कर्नाटक: चार फीसदी मुस्लिम आरक्षण खत्म करने के मामले में सुनवाई सुप्रीम कोर्ट ने 25 अप्रैल तक के लिए टाला
By विनीत कुमार | Published: April 18, 2023 12:03 PM2023-04-18T12:03:27+5:302023-04-18T12:26:39+5:30
कर्नाटक में चार प्रतिशत मुस्लिम कोटा खत्म करने के मामले में सुनवाई को सुप्रीम कोर्ट ने 25 अप्रैल तक के लिए टाल दिया है। कर्नाटक सरकार की ओर से जवाब दाखिर करने के लिए समय मांगा गया था। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामले को अगली सुनवाई के लिए 25 अप्रैल को सूचिबद्ध करने का निर्देश दिया।
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक में चार प्रतिशत मुस्लिम कोटा खत्म करने के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई 25 अप्रैल तक के लिए टाल दी है। कर्नाटक की सरकार ने मामले परप अपना जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा था। इसके बाद कोर्ट ने सुनवाई को 25 अप्रैल तक टालने का फैसला किया।
मामले में राज्य सरकार की ओर से दलील रख रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि उन्हें समलैंगिक विवाह वाले मामले पर संविधान पीठ के सामने बहस करनी है और इसलिए वे कोटा मामले पर सप्ताह के आखिर तक जवाब दाखिल कर सकेंगे।
इस पर कोटा खत्म करने को चुनौती देने वाले कुछ याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने राज्य के अनुरोध पर कोई आपत्ति नहीं जताई, लेकिन कहा कि उन्हें सप्ताह के अंत में जवाब दिया जाना चाहिए, ताकि वे सुनवाई की अगली तारीख से पहले इसे पढ़ सकें।
इससे पहले पिछले हफ्ते चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस पी एस नरसिम्हा और जस्टिस जे बी पारदीवाला की पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल की दलील का संज्ञान लिया कि याचिका में मौजूद सभी खामियां दूर कर दी गई हैं। इसके बाद पीठ ने मामले को सूचीबद्ध करने पर सहमति जताई थी।
मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई के नेतृत्व वाली कर्नाटक सरकार ने राज्य में मुसलमानों को हासिल चार फीसदी आरक्षण को हाल ही में खत्म करने का फैसला किया था। कर्नाटक सरकार ने अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के मुसलमानों के लिए चार फीसदी कोटा समाप्त करते हुए सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में आरक्षण की दो नयी श्रेणी की घोषणा की थी।
ओबीसी मुसलमानों के चार फीसदी कोटे को वोक्कलिगा और लिंगायत समुदायों के बीच बांट दिया गया है। यही नहीं, आरक्षण के लिए पात्र मुसलमानों को आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के तहत वर्गीकृत कर दिया गया है। राज्य सरकार के फैसले के बाद अब वहां आरक्षण की सीमा करीब 57 फीसदी हो गई है।
(भाषा इनपुट)