सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर के डीजीपी को तलब किया, पुलिस की जांच को सुस्त बताया और कानून-व्यवस्था को ध्वस्त कहा
By शिवेन्द्र कुमार राय | Updated: August 1, 2023 16:02 IST2023-08-01T16:00:14+5:302023-08-01T16:02:48+5:30
सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर हैरानी जताई कि घटनाओं के बाद लगभग तीन महीने तक एफआईआर दर्ज नहीं की गई थी। सर्वोच्च अदालत ने मणिपुर के पुलिस महानिदेशक को शुक्रवार दोपहर 2 बजे व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में उपस्थित होने का निर्देश दिया है।

सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में मणिपुर के हालात और दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर परेड निकालने वाली घटना के वीडियो को लेकर सुनवाई जारी है। मंगलवार, 1 अगस्त को जातीय हिंसा के संबंध में मणिपुर पुलिस द्वारा की गई जांच को सुप्रीम कोर्ट ने "सुस्त" बताया और कहा कि राज्य की कानून-व्यवस्था और मशीनरी पूरी तरह से ध्वस्त हो गई है।
सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर हैरानी जताई कि घटनाओं के बाद लगभग तीन महीने तक एफआईआर दर्ज नहीं की गई थी और हिंसा पर दर्ज 6000 एफआईआर में से अब तक केवल कुछ ही गिरफ्तारियां हुई हैं। सर्वोच्च अदालत ने मणिपुर के पुलिस महानिदेशक को शुक्रवार दोपहर 2 बजे व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में उपस्थित होने का निर्देश दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, "प्रारंभिक आंकड़ों के आधार पर, प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि जांच में देरी हुई है। घटना और एफआईआर दर्ज करने, गवाहों के बयान दर्ज करने और यहां तक कि गिरफ्तारियों के बीच काफी चूक हुई है। हम मणिपुर के डीजीपी को निर्देश देते हैं कि वह शुक्रवार दोपहर 2 बजे अदालत में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित हों और अदालत के सवालों का जवाब देने की स्थिति में हों।"
बता दें कि मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ मणिपुर हिंसा से संबंधित कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। इसमें न हिंसा के पीड़ितों द्वारा दायर याचिकाएं भी शामिल हैं।
इस मामले में दो पीड़ित महिलाओं का तरफ से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल पक्ष रहे हैं। वहीं राज्य की ओर से पेश हुए भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने आज पीठ को सूचित किया कि 6532 एफआईआर दर्ज की गई हैं और उनमें से 11 महिलाओं के खिलाफ अपराधों से संबंधित हैं।
बता दें कि 3 मई को मणिपुर राज्य में हिंसा भड़क उठी थी। यहां कुकी और मैतई समुदाय के बीत जातीय हिंसा के कारण सैकड़ों लोगों की जान जा चुकी है। इस मामले को लेकर संसद में भी हंगामा है। कुकी समुदाय की दो महिलाओं को दूसरे समुदाय के पुरुषों द्वारा नग्न परेड कराने के वीडियो के वायरल होने के बाद मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने भी इस पर सख्त टिप्पणी की थी।