एक कुशल राजनीतिज्ञ और सक्षम प्रशासक थे सुब्रत मुखर्जी

By भाषा | Updated: November 5, 2021 12:31 IST2021-11-05T12:31:31+5:302021-11-05T12:31:31+5:30

Subrata Mukherjee was an efficient politician and an able administrator. | एक कुशल राजनीतिज्ञ और सक्षम प्रशासक थे सुब्रत मुखर्जी

एक कुशल राजनीतिज्ञ और सक्षम प्रशासक थे सुब्रत मुखर्जी

कोलकाता, पांच नवंबर तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के वरिष्ठ नेता एवं पश्चिम बंगाल सरकार में मंत्री रहे सुब्रत मुखर्जी को इतिहास में एक ऐसे व्यक्ति के तौर पर याद किया जाएगा, जिन्होंने बंगाल की राजनीति में एक कुशल राजनीतिज्ञ के अलावा एक सक्षम प्रशासक के रूप में 50 से भी अधिक वर्षों तक काम कर अपनी विशेष पहचान बनाई।

मुखर्जी (75) का लंबी बीमारी के कारण बृहस्पतिवार की शाम को यहां एक सरकारी अस्पताल में निधन हो गया था। वह बंगाल सरकार में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग का कार्यभार संभाल रहे थे।

उन्हें एक ऐसे व्यक्ति के रूप में याद किया जाएगा, जिन्होंने विषम परिस्थितियों के बावजूद शानदार काम किया और राजनीति के क्षेत्र में समय के साथ बदलती हुईं परिस्थितियों के मुताबिक खुद को ढाला और हर स्थिति का डटकर सामना किया।

पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना जिले में 1946 में जन्में मुखर्जी अपने पांच भाई-बहनों में सबसे बड़े थे।

बंगाल की राजनीति में एक दिग्गज राजनेता के रूप में विख्यात मुखर्जी का राजनीतिक जीवन पांच दशकों से भी अधिक समय तक चला, जिसकी शुरुआत उन्होंने 1960 के दशक में एक छात्र नेता के रूप में की थी।

मुखर्जी ने 1967 में बंगबासी कॉलेज के छात्र नेता के रूप में उस समय राजनीति में प्रवेश किया, जब पश्चिम बंगाल में पहली गैर-कांग्रेसी सरकार थी। मुखर्जी ने अपनी संगठनात्मक क्षमता, वाकपटुता तथा भाषण देने के शानदार कौशल के जरिए राजनीति में तेजी से प्रगति की और जल्द ही कांग्रेस के सबसे लोकप्रिय नेताओं में से एक बन गए। राजनीति में मुखर्जी का कद दिवंगत केंद्रीय मंत्री प्रियरंजन दासमुंशी और कांग्रेस की राज्य इकाई के पूर्व अध्यक्ष सोमेन मित्रा के बराबर माना जाता था।

कांग्रेस के दिग्गज नेता प्रियरंजन दास मुंशी ने मुखर्जी की संगठनात्मक क्षमता को पहचाना और उसी तरह उन्हें निखरने का मौका दिया। दोनों नेताओं ने पश्चिम बंगाल में नक्सलियों और वामपंथियों के खिलाफ राजनीतिक तथा वैचारिक लड़ाई लड़ी और कांग्रेस की जड़ें मजबूत करने का काम किया।

तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भी सुब्रत मुखर्जी की वाकपटुता और संगठनात्मक क्षमता से प्रभावित होकर उनकी प्रशंसा की थी। मुखर्जी ने 1971 में चुनावी राजनीति में प्रवेश किया और 25 साल की उम्र में बालीगंज विधानसभा सीट से चुनाव जीतकर पश्चिम बंगाल में सबसे कम उम्र का विधायक बनने का गौरव हासिल किया।

मुखर्जी 1972 में बंगाल में कांग्रेस के भारी जनादेश के साथ सत्ता में लौटने के बाद मुख्यमंत्री सिद्धार्थ शंकर रे की कैबिनेट में सबसे कम उम्र के मंत्री बने। उन्हें सूचना और संस्कृति राज्य मंत्री बनाया गया था।

वर्ष 1977 में चुनाव हारने के बावजूद कांग्रेस पार्टी में मुखर्जी की प्रतिष्ठा कम नहीं हुई और वह तेजी से आगे बढ़ते रहे। मुखर्जी ने 1982 के विधानसभा चुनाव में जोरबागान सीट से जीत हासिल कर वापसी की। वह अपने जीवन के अंतिम समय तक बालीगंज सीट से विधायक रहे।

मुखर्जी ने राजनीति के अलावा अभिनय की दुनिया में भी अपना हाथ आज़माया और 1980 के दशक में मुन मुन सेन के साथ एक टेलीविजन धारावाहिक में काम किया।

वह 1999 में तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए थे। एक सक्षम प्रशासक के तौर पर उनके कौशल की 2000 से 2005 तक कोलकाता नगर निगम के महापौर के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान व्यापक रूप से प्रशंसा की गई थी।

हालांकि 2005 में उन्होंने तृणमूल कांग्रेस छोड़ दी और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के साथ गठबंधन किया। मुखर्जी के पार्टी छोड़ने के कारण 2005 के कोलकाता महानगर पालिका चुनाव में तृणमूल कांग्रेस को भारी नुकसान हुआ।

मुखर्जी के तत्कालीन मुख्यमंत्री ज्योति बसु के अलावा मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के कई अन्य नेताओं के साथ घनिष्ठ संबंध थे।

वह 2010 में कोलकाता महानगर पालिका चुनाव से पहले दोबारा तृणमूल कांग्रेस में वापस आ गए थे।

मुखर्जी ने 2004, 2009 और 2019 में तीन बार लोकसभा का चुनाव भी लड़ा, लेकिन वह एक बार भी जीत हासिल नहीं कर पाये थे।

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Web Title: Subrata Mukherjee was an efficient politician and an able administrator.

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