लाइव न्यूज़ :

उच्चतम न्यायालय ने समिति गठित करने की अधिसूचना जारी करने पर गुजरात सरकार को लगाई फटकार

By भाषा | Updated: November 22, 2021 20:55 IST

Open in App

नयी दिल्ली,22 नवंबर उच्चतम न्यायालय ने कोविड-19 से जान गंवाने वालों को परिजन को 50,000 रुपये की अनुग्रह प्रदान करने पर हुई प्रगति के बारे में सोमवार को केंद्र को राज्यों से आंकड़े जुटाने का निर्देश दिया। साथ ही, न्यायालय ने अपने आदेशों के उलट एक संवीक्षा समिति गठित करने की अधिसूचना जारी करने को लेकर गुजरात सरकार को फटकार लगाई।

न्यायमूर्ति एम. आर. शाह और न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्न की पीठ ने सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता से यह जानना चाहा कि कितने लोगों को भुगतान किया गया है। पीठ ने कहा कि उन्हें सभी राज्यों से आंकड़े एकत्र करने चाहिए। पीठ ने कहा कि इस मामले में सुनवाई की अगली तारीख 29 नवंबर से पहले एक शिकायत निवारण समिति गठित करनी चाहिए।

पीठ, कोविड-19 से मौत का पता लगाने के लिए एक समिति गठित करने के लिए गुजरात सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा 29 अक्टूबर को जारी प्रस्ताव रद्द करने का अनुरोध करने वाली एक अर्जी पर सुनवाई कर रही है।

सुनवाई की शुरूआत में, गुजरात सरकार की ओर से पेश हुए मेहता ने कहा कि न्यायालय के निर्देश पर 18 नवंबर को एक संशोधित प्रस्ताव जारी किया लेकिन इसमें भी कुछ संशोधन की जरूरत है।

पीठ ने कहा कि वह जानना चाहती है कि किसने पहली अधिसूचना जारी की थी और जवाबदेही तय की जानी चाहिए। मेहता ने कहा कि वह जिम्मेदारी लेने को तैयार हैं।

इस पर न्यायमूर्ति शाह ने कहा कि सॉलिसीटर जनरल जिम्मेदारी क्यों लेंगे। उन्होंने कहा, ‘‘अधिसूचना का मसौदा तैयार करने वाले संबद्ध अधिकारी को जिम्मेदारी लेनी होगी।’’

मेहता ने कहा कि भारतीय प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारी मनोज अग्रवाल वर्चुअल सुनवाई से जुड़े हुए हैं और वह न्यायालय की सहायता करेंगे।

पीठ ने अग्रवाल से पूछा कि किसने अधिसूचना का मसौदा तैयार किया था और यह दस्तावेज किसके दिमाग की उपज थी।

अतिरिक्त मुख्य सचिव अग्रवाल ने कहा कि फाइल विभिन्न विभागों से होकर गुजरी और अंत में सक्षम प्राधिकार ने मंजूरी दी।

पीठ ने सवाल किया कि इस मामले में सक्षम प्राधिकार कौन है? अग्रवाल ने जवाब दिया, मुख्यमंत्री।

पीठ ने कहा, ‘‘आपके मुख्यमंत्री को कई चीजें पता नहीं होंगी? श्रीमान सचिव, आप वहां किसलिए हैं? यदि यह आपके दिमाग की उपज है, तो आप कुछ नहीं जानते हैं। क्या आपने हमारे आदेश को समझा ? यह कार्यवाही में विलंब करने की नौकरशाही की कोशिश प्रतीत होती है।

पीठ ने कहा कि राज्य के आंकड़ों के मुताबिक कम से कम 10,000 लोगों की मौत हुई है और महज इसलिए कि झूठे दावे किये जा रहे हैं, इसका यह मतलब नहीं कि सही व्यक्ति परेशान होंगे।

न्यायमूर्ति नागरत्न ने कहा कि मृत्यु प्रमाणपत्र खुद सरकारी विभाग जारी कर रहा, फिर उसमें जालसाजी कैसे हो सकती है।

पीठ ने कहा कि कम से कम 10,000 लोगों को अनुग्रह राशि मिलनी चाहिए और चेतावनी दी कि वह गुजरात भूकंप के बाद मुआवजे बांटने की तर्ज पर वह लोकपाल जैसा विधिक सेवा प्राधिकारी को नियुक्त करेगी।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Open in App

संबंधित खबरें

भारतकथावाचक इंद्रेश उपाध्याय और शिप्रा जयपुर में बने जीवनसाथी, देखें वीडियो

क्रिकेटIND vs SA 3rd ODI: टेस्ट हार का बदला?, वनडे सीरीज पर 2-1 से कब्जा, 9 विकेट से कूटा

क्रिकेटYashasvi Jaiswal maiden century: टेस्ट, टी20 और वनडे में शतक लगाने वाले छठे भारतीय, 111 गेंद में 100 रन

भारत2024 में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव, 2025 तक नेता प्रतिपक्ष नियुक्त नहीं?, उद्धव ठाकरे ने कहा-प्रचंड बहुमत होने के बावजूद क्यों डर रही है सरकार?

भारतजीवन रक्षक प्रणाली पर ‘इंडिया’ गठबंधन?, उमर अब्दुल्ला बोले-‘आईसीयू’ में जाने का खतरा, भाजपा की 24 घंटे चलने वाली चुनावी मशीन से मुकाबला करने में फेल

भारत अधिक खबरें

भारतजमीनी कार्यकर्ताओं को सम्मानित, सीएम नीतीश कुमार ने सदस्यता अभियान की शुरुआत की

भारतसिरसा जिलाः गांवों और शहरों में पर्याप्त एवं सुरक्षित पेयजल, जानिए खासियत

भारतउत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोगः 15 विषय और 7466 पद, दिसंबर 2025 और जनवरी 2026 में सहायक अध्यापक परीक्षा, देखिए डेटशीट

भारतPariksha Pe Charcha 2026: 11 जनवरी तक कराएं पंजीकरण, पीएम मोदी करेंगे चर्चा, जनवरी 2026 में 9वां संस्करण

भारत‘सिटीजन सर्विस पोर्टल’ की शुरुआत, आम जनता को घर बैठे डिजिटल सुविधाएं, समय, ऊर्जा और धन की बचत