सुप्रीम कोर्ट बहुविवाह और 'निकाह हलाला' के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई के लिए करेगा नई बेंच का गठन
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: March 23, 2023 02:59 PM2023-03-23T14:59:25+5:302023-03-23T15:05:31+5:30
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने मुसलमानों में बहुविवाह और 'निकाह हलाला' के खिलाफ दायर की गई जनहित याचिका के मामले में सुनवाई के लिए पांच जजों की नई संवैधानिक पीठ बनाने की बात कही है।
दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट मुसलमानों में बहुविवाह और 'निकाह हलाला' के खिलाफ दायर की गई जनहित याचिका के मामले में सुनवाई के लिए पांच जजों की नई संवैधानिक पीठ बनाएगा। इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक आदेश जारी किया है। इस मुद्दे पर जनहित याचिका दायर करने वाले वकील अश्विनी उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच से अपील की थी।
वकील अश्विनी उपाध्याय ने सीजेआई की बेंच के समक्ष कहा कि भारतीय दंड संहिता की धारा 494 चालबाजी और हलाला जैसे विवादास्पद पहलूओं को कानूनी वैधता प्रदान करती है। इस नाते माननीय सुप्रीम कोर्ट धारा 494 को रद्द करे ताकि समाज में समान कानून व्यवस्था के तहत ऐसे मामले परिभाषित किये जा सकें।
वकील अश्विनी उपाध्याय की इस अपील पर चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, "मैं इस पर विचार करूंगा। इस विषय में जल्द ही उपयुक् समय देखते हुए एक संविधान पीठ का गठन किया जाएगा, जो इस मामले की सुनवाई करेगा।"
दरअसल इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई जनहित याचिका कई तकनीति कारणों से लंबित चल रही है। पिछले साल 30 अगस्त को जस्टिस इंदिरा बनर्जी, जस्टिस हेमंत गुप्ता, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस सुधांशु धूलिया की पांच जजों की बेंच ने इस याचिका पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, राष्ट्रीय महिला आयोग और राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग से जवाब मांगा था।
लेकिन जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस हेमंत गुप्ता का कार्यकाल पिछले साल 23 सितंबर और 6 अक्टूबर को पूरा हो गया और वो सुप्रीम कोर्ट से रिटायर हो गये। जिसके कारण मुस्लिमों में बहुविवाह और 'निकाह हलाला' संबंधी प्रथाओं के खिलाफ दायर आठ याचिकाओं पर सुनवाई के लिए बेंच को फिर से गठित किया जाना था।
अश्विनी उपाध्याय की ओर से दायर जनहित याचिका में मांग की गई थी कि मुस्लिम वर्ग में प्रचलित बहुविवाह और 'निकाह हलाला' को सुप्रीम कोर्ट असंवैधानिक और अवैध घोषित करने का आदेश जारी करे।
उपाध्याय ने याचिका में कहा कि भारत में केवल मुस्लिम वर्ग को कानूनी तौर पर बहुविवाह की इजाजत है और एक मुस्लिम पुरुष को चार पत्नियां रखने की अनुमति है। इसके साथ ही मुस्लिम वर्ग में प्रचलित 'निकाह हलाला' को अवैध घोषित करना चाहिए क्योंकि उस प्रक्रिया में एक तलाकशुदा मुस्लिम महिला को अपने पूर्व पति से दोबारा निकाह करने के लिए पहले किसी अन्य व्यक्ति से निकाह करनी होती है और उनके बाद वो उससे तलाक लेकर पूर्व पति के साथ निकाह कर सकती है।
सुप्रीम कोर्ट ने जुलाई 2018 में अश्विनी उपाध्याय की याचिका पर एक बैंच ने विचार किया और उसने मामले की सुनवाई के लिए संविधान पीठ के पास भेजा था।