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सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार से मांगा जवाब, नेताओं के लिए कितनी विशेष अदालतें बनी?

By भाषा | Updated: August 21, 2018 23:39 IST

न्यायालय उन याचिकओं पर सुनवाई कर रहा है जिसमे सजायाफ्ता नेताओं को जेल की सजा के बाद छह साल के लिये चुनाव लड़ने के अयोग्य बनाने संबंधी जनप्रतिनिधित्व कानून के प्रावधानों को संविधान के अनुरूप नहीं होने की घोषणा करने का आग्रह किया गया है।

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नई दिल्ली, 21 अगस्त: उच्चतम न्यायालय ने आज सरकार से कहा कि उसके पिछले साल के आदेश के बाद राजनीतिक व्यक्तियों से संबंधित मुकदमों की सुनवाई के लिये गठित की गयी विशेष अदालतों का ब्यौरा पेश किया जाये। शीर्ष अदालत ने पिछले साल 14 दिसंबर को राजनीतिक व्यक्तियों की संलिप्तता वाले मुकदमों की सुनवाई के लिये 12 विशेष अदालतें गठित करने और इनमें एक मार्च से कामकाज सुनिश्चित करने का निर्देश केन्द्र को दिया था। न्यायमूर्ति रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने आज यह जानकारी मुहैया कराने का केन्द्र को निर्देश दिया कि ये विशेष अदालतें सत्र अदालत हैं या फिर मजिस्ट्रेट की अदालत हैं। पीठ ने इनके अधिकार क्षेत्र का विवरण भी मांगा है। पीठ ने सरकार को यह बताने का भी निर्देश दिया है कि ऐसे प्रत्येक विशेष अदालत में कितने मामले लंबित हैं और इनमे से मजिस्ट्रेट और सत्र अदालत में मुकदमे लायक मामले कौन कौन से हैं। पीठ यह भी जानना चाहती है कि क्या सरकार की मंशा अभी तक स्थापित की जा चुकी अदालतों से इतर भी अतिरिक्त विशेष अदालतें गठित करने की है।न्यायालय ने यह सारी जानकारी उपलब्ध कराने का निर्देश देने के साथ ही इस संबंध में दायर जनहित याचिकाओं की सुनवाई 28 अगस्त के लिये स्थगित कर दी। दिल्ली उच्च न्यायलय की ओर से पेश वकील ने न्यायालय को सूचित किया कि राजधानी में दो विशेष अदालतें गठित की जा चुकी हैं। इनमें एक सत्र अदालत है और दूसरी मजिस्ट्र्रेट की अदालत है। पीठ ने उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल को इस संबंध में और विवरण के साथ 28 अगस्त से पहले हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया। इस हलफनामे में दोनों विशेष अदालतों को सौंपे गये मुकदमों की संख्या का विवरण भी देना है। इस ममले में याचिका दायर करने वाले वकील अश्वनी कुमार उपाध्याय ने पीठ से कहा कि केन्द्र ने इसमें हलफनामा दाखिल किया है लेकिन उसे इसकी प्रति नहीं दी गयी है।दूसरी ओर, केन्द्र सरकार के वकील ने कहा कि हलफनामा इस साल मार्च में दाखिल किया गया था। पीठ ने केन्द्र के वकीलों को निर्देश दिया कि वह दूसरे पक्ष को हलफनामे की प्रति मुहैया करायें। शीर्ष अदालत ने केन्द्र के हलफनामे का जिक्र करते हुये टिप्पणी की कि इसमें अधूरी जानकारी दी गयी है। इसमें कहा गया है कि सरकार राज्यों से प्राप्त सूचनाओं का संकलित करने की प्रक्रिया में है। पीठ ने केन्द्र से कहा कि पिछले साल एक नवंबर को उसके समक्ष रखे गये सवालों के बारे में 28 अगस्त को न्यायालय को अवगत कराया जाये। न्यायालय ने एक नवंबर को केन्द्र से जानना चाहा था कि (2014 को नामांकन दाखिल करते समय दी गयी जानकारी के अनुसार) 1581 विधायकों और सांसदों की संलिप्तता वाले मामलों में से शीर्ष अदालत के 10 मार्च , 2014 के फैसले में निर्धारित समय सीमा के भीतर कितने मामलों का निस्तारण किया गया था।न्यायालय उन याचिकओं पर सुनवाई कर रहा है जिसमे सजायाफ्ता नेताओं को जेल की सजा के बाद छह साल के लिये चुनाव लड़ने के अयोग्य बनाने संबंधी जनप्रतिनिधित्व कानून के प्रावधानों को संविधान के अनुरूप नहीं होने की घोषणा करने का आग्रह किया गया है।

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