एलजीबीटीआईक्यू समुदाय के सदस्यों के बलात लिंग परिवर्तन के विरूद्ध कड़ी कार्रवाई की जाए: न्यायालय

By भाषा | Published: December 14, 2021 03:22 PM2021-12-14T15:22:35+5:302021-12-14T15:22:35+5:30

Strict action should be taken against forced gender change by members of LGBTIQ community: SC | एलजीबीटीआईक्यू समुदाय के सदस्यों के बलात लिंग परिवर्तन के विरूद्ध कड़ी कार्रवाई की जाए: न्यायालय

एलजीबीटीआईक्यू समुदाय के सदस्यों के बलात लिंग परिवर्तन के विरूद्ध कड़ी कार्रवाई की जाए: न्यायालय

कोच्चि (केरल), 14 दिसंबर केरल उच्च न्यायालय ने कहा है कि लेस्बियन, गे, बाईसेक्सुअल, ट्रांसजेंडर, इंटरसेक्स और क्वीर समुदाय (एलजीबीटीआईक्यू) के लोगों के यौन झुकाव या लैंगिक पहचान और अभिव्यक्ति (भावभंगिमा) में किसी भी बलात परिवर्तन के विरूद्ध कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए । इसी के साथ, न्यायालय ने राज्य सरकार को ऐसी प्रक्रियाओं के लिए दिशानिर्देश बनाने का निर्देश दिया।

उच्च न्यायालय ने कहा कि यदि चिकित्सीय दृष्टि से लिंग-परिवर्तन उपचार संभव हो तो उसके लिए दिशानिर्देश जरूरी है तथा केरल सरकार इस पर गौर करे एवं जरूरी होने पर विषय का अध्ययन करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन करे।

न्यायमूर्ति पी वी कुन्हिकृष्णन ने कहा, ‘‘ अध्ययन रिपोर्ट के आधार पर प्रथम प्रतिवादी पांच महीने में दिशानिर्देश तैयार कर उसे अदालत में पेश करे। ’’ उच्च न्यायालय ने इस मामले में अब 18 मई 2022 को आगे सुनवाई करेगा। अदालत ने कहा कि अगली तारीख पर सरकार दिशानिर्देश उसके सामने पेश करे।

अदालत मलयाली एलजीबीटीआईक्यू समुदाय के क्वीराला नामक संगठन और लिंग-परिवर्तन से गुजरे एक व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई कर रही है। इस व्यक्ति ने उसका बलात लिंग -परिवर्तन किये जाने का आरोप लगाया है । याचिकाकर्ताओं ने अदालत से अनुरोध किया है कि वह एलजीबीटीआईक्यू समुदाय से जुड़े लोगों का किसी भी प्रकार का बलात लिंग परिवर्तन उपचार को ‘ अवैध , असंवैधानिक एवं मौलिक अधिकारों का उल्लंघन ’ घोषित करे।

राज्य सरकार ने दिशानिर्देश नहीं होने की मानी लेकिन कहा कि उसे कोई लिखित शिकायत नहीं मिली है जैसा कि याचिका में आरोप लगाया गया है। उसने अदालत से कहा कि यदि बलात लिंग-परिवर्तन किया जाता है तो वह अवैध है तथा इस संबंध में उपयुक्त कदम उठाये जाएंगे।

दोनों पक्षों कोसुनने के बाद न्यायमूर्ति कुन्हिकृष्णन ने कहा, ‘‘ यदि बलात लिंग परिवर्तन किया जाता है जैसा कि याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया है , तो कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए। यह ऐसा मामला है जिसपर प्रतिवादी नंबर एक को गौर करने की जरूरत है। मेरे अनुसार लिंग परिवर्तन, यदि चिकित्सा दृष्टि से संभव है , तो उस संबंध में एक दिशानिर्देश जरूरी है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Web Title: Strict action should be taken against forced gender change by members of LGBTIQ community: SC

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे