लावारिस कुत्तों को खाना खिलाने का मामला, सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाई, जानें पूरा मामला
By भाषा | Published: March 5, 2022 04:23 PM2022-03-05T16:23:00+5:302022-03-05T16:24:44+5:30
न्यायमूर्ति विनीत शरण और न्यायमूर्ति अनिरूद्ध बोस की पीठ ने उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली स्वयं सेवी संस्था (एनजीओ) की याचिका पर भारत के पशु कल्याण बोर्ड, दिल्ली सरकार और अन्य को नोटिस जारी किया।
नई दिल्लीः उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली उच्च न्यायालय के उस आदेश पर रोक लगा दी है जिसमें लावारिस कुत्तों को खाने पीने की वस्तुएं दिए जाने के संबंध में दिशा निर्देश जारी किए गए थे। उच्च न्यायालय ने कहा था कि नागारिकों को लावारिस कुत्तों को खाना खिलाने का अधिकार है।
न्यायमूर्ति विनीत शरण और न्यायमूर्ति अनिरूद्ध बोस की पीठ ने उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली स्वयं सेवी संस्था (एनजीओ) की याचिका पर भारत के पशु कल्याण बोर्ड, दिल्ली सरकार और अन्य को नोटिस जारी किया। पीठ ने कहा,‘‘नेटिस जारी करें, इसबीच विरोधी आदेश के क्रियान्वयन पर रोक रहेगी।’’
शीर्ष अदालत स्वयं सेवी संस्था ‘ह्यूमन फाउंडेशन फॉर पीपुल एंड एनीमल’ की ओर से उच्च न्यायालय के 24 जून 2021 के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी। एनजीओ ने अपने तर्क में कहा कि उच्च न्यायालय के निर्देश से लावारिस कुत्तों से खतरा बढ़ सकता है।
एनजीओ ने कहा,‘‘ इंसान की निगरानी और नियंत्रण में और सभी जरूरतों के लिए अपने देखरेख कर्ता पर निर्भर कुत्ते को लोगों को काटने और हमला करने से रोका जा सकता है.....लेकिन लावारिस कुत्तों के साथ ऐसा नहीं है,इसलिए सोसाइटी में,सड़कों पर, और किसी भी सार्वजनिक स्थान पर इन्हें खिलाने से नागरिकों को सीधा खतरा हो सकता है।’’
उच्च न्यायालय ने कहा था कि लावारिस कुत्तों को भोजन का अधिकार है और नागरिकों को कुत्तों को खिलाने का अधिकार है, लेकिन इस अधिकार का प्रयोग करने में सावधानी बरती जानी चाहिए और यह सुनिश्चित होना चाहिए कि यह दूसरों पर आक्रमण नहीं करे और किसी प्रकार की समस्या पैदा नहीं हो।
अदालत परिसर में बंदरों को खाने-पीने की वस्तुएं देने से बचें: दिल्ली उच्च न्यायालय
दिल्ली उच्च न्यायालय ने अधिवक्ताओं, वादियों और कर्मचारियों से अदालत परिसर में बंदरों को खाने-पीने का सामान देने से बचने को कहा है। प्रशासनिक शाखा की ओर से शुक्रवार को जारी आदेश के अनुसार उच्च न्यायालय ने संबंधित व्यक्तियों से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि अदालत की इमारत में कोई खिड़की अथवा कोई ब्लॉक खुला नहीं रहे या वहां कोई देख-रेख करने वाला मौजूद हो।
उप रजिस्ट्रार जावेद खान के हस्ताक्षर वाले आदेश में कहा गया, ‘‘ इस अदालत के सभी अधिवक्ताओं,वादियों और कर्मचारियों से अनुरोध किया जाता है कि वे अदालत परिसर में बंदरों को खाने-पीने का सामान देने से बचें।’’ गौरतलब है कि अदालत ने 28 फरवरी को यह आदेश जारी किया कि बंदरों और कुत्तों जैसे किसी भी लावारिस पशु को परिसर के अंदर खाना नहीं खिलाया जाए। अदालत ने कहा कि उसके संज्ञान में आया है कि कुछ अधिवक्ता, वादी ,कर्मचारी,पुलिसकर्मी और सीआरपीएफ के जवान निर्देशों के बावजूद ‘‘लावारिस पशुओं को खाना खिला रहे हैं।’’