तेलंगाना में एक महिला डॉक्टर से रेप और फिर उसे जलाकर मार देने के आरोपियों के पुलिस एनकाउंट को लेकर जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने तीन सदस्यीय जांच आयोग का गठन किया है। इसकी अगुवाई सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज वीएस सिरपुरकर करेंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने साथ ही निर्देश दिये कि कोई दूसरी कोर्ट या ऑथोरिटी इस मामले में कोर्ट के अगले आदेश तक जांच नहीं कर सकती है। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि उसे स्पष्ट तौर पर लगता है कि मामले की निष्पक्ष जांच के लिए एक समिति बनाई जानी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जांच 6 महीने में पूरी हो जानी चाहिए।
इससे पहले मामले में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चार आरोपियों के मुठभेड़ में मारे जाने की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। प्रधान न्यायाधीश एस. ए. बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने दो जनहित याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान यह कहा। याचिकाओं में पिछले सप्ताह मुठभेड़ में मारे गए आरोपियों की स्वतंत्र जांच की मांग की गई थी।
पीठ ने कहा, 'हमारा मानना है कि तेलंगाना में पशु चिकित्सक के साथ सामूहिक बलात्कार और हत्या मामले के चार आरोपियों के मुठभेड़ में मारे जाने की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।'
पीठ में न्यायमूर्ति एस. ए. नजीर और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना भी शामिल थे। उसने कहा कि आपकी (तेलंगाना सरकार) कहानी के कई पहलू हैं, जिनकी जांच की आवश्यकता है। तेलंगाना सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि किसी पुलिस कर्मी को गोली नहीं लगी है लेकिन वे आरोपियों द्वारा किए हमले में घायल हुए।
मामले की सुनवाई के दौरान तेलंगाना एनकाउंटर मामले में पुलिस की ओर से पैरवी कर रहे सीनियर वकील मुकुल रोहतगी ने कहा, 'पूर्व में भी कोर्ट ने रिटायर्ड सुप्रीम जज को नियुक्त किया है लेकिन जांच की निगरानी के लिए एक जज जांच नहीं कर सकता।'
वहीं, चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने कहा, हम सच्चाई की कल्पना नहीं करना चाहते। एक जांच होने दीजिए। आप इसके खिलाफ क्यों हो रहे हैं। हम ये नहीं कह रहे हैं कि आप दोषी हैं। हम एक जांच का आदेश देंगे आप भी इसमें हिस्सा ले सकते हैं।'
इस पर मुकुल रोहतगी ने कहा कि हाई कोर्ट और एनएचआरसी पहले ही मामले की जांच कर रहे हैं। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया जांच होनी चाहिए और इस जांच को 6 महीने में पूरी की जानी चाहिए।