बिल्कीस बानो केस: दोषियों की रिहाई पर सुप्रीम कोर्ट की तीखी प्रतिक्रिया, फाइल नहीं दिखाने पर उठाए सवाल, कहा- अपराध की गंभीरता पर विचार करना चाहिए था

By विनीत कुमार | Published: April 18, 2023 04:45 PM2023-04-18T16:45:27+5:302023-04-18T17:09:53+5:30

बिल्कीस बानो के साथ गैंगरेप का जघन्य अपराध साल 2002 में गुजरात दंगों के दौरान हुआ था। बानो उस समय गर्भवती थीं। इस घटना के दौरान उनके परिवार के सात लोगों की भी हत्या कर दी गई थी।

Supreme Court questions govt for not showing to files of remission in Bilkis Bano case, says crime was horrendous | बिल्कीस बानो केस: दोषियों की रिहाई पर सुप्रीम कोर्ट की तीखी प्रतिक्रिया, फाइल नहीं दिखाने पर उठाए सवाल, कहा- अपराध की गंभीरता पर विचार करना चाहिए था

बिल्कीस बानो केस: दोषियों की रिहाई पर सुप्रीम कोर्ट की तीखी प्रतिक्रिया (फाइल फोटो)

Highlightsबिल्कीस बानो गैंगरेप केस के 11 दोषियों की रिहाई मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई।सेब की तुलना संतरे से नहीं कर सकते, इसी तरह नरसंहार की तुलना एक हत्या से नहीं की जा सकती: सुप्रीम कोर्टकोर्ट ने सरकार से कहा, 'यदि आप दोषियों को छूट देने के अपने कारण नहीं बताते, तो हम खुद निष्कर्ष निकालेंगे'

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बिल्कीस बानो गैंगरेप केस के 11 दोषियों की रिहाई मामले में तीखी प्रतिक्रिया देते हुए मंगलवार को कहा कि अपराध की गंभीरता पर राज्य को विचार करना चाहिए था। कोर्ट ने कहा कि 'सेब की तुलना संतरे से नहीं की जा सकती, इसी तरह नरसंहार की तुलना एक हत्या से नहीं की जा सकती।' जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस बीवी नागारत्ना की बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की।

साथ ही कोर्ट ने बिल्कीस बानो मामले में दोषियों को छूट देने को चुनौती देने वाली याचिकाओं के अंतिम निस्तारण के लिये दो मई की तारीख निर्धारित की। दूसरी ओर केंद्र सरकार और गुजरात सरकार की ओर से कोर्ट में कहा गया कि दोषियों को छूट पर मूल फाइलें मांगने के आदेश की समीक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की जा सकती है।

सुप्रीम कोर्ट ने 27 मार्च को गुजरात और केंद्र सरकार को निर्देश दिए थे कि बिल्कीस बानो के दोषियों की रिहाई जिस आधार पर की गई, इसकी फाइल प्रस्तुत की जाए। हालांकि, ये फाइलें अभी सरकार की ओर से पेश नहीं की गई हैं।

'सेब की तुलना संतरे से नहीं की जा सकती'

पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार कोर्ट ने कहा, 'एक गर्भवती महिला के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया और कई लोगों को मार डाला गया। आप पीड़िता के मामले की तुलना मानक धारा 302 (भारतीय दंड संहिता में हत्या) के मामलों से नहीं कर सकते। जैसे आप सेब की तुलना संतरे से नहीं कर सकते, उसी तरह नरसंहार की तुलना एक हत्या से नहीं की जा सकती। अपराध आम तौर पर समाज और समुदाय के खिलाफ होते हैं। असमान लोगों के साथ समान व्यवहार नहीं किया जा सकता है।'

सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा, 'सवाल यह है कि क्या सरकार ने अपना दिमाग लगाया और क्या बातें रहीं जो छूट देने के फैसले का आधार बनीं।'

कोर्ट ने कहा, 'आज यह बिल्कीस है लेकिन कल यह कोई और भी हो सकता है। यह आप या मैं हो सकते हैं। यदि आप छूट देने के लिए अपने कारण नहीं बताते हैं, तो हम खुद से अपने निष्कर्ष निकालेंगे।' बता दें कि बानो के साथ 2002 के गुजरात दंगों के दौरान सामूहिक बलात्कार किया गया था। साथ ही उस दौरान उनके परिवार के सात सदस्यों की भी हत्या कर दी गई थी। बानो ने अपने दोषियों की 'समय से पहले रिहाई' के सरकार के फैसले को पिछले साल नवंबर में सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।

Web Title: Supreme Court questions govt for not showing to files of remission in Bilkis Bano case, says crime was horrendous

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