बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट का फरमान, "1 अक्टूबर तक बिना अनुमति के भारत के किसी कोने में नहीं.."
By आकाश चौरसिया | Published: September 17, 2024 03:02 PM2024-09-17T15:02:18+5:302024-09-17T15:34:54+5:30
SC orders on Bulldozer Action: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कड़ा संदेश देते हुए कह दिया कि 1 अक्टूबर तक बिना अनुमति के भारत के किसी कोने में बुलडोजर न चले।
SC orders on Bulldozer Action:सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को निर्देश देते हुए कहा कि बिना अनुमति के 1 अक्टूबर तक भारत के किसी राज्य और किसी कोने में नहीं चलना चाहिए। तब तक सर्वोच्च न्यायापालिका कानूनों के तहत संपत्तियों को कब और कैसे ध्वस्त किया जा सकता है, इस पर निर्देश तैयार करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने उन याचिकाओं पर सुनवाई की, जिनमें शिकायतें उठाई गई थीं कि कई राज्यों में उन व्यक्तियों की संपत्तियों को ध्वस्त किया जा रहा है, जिन पर किसी अपराध में सिर्फ आरोप है।
इन जगहों पर चल सकता है..
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने ये भी साफ कर दिया कि सार्वजनिक सड़क, जल निकाय और रेलवे लाइनों पर इस तरह का आदेश मान्य नहीं है। वहां, जरूरत पड़ने पर सरकार ऐसा कर सकती है। अवैध निर्माण को अतिक्रमण के दरमियान एक प्रक्रिया अपनाना होगा, सार्वजनिक अतिक्रमण हटाएं और निजी संपत्ति पर आप ऐसा नहीं करेंगे। साथ ही कहा, "न्याय में दिखावे की इज्जात नहीं दे सकते"।
The Supreme Court ruled that no demolition should take place in the country without its permission. It was hearing on a plea against bulldozer action by authorities🚨
— Moneycontrol (@moneycontrolcom) September 17, 2024
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2 सितंबर को हुई सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान कहा कि किसी का घर गिराने से पहले ये भी नहीं चेक किया कि ये लीगल है या नहीं, बस आरोप के आधार पर ही गिरा दिा। फिर कोर्ट ने टिप्पणी कर कहा, कैसे आप सिर्फ आरोपित होने पर ही किसी का घर गिरा सकते हैं। यहां तक कि वो अपराधी ही क्यों न घोषित कर दिया जाए, फिर भी बिना कानून के अंतर्गत ऐसा कार्य नहीं कर सकते हैं। शीर्ष अदालत ने इस मुद्दे को प्रभावी ढंग से संबोधित करने के लिए राष्ट्रव्यापी दिशानिर्देश स्थापित करने के अपने इरादे का संकेत दिया।
इस आदेश पर पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने विरोध किया और उन्होंने कहा कि वैधानिक अधिकारियों के हाथ इस तरह से नहीं बांधे जा सकते। शीर्ष अदालत ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अगर एक सप्ताह के लिए विध्वंस रोक दिया जाए तो "आसमान नहीं गिर जाएगा"। पीठ ने कहा कि उसने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी विशेष शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए यह निर्देश पारित किया है।