सुप्रीम कोर्ट ने राफेल विमान सौदे की जांच से जुड़ी सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों ने एकमत से फैसला सुनाते हुए कहा कि इस सौदे में दखल देने का कोई कारण नहीं है। कोर्ट ने कहा कि सरकार की बुद्धिमत्ता पर जजमेंट लेकर नहीं बैठ सकते। इसके अलावा ऑफसेट पार्टनर चुनने के लिए पक्षपात करने के लिए सबूत का अभाव बताया है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस के.एम. जोसेफ की पीठ ने इस मामले में दायर याचिकाओं पर 14 नवंबर को सुनवाई पूरी की थी।
CJI रंजन गोगोई की टिप्पणी
सीजेआई रंजन गोगोई ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा, 'ऑफसेट पार्टनर चुनने में दखल देने का कोई सवाल नहीं है। किसी व्यक्ति के परसेप्शन के आधार पर रक्षा सौदे से संवेदनशील मसले पर जांच बिठाना उचित नहीं है।' उन्होंने कहा कि सरकार पर 36 की बजाए 126 विमान खरीदने का दबाव नहीं डाल सकते। कीमतों की तुलना करना सरकार का काम नहीं है।
सरकार को राहत, विपक्ष को झटका
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला केंद्र की मोदी सरकार के लिए बड़ी राहत है वहीं विपक्ष के लिए बड़ा झटका है। राहुल गांधी अलग-अलग मंचों से राफेल विमान सौदे में गड़बड़ी के आरोप लगाते रहे हैं। बीजेपी प्रवक्ता नलिन कोहली ने कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी को गंभीर चिंतन करने की जरूरत है। जहां धुआं भी नहीं हैं वहां आग की बात करना देशहित में नहीं है।
केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने फैसले पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि अब सबकुछ साफ हो चुका है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद जांच के लिए समिति बनाने का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता। प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को गलत ठहराया है। उन्होंने कहा कि इससे कैम्पेन बंद नहीं होगा। हम जल्दी ही तय करेंगे कि समीक्षा याचिका दायर करनी है अथवा नहीं।
क्या है पूरा मामला?
इस सौदे में अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए सबसे पहले अधिवक्ता मनोहर लाल शर्मा ने जनहित याचिका दायर की थी। इसके बाद, एक अन्य अधिवक्ता विनीत ढांडा ने याचिका दायर कर शीर्ष अदालत की निगरानी में इस सौदे की जांच कराने का अनुरोध किया था।
इस सौदे को लेकर आप पार्टी के सांसद संजय सिंह और इसके बाद दो पूर्व मंत्रियों तथा भाजपा नेताओं यशवंत सिन्हा और अरूण शौरी के साथ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने एक अलग याचिका दायर की। इस याचिका में अनुरोध किया गया कि लड़ाकू विमानों की खरीद के सौदे में अनियमित्ताओं के लिए केंद्रीय जांच ब्यूरो को प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया जाए।
केंद्र सरकार ने फ्रांस से 36 लड़ाकू विमान खरीदने के सौदे का पुरजोर बचाव किया और इनकी कीमत से संबंधित विवरण सार्वजनिक करने की मांग का विरोध किया। भारत ने करीब 58,000 करोड़ रुपए की कीमत से 36 राफेल विमान खरीदने के लिये फ्रांस के साथ समझौता किया है ताकि भारतीय वायुसेना की मारक क्षमता में सुधार किया जा सके।