नई दिल्ली, 1 4 अगस्त: पटाखों पर प्रतिबंध लगाने की मांग वाली याचिका पर विचार करते हुए उच्चतम न्यायालय ने आज कहा कि पटाखा निर्माताओं की आजीविका के मौलिक अधिकार और देश में 1.3 अरब लोगों के स्वास्थ्य के अधिकार सहित सभी पहलुओं पर गौर किये जाने की जरूरत है ।
पटाखों पर देशव्यापी प्रतिबंध की मांग पर विचार करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि संविधान का अनुच्छेद 21 (जीवन का अधिकार) दोनों श्रेणियों के लोगों पर लागू होता है और संतुलन बनाए जाने की जरूरत है।
न्यायमूर्ति ए के सिकरी और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पीठ ने केंद्र से प्रदूषण रोकने के लिए उठाए जाने वाले कदमों और लोगों पर पटाखों के असर के बारे में विस्तृत हलफनामा दाखिल करने को कहा।
पीठ ने कहा, ‘‘इससे आर्थिक पहलू भी जुड़ा हुआ है। सरकारी हलफनामा कहता है कि तमिलनाडु में 1750 पटाखा निर्माण उद्योग है जिसमें सीधे या परोक्ष रूप से 5000 परिवारों को रोजगार मिला हुआ है। इसमें कहा गया है कि पटाखा उद्योग 6,000 करोड़ रूपये का है। हमें देखना होगा कि मौलिक अधिकार पर आर्थिक पहलू की क्या प्रासंगिकता हैं। पीठ मामले की अगली सुनवाई 21 अगस्त को करेगी।