहमति) ही सबकुछ है।

और इसी के साथ मैं चली अपने लिए चाय बनाने। ''

Web Title: supreme court Verdict live in relationship, what is consent

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