जम्मू-कश्मीरः इस महीने के आखिरी तक गुलजार हो जाएगा लेह राजमार्ग
By सुरेश डुग्गर | Updated: March 26, 2019 05:56 IST2019-03-26T05:56:21+5:302019-03-26T05:56:21+5:30
श्रीनगर-लेह राजमार्ग पर इस माह के अंत तक वाहन दौड़ने लगेंगे। राजमार्ग पर यातायात बहाल होने से सर्दियों में शेष राज्य से कटे लेह व करगिल के लोगों को राहत मिलेगी। याद रहे लद्दाख में सर्दियों के छह महीनों के लिए स्टाक जुटाने में अगले पांच महीने अहम होंगे

जम्मू-कश्मीरः इस महीने के आखिरी तक गुलजार हो जाएगा लेह राजमार्ग
महीनों तक बर्फ से बंद रहने वाला लेह राजमार्ग इस माह के अंत में गुलजार होने जा रहा है। इतना जरूर है कि इस राजमार्ग के बंद होने पर जो लोग 6 महीनों तक पूरी दुनिया से कट जाते हैं उनकी हिम्मत काबिले सलाम है। हालांकि पिछले साल इसे जल्द खोल दिया गया था।
श्रीनगर-लेह राजमार्ग पर इस माह के अंत तक वाहन दौड़ने लगेंगे। राजमार्ग पर यातायात बहाल होने से सर्दियों में शेष राज्य से कटे लेह व करगिल के लोगों को राहत मिलेगी। याद रहे लद्दाख में सर्दियों के छह महीनों के लिए स्टाक जुटाने में अगले पांच महीने अहम होंगे। जरूरत का सामान जुटाने के लिए मई से सितंबर के बीच ट्रकों के करीब 18,300 फेरे लगेंगे। हालांकि राज्य सरकार की ओर से बीआरओ पर यह दबाव बनाया जा रहा है कि 6 मई को लद्दाख में मतदान से पूर्व ही इस राजमार्ग को खोल दिया जाए।
जानकारी के लिए इस राजमार्ग के छह महीनों तक बंद होने से लाखों लोगों का संपर्क शेष विश्व से कट जाता है और ऐसे में उनकी हिम्मत काबिले सलाम है। बात उन लोगों की हो रही है जो जान पर खेल कर लेह-श्रीनगर राजमार्ग को यातायात के लायक बनाते हैं। बात उन लोगों की हो रही है जो इस राजमार्ग के बंद हो जाने पर कम से कम 6 माह तक जिन्दगी बंद कमरों में इसलिए काटते हैं क्योंकि पूरे विश्व से उनका संपर्क कट जाता है।
श्रीनगर से लेह 434 किमी की दूरी पर है। पर सबसे अधिक मुसीबतों का सामना सोनमार्ग से द्रास तक के 63 किमी के हिस्से में होता है। पर सीमा सड़क संगठन के जवान इन मुसीबतों से नहीं घबराते। वे बस एक ही बात याद रखते हैं कि उन्हें अपना लक्ष्य पूरा करना है। तभी तो इस राजमार्ग पर बीआरओ के इस नारे को पढ़ जोश भरा जा सकता है जिसमें लिखा होता हैः‘पहाड़ कहते हैं मेरी ऊंचाई देखो, हम कहते हैं हमारी हिम्मत देखो।’ भयानक सर्दी, तापमान शून्य से कई डिग्री नीचे। खतरा सिरों पर ही मंडराता रहता है। पर बावजूद इसके बीआरओ के बीकन और प्रोजेक्ट हीमांक के अंतर्गत कार्य करने वाले जवान राजमार्ग को यातायात के योग्य बनाने की हिम्मत बटोर ही लेते हैं।