मासिक धर्म अवकाश के अनुरोध वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का विचार करने से इनकार, कही ये बात
By मनाली रस्तोगी | Published: February 24, 2023 01:13 PM2023-02-24T13:13:01+5:302023-02-24T13:16:17+5:30
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उस जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया जिसमें सभी राज्यों को यह निर्देश दिए जाने का अनुरोध किया गया था कि वे माहवारी से होने वाली पीड़ा के मद्देनजर छात्राओं और कामकाजी महिलाओं को उनके कार्यस्थल पर उन दिनों अवकाश के प्रावधान वाले नियम बनाएं।
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक जनहित याचिका पर विचार करने से परहेज किया, जिसमें सभी राज्य सरकारों को निर्देश देने की मांग की गई थी कि वो छात्राओं और कामकाजी महिलाओं को उनके कार्यस्थलों पर मासिक धर्म से होने वाली पीड़ा के मद्देनजर अवकाश के प्रावधान वाले नियम बनाएं।
भारत के मुख्य न्यायाधीश धनंजय वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि न केवल यह मामला एक नीतिगत निर्णय के दायरे में है, बल्कि इस तरह का एक निर्देश संभावित कर्मचारियों को नौकरियों के लिए महिलाओं को काम पर रखने से रोक सकता है। पीठ ने कहा, "नीतिगत विचारों को ध्यान में रखते हुए, यह उचित होगा कि याचिकाकर्ता महिला एवं बाल विकास मंत्रालय से संपर्क करे। तद्नुसार याचिका का निस्तारण किया जाता है।"
Supreme Court disposed of the plea seeking state govts to frame rules for menstrual leave for female students and working-class women at their respective educational institutions and workplaces; asked the petitioner to give representation to the Centre on the plea. pic.twitter.com/qV3ZGikzLZ
— ANI (@ANI) February 24, 2023
संक्षिप्त सुनवाई के दौरान पीठ ने इस मामले में हस्तक्षेप करने वाले एक वकील के विचारों का पक्ष लिया कि कोई भी न्यायिक आदेश वास्तव में महिलाओं के लिए प्रतिकूल साबित हो सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "हमने इसका मनोरंजन नहीं किया लेकिन उसके पास एक बिंदु है। यदि आप नियोक्ताओं को मासिक धर्म की छुट्टी देने के लिए बाध्य करते हैं, तो यह उन्हें महिलाओं को काम पर रखने से हतोत्साहित कर सकता है। साथ ही, यह स्पष्ट रूप से एक नीतिगत मामला है...इसलिए हम इससे नहीं निपट रहे हैं।"
अधिवक्ता शैलेंद्र मणि त्रिपाठी द्वारा दायर याचिका में मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 की धारा 14 के अनुपालन के लिए केंद्र और सभी राज्यों को निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।
अधिनियम की धारा 14 निरीक्षकों की नियुक्ति से संबंधित है और इसमें कहा गया है कि उपयुक्त सरकार ऐसे अधिकारियों की नियुक्ति कर सकती है और क्षेत्राधिकार की स्थानीय सीमाओं को परिभाषित कर सकती है जिसके भीतर वे इस कानून के तहत अपने कार्यों का निर्वहन करेंगे।