लिव इन रिलेशनशिप के पंजीकरण की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई फटकार, सुनवाई से किया इंकार

By शिवेंद्र कुमार राय | Published: March 20, 2023 06:36 PM2023-03-20T18:36:08+5:302023-03-20T18:38:14+5:30

मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछा कि आप इन लोगों की सुरक्षा को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहे हैं या लोगों को लिव इन रिलेशनशिप में नहीं रहने देना चाहते हैं?

Supreme Court reprimanded the demand for registration of live in relationship refused to hear | लिव इन रिलेशनशिप के पंजीकरण की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई फटकार, सुनवाई से किया इंकार

लिव इन रिलेशनशिप के पंजीकरण की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई फटकार, सुनवाई से किया इंकार

Highlightsसुप्रीम कोर्ट में दायर की गई थी लिव इन रिलेशनशिप को लेकर गाइडलाइन बनाने की याचिकाकोर्ट ने याचिका को सुनने से मना करते हुए खारिज कर दिया चीफ जस्टिस ने कहा, यह किस तरह की मांग है?

नई दिल्ली: लिव इन रिलेशनशिप को लेकर गाइडलाइन बनाने और इसका पंजीकरण अनिवार्य करने की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है। मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने इसे बिना सोचे-समझे विचार करार दिया। याचिका में कहा गया था कि लिव इन में रहने वाले जोड़ों के लिए लिव-इन रिलेशनशिप के रिजस्ट्रेशन के लिए नियम और दिशानिर्देश तैयार करने के निर्देश केंद्र सरकार को दिए जाएं क्योंकि बलात्कार और हत्या जैसे अपराधों में वृद्धि हो रही है।

मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछा कि आप इन लोगों की सुरक्षा को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहे हैं या लोगों को लिव इन रिलेशनशिप में नहीं रहने देना चाहते हैं? जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जेबी पारदीवाला ने याचिकाकर्ता से पूछा कि लिव-इन रिलेशनशिप के रजिस्ट्रेशन से केंद्र का क्या लेना-देना है? यह बिना दिमाग वाला आइडिया है। अदालत ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि इस तरह की जनहित याचिकाएं दायर करने वाले याचिकाकर्ताओं पर जुर्माना लगाने का सही समय है।

बता दें कि याचिका में कहा गया था कि लिव इन संबंधों के रजिस्ट्रेशन यानी निबंधन के प्रावधान के अभाव में संविधान के अनुच्छेद 21 में वर्णित महिलाओं के गरिमापूर्ण जीवन जीने और निजता के अधिकार की सुरक्षा की गारंटी का हनन होता है। साथ ही याचिका में बताया गया था कि लिव इन रिलेशनशिप में लगातार बढ़ते धोखे, झांसे और हिंसक अपराधों को रोकने के लिए केंद्र सरकार को इस संबंध में कानून और गाइडलाइन तैयार करने के निर्देश दिए जाएं। याचिका में हाल ही में हुए श्रद्धा, निक्की व अन्य हत्याकांड का भी हवाला दिया गया था।

मामले की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने कहा, "यह किस तरह की मांग है? आपको कैसे लगता है कि लोग ऐसे संबंध का रजिस्ट्रेशन करवाना चाहेंगे? ऐसी याचिका हर्जाना लगा कर खारिज करनी चाहिए। लिव इन संबंधों का रजिस्ट्रेशन कहां होगा?"

याचिका को अदालत का समय खराब करने वाला बताते हुए मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने खारिज कर दिया

Web Title: Supreme Court reprimanded the demand for registration of live in relationship refused to hear

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