नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के गुट की ओर से बतौर शिवसेना पार्टी नया पार्टी सचेतक नियुक्त करने के महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष के फैसले के खिलाफ उद्धव ठाकरे गुट की नई याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार किया है। कोर्ट ने कहा है कि वह इस मामले की भी लंबित अन्य मामलों के साथ 11 जुलाई को सुनवाई करेगा।
दरअसल, एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना के बागी विधायकों के गुट के नए पार्टी सचेतक को मान्यता देने के महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नर्वेकर के आदेश के खिलाफ उद्धव ठाकरे गुट ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। उद्धव ठाकरे की ओर ये याचिका आज दायर की गई थी। इस बीच सोमवार को एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार ने महाराष्ट्र विधानसभा में बहुमत हासिल कर लिया। शिंदे के समर्थन में 164 जबकि विरोध में 99 वोट पड़े।
जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस जे.के. माहेश्वरी की अवकाशकालीन पीठ ने कहा कि नई याचिका पर लंबित अन्य मामलों के साथ 11 जुलाई को उसी पीठ द्वारा सुनवाई की जाएगी। उद्धव ठाकरे गुट की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता ए. एम. सिंघवी ने कहा, ‘ सचेतक को मान्यता देना अध्यक्ष के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता। यह इस अदालत के समक्ष कार्यवाही की यथास्थिति को बदल रहा है। अध्यक्ष ने आधी रात को नए सचेतक की नियुक्ति की।’
इस पर जस्टिस बनर्जी ने कहा, ‘अभी मेरे समक्ष दस्तावेज मौजूद नहीं है। इन सब पर 11 जुलाई को ही सुनवाई करते हैं।’ गौरतलब है कि एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार के शक्ति परीक्षण से पहले रविवार को पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को झटका देते हुए महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने रविवार को अजय चौधरी को हटाकर शिंदे को फिर से शिवसेना विधायक दल का नेता नियुक्त कर दिया था।
नार्वेकर ने शिवसेना के मुख्य सचेतक के रूप में शिंदे खेमे से भरत गोगावले की नियुक्ति को भी मान्यता दे दी और ठाकरे गुट के सुनील प्रभु को हटा दिया।
इससे पहले कोर्ट ने एक जुलाई को कहा था कि वह महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उन 15 बागी विधायकों को विधानसभा से निलंबित किए जाने का अनुरोध करने वाली शिवसेना के मुख्य सचेतक सुनील प्रभु की याचिका पर 11 जुलाई को सुनवाई करेगा, जिनके खिलाफ अयोग्यता याचिकाएं लंबित हैं।
(भाषा इनपुट)