सुप्रीम कोर्ट ने नए कृषि कानूनों के अमल पर लगाई रोक, गठित की समिति, जानें कौन-कौन शामिल...

By भाषा | Published: January 12, 2021 04:27 PM2021-01-12T16:27:22+5:302021-01-12T16:46:49+5:30

किसान नेताओं ने तीनों कृषि कानूनों पर रोक लगाने के उच्चतम न्यायालय के फैसले का मंगलवार को स्वागत किया, लेकिन कहा कि जब तक कानून वापस नहीं लिए जाते तब तक वे अपना आंदोलन खत्म नहीं करेंगे।

supreme court verdict four membercommittee kisan andolan farmers protest new farm law | सुप्रीम कोर्ट ने नए कृषि कानूनों के अमल पर लगाई रोक, गठित की समिति, जानें कौन-कौन शामिल...

फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की वैधानिक गारंटी की मांग कर रहे हैं। (file photo)

Highlightsसंयुक्त किसान मोर्चा ने अगले कदम पर विचार करने के लिए आज एक बैठक बुलाई है।उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को अगले आदेश तक विवादास्पद कृषि कानूनों पर रोक लगा दी।किसान पिछले वर्ष 28 नवंबर से दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं।

नई दिल्लीः उच्चतम न्यायालय ने तीन नये कृषि कानूनों को लेकर सरकार और दिल्ली की सीमाओं पर धरना रहे रहे किसानों की यूनियनों के बीच व्याप्त गतिरोध खत्म करने के इरादे से मंगलवार को इन कानूनों के अमल पर अगले आदेश तक रोक लगाने के साथ ही किसानों की समस्याओं पर विचार के लिये चार सदस्यीय समिति गठित कर दी।

प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने सभी पक्षों को सुनने के बाद कहा कि वह इन कानूनों के अमल पर अगले आदेश तक के लिये रोक लगा रही है और चार सदस्यीय समिति का गठन कर रही है। पीठ ने इस समिति के लिये भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष भूपिन्दर सिंह मान, शेतकारी संगठन के अध्यक्ष अनिल घन्वत, दक्षिण एशिया के अंतरराष्ट्रीय खाद्य नीति एवं अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ प्रमोद जोशी और कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी के नामों की घोषणा की।

पीठ ने कहा कि इस बारे में विस्तृत आदेश पारित किया जायेगा। जिन तीन नये कृषि कानूनों को लेकर किसान आन्दोलन कर रहे हैं, वे कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार, कानून, 2020, कृषक उत्पाद व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सरलीकरण) कानून, 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून हैं। वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से सुनवाई के दौरान पीठ ने सख्त लहजे में कहा कि कोई भी ताकत उसे इस तरह की समिति गठित करने से रोक नहीं सकती।

किसान संगठनों से इस समिति के साथ सहयोग करने का अनुरोध भी किया

साथ ही पीठ ने आन्दोलनरत किसान संगठनों से इस समिति के साथ सहयोग करने का अनुरोध भी किया। न्यायालय द्वारा नियुक्त की जाने वाली समिति में आन्दोलनरत किसान संगठनों के शामिल नहीं होने संबंधी खबरों के परिप्रेक्ष्य में शीर्ष अदालत ने टिप्पणी की कि जो वास्तव में इस समस्या का समाधान चाहते हैं वे समिति के साथ सहयोग करेंगे। पीठ ने कहा कि हम देश के नागरिकों की जान माल की हिफाजत को लेकर चिंतित हैं और इस समस्या को हल करने का प्रयास कर रहे हैं।

न्यायालय ने सुनवाई के दौरान न्यायपालिका और राजनीति में अंतर को भी स्पष्ट किया और किसानों से कहा कि यह राजनीति नहीं है। न्यायालय ने साफ कहा कि किसानों को इस समिति के साथ सहयोग करना चाहिए। पीठ को जब यह सूचित किया गया कि उसके समक्ष एक आवेदन दाखिल किया गया है जिसमे आन्दोलरत किसानों को एक प्रतिबंधित संगठन के समर्थन का आरोप लगाया गया है, पीठ ने अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल से इस बारे में जानकारी मांगी।

वेणुगोपाल ने कहा कि किसानों के इस आन्दोलन में ‘खालिस्तानियों’ ने पैठ बना ली है

वेणुगोपाल ने कहा कि किसानों के इस आन्दोलन में ‘खालिस्तानियों’ ने पैठ बना ली है। इस पर पीठ ने उनसे कहा कि इस संबंध में हलफनामा दाखिल किया जाये। वेणुगोपाल ने कहा कि वह बुधवार तक ऐसा कर देंगे। शीर्ष अदालत ने इसके साथ ही दिल्ली पुलिस के माध्यम से केन्द्र द्वारा दायर एक आवेदन पर भी नोटिस जारी किया। इस आवेदन में 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के अवसर पर होने वाले आयोजन में व्यवधान डालने के लिये किसानों के प्रस्तावित ट्रैक्टर या ट्राली मार्च या किसी अन्य तरह के विरोध प्रदर्शन पर रोक लगाने का अनुरोध किया गया है।

इस आवेदन में केन्द्र ने कहा है कि उसे सुरक्षा एजेन्सियों से जांनकारी मिली है कि विरोध करने वाले लोग छोटे छोटे समूहों में गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर मार्च आयोजित करने की योजना बना रहे हैं। न्यायालय ने तीन कृषि कानूनों को लेकर किसानों के विरोध प्रदर्शन से निबटने के तरीके पर सोमवार को केन्द्र को आड़े हाथ लिया था और किसानों के साथ हुयी उसकी बातचीत के तरीके पर गहरी निराशा व्यक्त की थी।

तीन कृषि कानूनों को लेकर केन्द्र और किसान यूनियनों के बीच आठ दौर की बातचीत के बावजूद कोई रास्ता नहीं निकला है क्योंकि केन्द्र ने इन कानूनों को समाप्त करने की संभावना से इंकार कर दिया है जबकि किसान नेताओं का कहना है कि वे अंतिम सांस तक इसके लिये संघर्ष करने को तैयार हैं और ‘कानून वापसी’ के साथ ही उनकी ‘घर वापसी’ होगी। 

Web Title: supreme court verdict four membercommittee kisan andolan farmers protest new farm law

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