उच्चतम न्यायालय ने उप्र में डिप्टी कलेक्टर की नियुक्ति से जुड़ा मामला 37 साल बाद बंद किया

By भाषा | Updated: November 23, 2021 22:31 IST2021-11-23T22:31:26+5:302021-11-23T22:31:26+5:30

Supreme Court closes the matter related to the appointment of Deputy Collector in UP after 37 years | उच्चतम न्यायालय ने उप्र में डिप्टी कलेक्टर की नियुक्ति से जुड़ा मामला 37 साल बाद बंद किया

उच्चतम न्यायालय ने उप्र में डिप्टी कलेक्टर की नियुक्ति से जुड़ा मामला 37 साल बाद बंद किया

नयी दिल्ली, 23 नवंबर उत्तर प्रदेश में डिप्टी कलेक्टर के रूप में नियुक्त होने की एक व्यक्ति की कानूनी लड़ाई मंगलवार को उच्चतम न्यायालय में समाप्त हो गई। शीर्ष न्यायालय ने पाया कि सेवानिवृत्ति की उम्र पूरी होने पर 2019 में वह मौजूदा पद से सेवानिवृत्त हो गये।

डिप्टी कलेक्टर पद के लिए 37 साल पहले परीक्षा हुई थी।

शीर्ष न्यायालय ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 2014 के फैसले के खिलाफ उत्तर प्रदेश सरकार की अपील स्वीकार कर ली। उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को चुन्नी लाल को डिप्टी कलेक्टर के तौर पर नियुक्त करने को कहा था। हालांकि, वह 2019 में उप परिवहन आयुक्त के पद से सेवानिवृत्त हो गये।

न्यायमूर्ति एम. आर. शाह और न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना की पीठ ने यह उल्लेख कि अब उच्च न्यायालय का उक्त फैसला लागू नहीं किया जा सकता, क्योंकि डिप्टी कलेक्टर के पद पर प्रतिवादी संख्या 1 (चुन्नी लाल) को अब नियुक्त करने का कोई मतलब नहीं है।

शीर्ष न्यायालय ने यह भी कहा, ‘‘दो लोगों को एक पद पर नियुक्त करने का निर्देश नहीं दिया जा सकता। इसलिए उक्त फैसला और उच्च न्यायालय का आदेश रद्द किये जाने का हकदार है। ’’

मामले के इतिहास के मुताबिक, डिप्टी कलेक्टर के 35 पदों के लिए चयन प्रकिया उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने शुरू की थी और इसके लिए 1985 में परीक्षाएं ली गई थी।

आयोग ने 1987 में डिप्टी कलेक्टर के पद पर चयनित उम्मीदवारों की नियुक्ति के लिए एक अनुरोध पत्र राज्य सरकार को भेजा और दो पद रिक्त रह गये क्योंकि दो उम्मीदवार नियुक्ति के लिए नहीं आये ।

इससे एक कानूनी लड़ाई शुरू हो गई क्योंकि आयोग ने दो अन्य उम्मीदवारों--दिग्विजय सिंह और चुन्नी लाल-- के नाम डिप्टी कलेक्टर के तौर पर नियुक्ति के लिये भेज दिया।

इस बीच, अजय शंकर पांडेय नाम के एक व्यक्ति ने उच्च न्यायालय का रुख किया और सामान्य श्रेणी में 1989 में डिप्टी कलेक्टर के रूप में नियुक्त किये जाने का वह मुकदमा जीत गये। इसके साथ ही, आयोग ने चुन्नी लाल के पक्ष में की गई सिफारिश वापस ले ली। तब चुन्नी लाल ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।

हालांकि, उच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया कि अजय शंकर पांडेय की नियुक्ति में किसी भी तरह हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता। इस पर, राज्य सरकार शीर्ष न्यायालय पहुंची और फैसले पर स्थगन ले लिया।

अपील पर फैसला करते हुए शीर्ष न्यायालय ने कहा कि मूल रिट याचिकाकर्ता चुन्नी लाल सेवानिवृत्ति की उम्र पूरी होने पर 31 अगस्त 2019 को उप परिवहन आयुक्त के पद से सेवानिवृत्त हो गये और उच्च न्यायालय द्वारा जारी आदेश लागू किये जाने योग्य नहीं है, क्योंकि अब उन्हें नियुक्त करने का कोई मतलब नहीं है।

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Web Title: Supreme Court closes the matter related to the appointment of Deputy Collector in UP after 37 years

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