सुप्रीम कोर्ट ने कहा, सिख को बिना हेलमेट के प्रतियोगिता में शामिल नहीं होने देना भेदभाव नहीं
By भाषा | Published: February 20, 2019 05:45 AM2019-02-20T05:45:12+5:302019-02-20T05:45:12+5:30
उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि बिना हेलमेट के साइकिल रेस में भाग लेने से पगड़ीधारी सिख को रोकने की घटना को भेदभाव या उनके धार्मिक अधिकारों के साथ दखल नहीं कहा जा सकता।
उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि बिना हेलमेट के साइकिल रेस में भाग लेने से पगड़ीधारी सिख को रोकने की घटना को भेदभाव या उनके धार्मिक अधिकारों के साथ दखल नहीं कहा जा सकता।
दिल्ली के 50 वर्षीय सिख साइकिल चालक को हेलमेट पहनने से इंकार करने पर लंबी दूरी की स्पर्धा के लिए कथित तौर पर अयोग्य करार दिए जाने के मामले में न्यायालय ने दखल देने से इनकार कर दिया।
न्यायमूर्ति एस ए बोवडे, न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने याचिकाकर्ता जगदीप सिंह पुरी की दलीलों पर आपत्ति भी जतायी कि अगर सेना ड्यूटी के दौरान सिखों को पगड़ी पहनने की अनुमति दे सकती है तो स्पर्धा के आयोजक किस तरह ऐतराज कर सकते हैं।
पुरी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील आर एस सूरी ने कहा कि भारतीय सैन्य बल में सिखों को पगड़ी पहनने की अनुमति दी जा सकती है तो प्रतियोगिता में हिस्सा लेने की अनुमति क्यों नहीं दी जा सकती ।
पीठ ने कहा कि आप स्पर्धा में भाग लेने के इच्छुक लोगों की तुलना सेना के लोगों से नहीं कर सकते। सेना में आपको देश के लिए काम करना होता है। वहां कोई भेद-भाव नहीं होता। आप सेना में शामिल होकर यह नहीं कहते कि मैं जंग में नहीं जाउंगा। लेकिन, आप साइकिल खरीद सकते हैं और साइकिल रेस में चाहें तो भागीदारी नहीं कर सकते।
पिछले साल छह जुलाई को न्यायालय पुरी की याचिका पर विचार करने पर सहमत हुआ था और केंद्र तथा स्पर्धा के आयोजकों को नोटिस जारी किया था।