सुप्रीम कोर्ट ने हाथरस केस से संबंधित अपील की खारिज, पीड़िता के परिजनों को नौकरी देने का है मामला

By अंजली चौहान | Published: March 27, 2023 01:27 PM2023-03-27T13:27:13+5:302023-03-27T14:07:21+5:30

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश धनंजय वाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली पीठ ने कहा कि राज्य को ऐसे निर्देशों को चुनौती नहीं देनी चाहिए।

Supreme Court dismisses appeal related to Hathras case there is a matter of giving job to the victim's family | सुप्रीम कोर्ट ने हाथरस केस से संबंधित अपील की खारिज, पीड़िता के परिजनों को नौकरी देने का है मामला

फाइल फोटो

Highlightsहाथरस केस में परिजनों को नौकरी देने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से किया इनकार कोर्ट ने राज्य की अपील को किया खारिज मामला हाथरस गैंगरेप पीड़िता के परिवार को नौकरी देने का है

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उत्तर प्रदेश के हाथरस केस से संबंधित एक याचिका पर सुनवाई करने से इनकार करते हुए याचिका खारिज कर दी है।

दरअसल, उत्तर प्रदेश सरकार को 19 वर्षीय दलित महिला के परिवार के एक सदस्य को रोजगार देने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया, जिसके साथ सितंबर 2020 में बलात्कार और हत्या के जघन्य अपराध को अंजाम दिया गया। 

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश धनंजय वाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली पीठ ने कहा कि राज्य को ऐसे निर्देशों को चुनौती नहीं देनी चाहिए। ये परिवार को प्रदान की जाने वाली सुविधाएं हैं।

हमें हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। पीठ ने पीड़ित परिवार को हाथरस के बाहर पुनर्वास के निर्देश की भी पुष्टि की है। गौरतलब है कि जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जेबी पारदीवाला की पीठ ने एक संक्षिप्त आदेश के माध्यम से राज्य की इस अपील को खारिज कर दिया।

कोर्ट ने कहा, "मामले में विशेष तथ्यों और परिस्थितियों में हस्तक्षेफ करने के लिए अदालत इच्छुक नहीं है। 

उत्तर प्रदेश की और से अदालत में पेश अतिरिक्त महाधिवक्ता गरिमा प्रसाद ने कहा कि अदालत को इन ममाले पर विचार करते समय कानून के बिंदू पर ध्यान देना चाहिए कि क्या पीड़िता का बड़ा विवाहित भाई आश्रित होगा? हालांकि, पीठ इस बात पर अड़ी रही कि वह राज्य की अपील पर विचार नहीं करेगी। 

उच्च न्यायालय ने साल 2022 के जुलाई महीने में सुनवाई करते हुए कहा था कि राज्य के अधिकारियों को 30 सितंबर को रोजगार देने के लिए परिवार से लिखित रूप में किए गए वादे का पालन करना चाहिए।

इसके तहत अधिकारियों को हाथरस के बाहर लेकिन उत्तर प्रदेश के भीतर परिवार के स्थानातरण पर विचार करने का निर्देश दिया गया था। 

जानकारी के मुताबिक, हाईकोर्ट ने कथित रूप से बिना परिवार की सहमति के आधी रात के बाद हड़बड़ी में महिला का अंतिम संस्कार किए जाने के बाद 2020 में सभ्य और गरिमापूर्ण अंतिम संस्कार के अधिकार के रूप में स्वत संज्ञान में दर्ज एक जनहित याचिका पर यह आदेश पारित किया था। 

मालूम हो कि यूपी के हाथरस में पीड़िता के साथ गैंगरेप के मामले में चार आरोपियों की पहचान की गई थी। घटना उस समय हुई जब पीड़िता मवेशियों के लिए चारा लेने गई थी, इसी दौरान चारों आरोपियों ने उसके साथ बलात्कार किया था।

मामले में फैसला करते हुए हाथरस की एक विशेष अदालत ने 2 मार्च को कहा था कि मामले का मुख्य आरोपी संदीप सिसोदिया को गैर इरादतन हत्या और अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अधिनियम के तहत दोषी पाया गया है।

हालांकि, उसे बलात्कारों के आरोपों से बरी कर दिया गया। आरोपी संदीप सिसोदिया को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। वहीं, तीन अन्य आरोपियों को सभी आरोपों से बरी कर दिया गया है। 

Web Title: Supreme Court dismisses appeal related to Hathras case there is a matter of giving job to the victim's family

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