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रूसी मां नीना कुटीना के साथ कर्नाटक के जंगल में मिली थीं दोनों बेटियां, इजराइली व्यवसायी गोल्डस्टीन को फटकार लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा- परिवार ‘गुफा में रह रहा था’, आप गोवा में क्या रहे थे?

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: October 6, 2025 22:17 IST

न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने अपनी असहमति व्यक्त करते हुए कहा कि यह देश एक ‘‘सुरक्षित आश्रय’’ बन गया है, जहां ‘‘कोई भी आ सकता है और रह सकता है।’’

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ठळक मुद्देपूछा कि क्या उसके पास भारत में रहने के लिए वैध दस्तावेज हैं। याचिका की प्रति केंद्र को सौंपने की अनुमति दी जानी चाहिए।‘‘हम आपको वापस भेजे जाने का निर्देश क्यों न दें?’’

नई दिल्लीः उच्चतम न्यायालय ने भारत में रह रहे एक इजराइली व्यवसायी को फटकार लगाते हुए सोमवार को सवाल किया कि जब उनका परिवार ‘गुफा में रह रहा था’, उस समय वह गोवा में क्या कर रहे थे। न्यायालय ने यह भी पूछा कि उन्होंने अपनी दोनों ‘‘बेटियों’’ को वापस भेजने पर रोक लगाने का अनुरोध किया था, जो हाल में अपनी रूसी मां के साथ कर्नाटक के एक जंगल में मिली थीं। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने अपनी असहमति व्यक्त करते हुए कहा कि यह देश एक ‘‘सुरक्षित आश्रय’’ बन गया है, जहां ‘‘कोई भी आ सकता है और रह सकता है।’’

साथ ही, पीठ ने उस व्यक्ति से, जो दो बच्चों का संरक्षण मांग रहा है, पूछा कि क्या उसके पास भारत में रहने के लिए वैध दस्तावेज हैं। रूसी नागरिक नीना कुटीना (40) और उनकी दो बेटियों -- जिनकी उम्र छह और पांच साल है -- को 11 जुलाई को कर्नाटक के कुमता तालुक क्षेत्र के गोकर्ण में रामतीर्थ पहाड़ियों में एक जंगल में नियमित गश्त के दौरान पुलिस टीम द्वारा बचाया गया था।

महिला और उसके बच्चों के पास भारत में रहने के लिए वैध दस्तावेज नहीं थे और उन्हें राज्य में महिलाओं के लिए एक विदेशी नागरिक निरूद्ध केंद्र भेज दिया गया। कर्नाटक उच्च न्यायालय ने 26 सितंबर को केंद्र सरकार को उन्हें रूस वापस भेजे जाने के लिए यात्रा दस्तावेज जारी करने का निर्देश दिया था।

गोवा में रहने वाले इजराइली व्यवसायी ड्रोर श्लोमो गोल्डस्टीन, जिन्होंने दोनों लड़कियों के पिता होने का दावा किया था, ने उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी थी। उन्होंने बच्चियों के संरक्षण और उन्हें रूस वापस भेजे जाने से रोकने का निर्देश देने का अनुरोध किया था। न्यायमूर्ति कांत ने कहा, ‘‘आप कौन हैं? आपका क्या अधिकार है?...

कृपया हमें कोई आधिकारिक दस्तावेज दिखाएं, जिसमें आपको बच्चियों का पिता घोषित किया गया हो।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम आपको वापस भेजे जाने का निर्देश क्यों न दें?’’ गोल्डस्टीन के वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता बच्चियों का पिता है और उसे याचिका की प्रति केंद्र को सौंपने की अनुमति दी जानी चाहिए।

न्यायमूर्ति बागची ने वकील से कहा कि यह याचिका एक प्रचार पाने की याचिका के अलावा और कुछ नहीं है। न्यायमूर्ति बागची ने वकील से पूछा, ‘‘यह प्रचार पाने की याचिका के अलावा और कुछ नहीं है। जब आपके बच्चे गुफा में रह रहे थे, तब आप क्या कर रहे थे?’’ न्यायमूर्ति कांत ने कहा, ‘‘आप गोवा में क्या कर रहे थे?

क्या आपके पास इस देश में रहने के लिए कोई वैध दस्तावेज थे? आप नेपाल गए, अपना वीजा विस्तारित कराया और फिर गोवा चले गए।’’ न्यायालय के मिजाज को भांपते हुए, वकील ने याचिका वापस लेने की अनुमति मांगी, जिसे स्वीकार कर लिया गया। न्यायमूर्ति कांत ने कहा, ‘‘यह देश एक सुरक्षित आश्रय बन गया है जहां कोई भी आकर रह सकता है।’’ उच्च न्यायालय ने 26 सितंबर को केंद्र सरकार को रूसी महिला और उसकी दो बच्चियों की वापसी के लिए यात्रा दस्तावेज जारी करने की अनुमति दी थी।

राज्य सरकार के अधिकारियों ने कहा है कि वह और उसके बच्चे बिना किसी वैध यात्रा या निवास दस्तावेज के लगभग दो महीने से वहां रह रहे थे। गोल्डस्टीन ने भारत में अपने बच्चों का पता न लग पाने पर पिछले साल दिसंबर में गोवा के पणजी पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई थी।

टॅग्स :सुप्रीम कोर्टगोवाPoliceकर्नाटकइजराइल
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