डीयू के भविष्य में खुलने वाले कॉलेज का नाम सावरकर के नाम पर रखने का छात्र संगठनों ने किया विरोध
By भाषा | Updated: November 1, 2021 22:02 IST2021-11-01T22:02:04+5:302021-11-01T22:02:04+5:30

डीयू के भविष्य में खुलने वाले कॉलेज का नाम सावरकर के नाम पर रखने का छात्र संगठनों ने किया विरोध
नयी दिल्ली, एक नवंबर नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआई) और स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) ने भविष्य में खुलने वाले कॉलेजों में से एक का नाम हिंदुत्व विचारक वीर सावरकर के नाम पर रखने के दिल्ली विश्वविद्यालय के एक फैसले का सोमवार को विरोध किया और कहा कि यह ‘‘इतिहास को तोड़ने मरोड़ने का एक प्रयास है।’’
कांग्रेस से जुड़े छात्र संगठन एनएसयूआई ने निर्णय वापस नहीं लेने पर ‘‘विश्वविद्यालय का कामकाज रोकने’’ की चेतावनी दी।
सूत्रों के मुताबिक, दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति ने खुलने वाले कॉलेजों और केंद्रों के नाम सावरकर और भाजपा नेता दिवंगत सुषमा स्वराज के नाम पर रखने का फैसला किया है।
माकपा की छात्र शाखा एसएफआई ने कहा, ‘‘दिल्ली विश्वविद्यालय ने हाल ही में एक कार्यकारी बैठक में भविष्य में खुलने वाले कॉलेजों का नाम सावरकर के नाम पर रखने पर चर्चा की। यह इतिहास को तोड़ने- मरोड़ने का एक प्रयास है।’’
उसने कहा, ‘‘भारत के स्वतंत्रता आंदोलन को नुकसान पहुंचाना’’ देश के लिए सावरकर का योगदान था।’’
उसने कहा, ‘‘एसएफआई, डीयू के कॉलेज का नाम सावरकर के नाम पर रखने के इस प्रस्ताव का कड़ा विरोध करता है और छात्र समुदाय के सामने अपनी विफलताओं और विश्वासघात को छिपाने के लिए आरएसएस-भाजपा के पाखंड और राष्ट्रवाद की उनकी झूठी बयानबाजी को उजागर करना जारी रखेगा।’’
एनएसयूआई की दिल्ली इकाई के अध्यक्ष कुणाल सहरावत ने कहा कि अगर फैसला वापस नहीं लिया गया तो छात्रसंघ चुप नहीं बैठेगा। उन्होंने बयान में कहा, ‘‘मैं दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन को खुली चेतावनी देता हूं कि अगर वे माफीवीर सावरकर के नाम पर कॉलेज खोलने का फैसला वापस नहीं लेते हैं तो एनएसयूआई चुप नहीं बैठेगा।’’
डीयू की अकादमिक परिषद ने गत अगस्त में हुई अपनी बैठक में फैसला किया था कि भविष्य में खुलने वाले कॉलेजों का नाम सावरकर, स्वराज, स्वामी विवेकानंद और सरदार वल्लभभाई पटेल के नाम पर रखा जा सकता है।
परिषद ने अटल बिहारी वाजपेयी, सावित्री बाई फुले, अरुण जेटली, चौधरी ब्रह्म प्रकाश और सी डी देशमुख के नामों का भी सुझाव दिया। इसने विश्वविद्यालय के कुलपति को नामों को अंतिम रूप देने के लिए अधिकृत किया।
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