नई दिल्ली, 10 अगस्त: उच्चतम न्यायालय ने जेल में बंद दलित नेता और भीम सेना के संस्थापक चंद्रशेखर आजाद की याचिका पर आज उप्र सरकार को नोटिस जारी किया। चंद्रशेखर ने राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत अपनी नजरबंदी को चुनौती दी है। आजाद उर्फ रावण को सहारनपुर दंगों में उनकी कथित भूमिका के कारण जून, 2017 में गिरफ्तार किया गया था। आजाद की गिरफ्तारी के करीब छह महीने के बाद उनके खिलाफ रासुका के प्रावधान भी लगा दिये गये थे।
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़ की पीठ ने दलित नेता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कोलिन गोन्साल्विज के इस कथन पर विचार किया कि भीम सेना का नेता बगैर किसी राहत के जेल में बंद है। पीठ ने याचिका पर राज्य सरकार को नोटिस जारी किया।
याचिका में दावा किया गया है कि आजाद के मौलिक अधिकारों का हनन किया गया है। दंगा करने के आरोपी आजाद को उत्तर प्रदेश पुलिस के विशेष कार्यबल ने आठ जून, 2017 को हिमाचल प्रदेश के डलहौजी से गिरफ्तार किया था।
सहारनपुर में पिछले साल दो मई को महाराणा प्रताप जयंती के दौरान तेज संगीत बजाने को लेकर हुये विवाद के दौरान दलितों की राजपूतों के साथ झड़प हो गयी थी। इसके बाद हुयी अंतर-जातीय झड़पों में एक व्यक्ति मारा गया था जबकि करीब 25 घरों में आग लगा दी गयी थी।
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