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संस्कृत को राष्ट्रभाषा घोषित करने की मांग सुप्रीम कोर्ट ने की खारिज, याचिकाकर्ता से कहा- क्या आप सुना सकते हैं एक लाइन?

By विनीत कुमार | Updated: September 2, 2022 15:26 IST

सुप्रीम कोर्ट ने संस्कृत को राष्ट्रभाषा घोषित करने संबंधी याचिका को शुक्रवार को खारिज कर दिया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि ऐसे मामले नीतिगत हैं और संविधान संशोधन के जरिए ये बदलाव किए जा सकते हैं।

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ठळक मुद्देसंस्कृत को राष्ट्रभाषा घोषित करने की मांग सुप्रीम कोर्ट ने की खारिज।कोर्ट ने कहा कि किसी भाषा को राष्ट्रभाषा का दर्जा देना नीतिगत मामला है, संविधान संशोधन की जरूरत।कोर्ट ने कहा- किसी भाषा को राष्ट्रभाषा घोषित करने के लिए संसद को कोई रिट जारी नहीं की जा सकती है।

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने संस्कृत को राष्ट्रभाषा घोषित करने की मांग के साथ दाखिल की गई जनहित याचिका को शुक्रवार को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि किसी भाषा को राष्ट्रभाषा का दर्जा देना नीतिगत मामला है और इसके लिए संविधान संशोधन की जरूरत होगी। कोर्ट के आदेश से ऐसा नहीं किया जा सकता है।

जस्टिस एमआर शाह और कृष्ण मुरारी की बेंच ने कहा, 'यह नीतिगत निर्णय के दायरे में है और इसके लिए भारत के संविधान में संशोधन किया जाना होगा। किसी भाषा को राष्ट्रभाषा घोषित करने के लिए संसद को कोई रिट जारी नहीं की जा सकती है।'

संस्कृत को राष्ट्रभाषा घोषित करने संबंधी याचिका डीजी वंजारा की ओर से दायर की गई थी जो सेवानिवृत नौकरशाह और एक वकील भी हैं।

क्या आप एक लाइन संस्कृत में बोल सकते हैं?

बेंच ने सुनवाई के दौरान ये भी पूछा कि भारत में कितने शहरों में संस्कृत बोली जाती है? दरअसल याचिकाकर्ता वंजारा का कहना था कि वह केंद्र की तरफ से इस पर चर्चा चाहते हैं और अदालत का दखल सरकार के इस स्तर पर चर्चा शुरू करने में मददगार होगा। 

बेंच ने हल्के अंदाज में पूछा, 'क्या आप संस्कृत बोलते हैं? क्या आप संस्कृत में एक लाइन बोल सकते हैं या आपकी रिट याचिका का संस्कृत में अनुवाद कर सकते हैं।' इस पर वंजारा ने श्लोक सुनाया। हालांकि बेंच ने कहा, 'यह हम सभी को पता है।'

वंजारा ने इसके बाद ब्रिटिश राज के दौरान कलकत्ता के तत्कालीन सुप्रीम कोर्ट के एक पूर्व न्यायाधीश सर विलियम जोन्स का हवाला दिया, जब उन्होंने टिप्पणी की थी कि 22 भाषाओं का अध्ययन किया, उनमें से संस्कृत स्पष्ट रूप से मातृभाषा है। 

इस पर कोर्ट ने कहा, 'हम उस दृष्टिकोण को समझते हैं। हम जानते हैं कि हिंदी और अन्य राज्य की भाषाओं में कई शब्द संस्कृत से आए हैं। लेकिन यह भाषा को राष्ट्रभाषा घोषित करने का आधार नहीं हो सकता। हमारे लिए किसी भाषा को राष्ट्रभाषा घोषित करना बहुत कठिन है।'

इस पर याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि अनुच्छेद 32 के तहत शीर्ष अदालत के पास पर्याप्त गुंजाइश है और इस मुद्दे पर केंद्र की राय जानने के लिए इस दिशा में एक शुरुआत की जा सकती है। पीठ ने कहा, 'यह बहस संसद में होनी है।' याचिका को खारिज करते हुए, पीठ ने कहा कि अगर याचिकाकर्ता ऐसा विचार रखते हैं तो वह इस मांग को सरकार के पास रख सकते हैं।

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