अवमानना केस: प्रशांत भूषण को सुप्रीम कोर्ट से झटका, सजा की सुनवाई टालने की अर्जी खारिज

By सुमित राय | Published: August 20, 2020 12:12 PM2020-08-20T12:12:58+5:302020-08-20T12:19:47+5:30

सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण की याचिका पर उनकी सजा पर सुनवाई टालने से इंकार कर दिया है।

Supreme Court refuses Prashant Bhushan's plea to defer the hearing on his sentence till his review petition against conviction for criminal contempt is filed and decided | अवमानना केस: प्रशांत भूषण को सुप्रीम कोर्ट से झटका, सजा की सुनवाई टालने की अर्जी खारिज

सुप्रीम कोर्ट ने सजा पर सुनवाई टालने की प्रशांत भूषण की याचिका खारिज कर दी है। (फाइल फोटो)

Highlightsसुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण की याचिका पर उनकी सजा पर सुनवाई टालने से इंकार कर दिया।प्रशांत भूषण न्यायपालिका के लिए अपमानजनक ट्वीट करने के कारण अवमानना के दोषी ठहराए गए हैं।

न्यायपालिका के लिए अपमानजनक दो ट्वीट करने के कारण अवमानना के दोषी ठहराए गए कार्यकर्ता और वकील प्रशांत भूषण को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को प्रशांत भूषण की याचिका पर उनकी सजा पर सुनवाई टालने से इंकार कर दिया। बता दें कि प्रशांत भूषण को न्यायपालिका के प्रति उनके दो अपमानजनक ट्वीट के लिए 14 अगस्त को अदालत की आपराधिक अवमानना का दोषी ठहराया गया था। न्यायालय की अवमानना कानून के तहत अवमानना के दोषी व्यक्ति को छह महीने तक की साधारण कैद या दो हजार रूपए जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है।

प्रशांत भूषण ने सजा के लिए होने वाली सुनवाई स्थगित करने का सुप्रीम कोर्ट से बुधवार को अनुरोध किया था। भूषण ने कहा कि 14 अगस्त के फैसले पर पुनर्विचार याचिका दायर होने और उस पर विचार होने तक कार्यवाही टाली जाए।

सुप्रीम कोर्ट ने अदालत ने प्रशांत भूषण को न्यायपालिका के बारे में अपमानजनक ट्वीट के लिए उन्हें आपराधिक अवमानना का दोषी ठहराया था और कहा था कि इन्हें जनहित में न्यायपालिका के कामकाज की निष्पक्ष आलोचना नहीं कहा जा सकता है। कोर्ट ने कहा था कि वह 20 अगस्त को इस मामले में भूषण को दी जाने वाली सजा पर दलीलें सुनेगा।

प्रशांत भूषण ने अपने आवेदन में कहा है कि वह 14 अगस्त के आदेश का अध्ययन करने और इस पर उचित कानूनी सलाह के बाद पुनर्विचार याचिका दायर करना चाहते हैं। आवेदन में कहा गया है कि इस आदेश के परिणाम सांविधानिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है, विशेषकर बोलने की आजादी के अधिकार के मामले में।

Web Title: Supreme Court refuses Prashant Bhushan's plea to defer the hearing on his sentence till his review petition against conviction for criminal contempt is filed and decided

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