राफेल विवादः सुप्रीम कोर्ट ने पुनर्विचार याचिकाओं को किया खारिज, मोदी सरकार को मिली बड़ी राहत 

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: November 14, 2019 11:13 AM2019-11-14T11:13:04+5:302019-11-14T11:13:04+5:30

राफेल मामले में पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी तथा कार्यकर्ता-वकील प्रशांत भूषण समेत कुछ अन्य ने याचिकाएं दायर की थी। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच ने गुरुवार को राफेल मामले में दायर की गई सभी पुनर्विचार याचिकाओं को खारिज कर दिया है।

Supreme Court dismisses Rafale review petitions against its December 14, 2018 judgement upholding the 36 Rafale jets' deal | राफेल विवादः सुप्रीम कोर्ट ने पुनर्विचार याचिकाओं को किया खारिज, मोदी सरकार को मिली बड़ी राहत 

राफेल विवादः सुप्रीम कोर्ट ने पुनर्विचार याचिकाओं को किया खारिज, मोदी सरकार को मिली बड़ी राहत 

Highlightsइन याचिकाओं में पिछले साल के 14 दिसंबर के उस फैसले पर पुनर्विचार की मांग की गयी थी प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति के. एम. जोसफ की पीठ ने सुनवाई पूरी की थी।

राफेल विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार को बड़ी राहत दी है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच ने गुरुवार को राफेल मामले में दायर की गई सभी पुनर्विचार याचिकाओं को खारिज कर दिया है। राफेल मामले में पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी तथा कार्यकर्ता-वकील प्रशांत भूषण समेत कुछ अन्य ने याचिकाएं दायर की थी।

इन याचिकाओं में पिछले साल के 14 दिसंबर के उस फैसले पर पुनर्विचार की मांग की गयी थी जिसमें फ्रांस की कंपनी ‘दसॉल्ट’ से 36 लड़ाकू विमान खरीदने के केंद्र के राफेल सौदे को क्लीन चिट दी गयी थी। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति के. एम. जोसफ की पीठ ने राजनीतिक रूप से संवेदनशील इस मामले पर 10 मई को सुनवाई पूरी की थी।  

गौरतलब है कि 14 दिसम्बर 2018 को शीर्ष अदालत ने 58,000 करोड़ के इस समझौते में कथित अनियमितताओं के खिलाफ जांच का मांग कर रही याचिकाओं को खारिज कर दिया था। सुनवाई पूरी करते हुये शीर्ष अदालत ने सौदे के संबंध में विभिन्न मुद्दों पर केंद्र से ‘‘संप्रभु गारंटी से छूट और समझौते में प्रौद्योगिकी हस्तांतरण उपबंध का ना होने’’ आदि पर सवाल किए थे। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने ललिता कुमारी मामले में एक फैसले का उल्लेख किया जिसमें कहा था कि संज्ञेय अपराध होने का खुलासा होने पर प्राथमिकी आवश्यक है। ‘‘ 
पीठ ने कहा था कि सवाल यह है कि आप ललिता कुमारी फैसले का पालन करने के लिए बाध्य हैं या नहीं।’’ अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने पीठ से कहा था कि प्रथम दृष्टया एक मामला होना चाहिए, अन्यथा वे (एजेंसियां) आगे नहीं बढ़ सकतीं। सूचना में संज्ञेय अपराध का खुलासा होना चाहिए। न्यायमूर्ति जोसेफ ने पहले के सौदे का हवाला दिया था और केंद्र से पूछा था कि राफेल पर फ्रांसीसी प्रशासन के साथ अंतर-सरकारी समझौते में प्रौद्योगिकी हस्तांतरण का उपबंध क्यों नहीं है। 

विधि अधिकारी ने कहा, ‘‘अदालत इस तरह के तकनीकी पहलुओं पर फैसला नहीं कर सकती है।’’ समझौते में संप्रभु गारंटी की छूट आदि से जुड़े सवाल पर वेणुगोपाल ने कहा था कि यह ‘‘अभूतपूर्व कवायद’’ नहीं है और रूस तथा अमेरिका के साथ ऐसे समझौतों का उल्लेख किया, जिसमें ऐसी छूट दी गई। उन्होंने कहा, ‘‘यह राष्ट्रीय सुरक्षा का सवाल है। दुनिया की कोई अन्य अदालत इस तरह के तर्कों पर रक्षा सौदे की जांच नहीं करेगी।’’ पूर्व मंत्रियों और अधिवक्ता भूषण ने केन्द्र के जवाब के प्रत्युत्तर में यह हलफनामा दाखिल किया है। न्यायालय में दाखिल अपने हलफनामे में कहा कि दिसम्बर, 2018 के फैसले में शीर्ष अदालत के स्पष्ट निष्कर्ष में ऐसी कोई त्रुटि नहीं है जिसके लिये इस पर पुनर्विचार किया जाये।

समाचार एजेंसी पीटीआई-भाषा से इनपुट्स लेकर

Web Title: Supreme Court dismisses Rafale review petitions against its December 14, 2018 judgement upholding the 36 Rafale jets' deal

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