सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर क्या बोले इच्छा मृत्यु मांगने वाले लोग
By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: March 9, 2018 03:34 PM2018-03-09T15:34:15+5:302018-03-09T15:34:15+5:30
कोर्ट के इस फैसले से इच्छा मृत्यु की मांग कर रहे लोगों ने राहत की सांस ली है। जानें इच्छा मृत्यु की मांग करने वाले लोगों ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर क्या कहा।
सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय बेंच ने इच्छा मृत्यु पर ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। कोर्ट के फैसले के मुताबिक, 'ऐसे व्यक्ति जिनका उपचार व्यावहारिक रूप से असंभव है, उनकी इच्छा मृत्यु को कुछ दिशा-निर्देशों के साथ कानूनी मान्यता दे दी गई है। इसके लिए इच्छा मृत्यु मांग रहे व्यक्ति के परिजनों और डॉक्टरों की अनुमति चाहिए जिसमें यह कहा जाए कि व्यावहारिक रूप से इनका इलाज संभव नहीं है। इस फैसले के बाद मृत्यु शैय्या पर पहुंच चुके लोगों को निष्क्रिय इच्छामृत्यु दिया जा सकता है। कोर्ट के इस फैसले से इच्छा मृत्यु की मांग कर रहे लोगों ने राहत की सांस ली है। जानें इच्छा मृत्यु की मांग करने वाले लोगों ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर क्या कहा।
यह भी पढ़ेंः- इच्छा मृत्यु पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला: इंसान को 'मौत का अधिकार', ये है पूरा मामला
प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति से यूथेनेसिया की गुहार लगाने वाली लक्ष्मी यादव ने कहा कि यह एक ऐतिहासिक फैसला है। यह अच्छा है कि लोग आत्मसम्मान और सुकून के साथ मर सकेंगे।
This is a monumental verdict. It is good that people can die in peace with some self-respect: Laxmi Yadav, who wrote to Prime Minister & President for #Euthanasiapic.twitter.com/K0WvKFcYxn
— ANI (@ANI) March 9, 2018
मिस्टर और मिसेज लवाते ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से असंतुष्टि जाहिर की है। उन्होंने कहा कि हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पूरी तरह संतुष्ट नहीं हैं। 75 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को यह अधिकार दिया जाना चाहिए। सरकार को इस संबंध में एक पॉलिसी बनानी चाहिए।
We're not fully satisfied with SC's judgement. People above the age of 75 should be given this right. They can verify the details of these people from the police & doctors. Govt should come up with a policy: Mr & Mrs Lavate, who had asked for #Euthanasiapic.twitter.com/MtmBgVCa23
— ANI (@ANI) March 9, 2018
मस्कुलर डिस्ट्रॉफी जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रही अनामिका मिश्रा ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कहा है कि मैंने 2014 में प्रधानमंत्री मोदी से इच्छा मृत्यु की गुहार लगाई थी। उन्होंने मामले का संज्ञान लेते हुए अधिकारियों को मामला देखने के आदेश दिए थे। सुप्रीम कोर्ट का ये एक अच्छा फैसला है।
I had requested for mercy killing in 2014 & PM Modi took cognizance of the same & had told local officers to look into the matter. SC has taken a good decision, we've hope now: Anamika Mishra, patient of Muscular Dystrophy on SC's verdict on #Euthanasiapic.twitter.com/L59jXAbCNM
— ANI (@ANI) March 9, 2018
क्या है लिविंग विल
लिविंग विल के मुताबिक मरीज पहले से यह निर्देश देता है कि वह मरणासन्न स्थिति में पहुंचने या रजामंदी नहीं दे पाने की स्थिति में पहुंचने पर उसे किस तरह का इलाज दिया जाए। यह वैसी स्थिति में ली जा सकती है, जब बीमार शख्स के इलाज की संभावना ना के बराबर हो। मरीज अपनी इच्छा मृत्यु के लिए लिख सकता है। लेकिन इसके लिए गाइडलाइन जारी है। लिविंग विल के बाद का फैसला मेडिकल बोर्ड तय करेगी।
याचिकाकर्ता का कहना
- सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के वक्त वकील प्रशांत भूषण ने कहा था कि किसी की जिंदगी में ऐसी स्थिति आ गई हो कि शख्स सपोर्ट सिस्टम के जिंदा नहीं रह सकता है तो, ऐसे में यह फैसला किया जाना चाहिए कि क्या बिना सपोर्ट सिस्टम के उस शख्स को बचाया जा सकता है या नहीं?
- प्रशांत भूषण का यह भी कहना था कि यह सिर्फ उस शख्स की मर्जी होनी चाहिए कि वह सपोर्ट सिस्टम पर जिंदा रहना चाहता है, या नहीं।
- कोर्ट में प्रशांत भूषण ने यह भी दलील दी थी कि किसी शख्स को आप उसकी बिना मर्जी के जीने के लिए मजबूर नहीं कर सकते हैं।
- कोर्ट में यह भी कहा गया था कि एक ऐसा शख्स जो जीना ही नहीं चाहता है उसके लिए पूरी डॉक्टर की टीम लगाना कहां तक सही है।
पूरा मामला
2015 के फरवरी में सुप्रीम कोर्ट ने इच्छा मृत्यु ( पैसिव यूथेनेशिया) के लिए एक याचिका संविधान पीठ में भेजा था। जिसमें बताया गया था कि कोई शख्स बीमार है और मेडिकल के मुताबिक उसके ठीक होने की संभावना ना के बराबर हो। इसके लिए एक एनजीओ कॉमन कॉज ने याचिका दायर की थी। जिसपर चीफ जस्टिस पी सदाशिवम की अगवाई वाली बेंच फैसला किया था।