सुब्रमण्यम स्वामी ने नमो सरकार पर फिर उठाए सवाल, 'राम सेतु' को लेकर कही ये बात
By पल्लवी कुमारी | Published: February 10, 2020 11:04 AM2020-02-10T11:04:43+5:302020-02-10T11:04:43+5:30
साल 2019 में सुब्रमण्यम स्वामी ने सुप्रीम कोर्ट में राम सेतु को प्राचीन ऐतिहासिक स्मारक घोषित करने की याचिका पर जल्द सुनवाई की मांग की थी।
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सांसद और वरिष्ठ वकील सुब्रमण्यम स्वामी ने राम सेतु को प्राचीन ऐतिहासिक स्मारक घोषित करने को लेकर केंद्र की नमो सरकार पर फिर से सवाल उठाए हैं। सुब्रमण्यम स्वामी ने ट्वीट कर नमो सरकार से जवाब मांगा है कि सरकार बताए कि अभी तक राम सेतु' को प्राचीन ऐतिहासिक स्मारक क्यों नहीं घोषित किया गया। सुब्रमण्यम स्वामी ने आज (10 फरवरी) को ट्वीट करते हुए लिखा, क्या कोई PT समझाएगा कि 5 1/2 साल बाद भी नमो सरकार ने राम सेतु को प्राचीन धरोहर स्मारक घोषित क्यों नहीं किया है? जो कि प्राचीन स्मारक अधिनियम धारा 2 के अनुसार होने के योग्य है? बताइए क्या राम मंदिर के जैसे इस मामले को लेकर भी मुझे सुप्रीम कोर्ट में जाने को मजबूर होना पड़ेगा?
Will any PT explain why even after 5 1/2 years the Namo govt has not declared Rama Setu as a Ancient Heritage Monument, which it qualifies to be according to Ancient Monuments Act Section 2 ? As with Rama Temple do I have to force it through SC?
— Subramanian Swamy (@Swamy39) February 10, 2020
सुब्रमण्यम स्वामी ने इससे पहले देश की अर्थव्यवस्था को लेकर भी केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को सुझाव दिए थे। सुब्रमण्यम स्वामी ने यह तक कहा था कि पीएम मोदी को अर्थव्यवस्था की समझ नहीं है। सुब्रमण्यम स्वामी ने मांग की थी कि निर्मला सीतारमण की जगह उनको वित्त मंत्री बना देना चाहिए।
राम सेतु को प्राचीन ऐतिहासिक स्मारक घोषित करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाल चुके हैं सुब्रमण्यम स्वामी
साल 2019 में सुब्रमण्यम स्वामी ने सुप्रीम कोर्ट में राम सेतु को प्राचीन ऐतिहासिक स्मारक घोषित करने की याचिका पर जल्द सुनवाई की मांग की थी। उस वक्त सुप्रीम कोर्ट ने स्वामी को तीन महीने बाद अपील करने को कहा था। कोर्ट ने केंद्र सरकार से हलफनामा दायर कर अपना रुख स्पष्ट करने को भी कहा था।
धार्मिक मान्यताओं के अलावा बीजेपी का भी मानना है कि रामसेतु को भगवान श्रीराम ने बनवाया था। इसी वजह से साल 2007 में रामसेतु पर विवाद शुरू हुआ था, जब यूपीए सरकार ने प्रस्ताव दिया था कि सेतुसमुद्रम परियोजना के लिए रामसेतु के अलावा कोई विकल्प आर्थिक तौर पर लाभदायक नहीं है। हालांकि धार्मिक और पर्यावरण कार्यकर्ता इस परियोजना का विरोध कर रहे थे। इसके बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया था।