जयपुर बम विस्फोट के आरोपियों को बरी किए जाने के खिलाफ अपील पर सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट
By भाषा | Published: May 14, 2023 06:41 PM2023-05-14T18:41:07+5:302023-05-14T18:42:36+5:30
13 मई, 2008 को मानक चौक खंड, चांदपोल गेट, बड़ी चौपड़, छोटी चौपड़, त्रिपोलिया गेट, जौहरी बाजार और सांगानेरी गेट पर एक के बाद एक बम धमाकों से जयपुर दहल उठा था। विस्फोटों में 71 लोग मारे गए थे और 185 घायल हुए थे। बम विस्फोटों के पांच आरोपियों में से मोहम्मद सैफ, सरवर आजमी, सैफुर्रहमान और सलमान को दोषी मानते हुए विशेष न्यायालय ने फांसी की सजा सुनाई थी। बाद में राजस्थान उच्च न्यायालय चारो आरोपियों को बरी कर दिया था।
नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय 2008 के जयपुर श्रृंखलाबद्ध विस्फोटों में मारे गए लोगों के कुछ परिजनों की उस याचिका पर 17 मई को सुनवाई करने पर सहमत हो गया है, जिसमें निचली अदालत द्वारा मौत की सजा पाए चार लोगों को बरी करने के राजस्थान उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती दी गई है।
13 मई, 2008 को मानक चौक खंड, चांदपोल गेट, बड़ी चौपड़, छोटी चौपड़, त्रिपोलिया गेट, जौहरी बाजार और सांगानेरी गेट पर एक के बाद एक बम धमाकों से जयपुर दहल उठा था। विस्फोटों में 71 लोग मारे गए थे और 185 घायल हुए थे। बीस मिनट के अंतराल पर त्रिपोलिया बाजार, मानस चौक, बड़ी चौपाल, छोटी चौपाल और जौहरी बाजार क्षेत्रों में सिलसिलेवार सात बम धमाके हुए थे। बम विस्फोटों के पांच आरोपियों में से मोहम्मद सैफ, सरवर आजमी, सैफुर्रहमान और सलमान को दोषी मानते हुए विशेष न्यायालय ने फांसी की सजा सुनाई थी। बाद में राजस्थान उच्च न्यायालय चारो आरोपियों को बरी कर दिया था। जस्टिस पंकज भंडारी और समीर जैन की खंडपीठ ने मोहम्मद सरवर आजमी, सैफुर्रहमान अंसारी, मोहम्मद सैफ और मोहम्मद सलमान को बरी कर दिया, जिन्हें 2019 में ट्रायल कोर्ट ने मौत की सजा सुनाई थी।
राजस्थान उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा था, "यह मामला संस्थागत विफलता का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। जिसके परिणामस्वरूप एक दोषपूर्ण/त्रुटिपूर्ण/खराब जांच हुई है। हमें डर है कि जांच एजेंसियों की विफलता के कारण पीड़ित होने वाला यह पहला मामला नहीं है और अगर चीजों को वैसे ही जारी रखा जाता है तो यह निश्चित रूप से आखिरी मामला नहीं होगा जिसमें खराब जांच के कारण न्याय प्रशासन प्रभावित हुआ है।"
सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति राजेश बिंदल की पीठ ने विस्फोटों के पीड़ितों के कुछ परिवारों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी की दलीलों पर विचार किया। वरिष्ठ अधिवक्ता ने उच्च न्यायालय के फैसले पर रोक लगाने का भी अनुरोध किया। राजस्थान सरकार ने 25 अप्रैल को मामले में उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देते हुए अपील दायर की थी। शीर्ष अदालत ने 12 मई को विस्फोट पीड़ितों के परिजनों को फैसले के खिलाफ अपील दायर करने की अनुमति दी।