श्रीकृष्ण जन्मभूमिः मथुरा में सर्वे का आदेश, कोर्ट ने 20 जनवरी तक रिपोर्ट मांगी, जानें क्या है पूरा मामला
By राजेंद्र कुमार | Published: December 24, 2022 05:22 PM2022-12-24T17:22:19+5:302022-12-24T17:24:59+5:30
श्रीकृष्ण जन्मभूमिः वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर की तरह मस्जिद का सर्वे होगा. सिविल कोर्ट ने विवादित स्थल का सर्वे कर आगामी 20 जनवरी तक रिपोर्ट सौपने को कहा है.
लखनऊः उत्तर प्रदेश में श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद से जुड़ी याचिका पर सुनवाई करते हुए मथुरा की सिविल कोर्ट ने शनिवार को बड़ा आदेश दिया है. हाईकोर्ट के निर्देश पर यह सुनवाई हो रही है. सुनवाई के दौरान मथुरा की सीनियर डिवीजन की कोर्ट ने मथुरा की शाही ईदगाह के सर्वे का आदेश दिया है.
अब यहां भी वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर की तरह मस्जिद का सर्वे होगा. सिविल कोर्ट ने विवादित स्थल का सर्वे कर आगामी 20 जनवरी तक रिपोर्ट सौपने को कहा है. कोर्ट ने हिंदू सेना की याचिका पर यह आदेश दिया है. अब शाही ईदगाह का सर्वे 2 जनवरी से होगा. इसके साथ ही सिविल कोर्ट ने मामले से भी जुड़े सभी पक्षों को नोटिस भी जारी की है.
कोर्ट ने वादी विष्णु गुप्ता की अपील पर अमीन से भी रिपोर्ट मांगी है. हिंदू पक्ष का दावा है कि शाही ईदगाह में स्वास्तिक का चिह्न है और मंदिर होने के प्रतीक के साथ मस्जिद के नीचे भगवान का गर्भ गृह है. पक्षकार मनीष यादव और वकील महेंद्र प्रताप का भी यह कहना है कि शाही ईदगाह में हिंदू स्थापत्य कला के सबूत मौजूद हैं. ये वैज्ञानिक सर्वे के बाद सामने आ जाएंगे.
अर्जी मथुरा के जिला अदालत में एक साल पहले दाखिल की गई थी. हिंदू पक्ष की इस याचिका में कहा कहा गया था कि श्रीकृष्ण जन्मस्थान की 13.37 एकड़ जमीन पर औरंगजेब ने मंदिर तोड़कर ईदगाह मस्जिद बनवाई थी. भगवान श्रीकृष्ण के जन्म से लेकर मंदिर बनने तक का पूरा इतिहास याचिका के जरिए अदालत के समक्ष पेश किया है. याचिका में 1968 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ बनाम शाही ईदगाह के बीच हुए समझौते को भी अवैध बताते इसे खत्म किए जाने की मांग की.
श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद:
मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि को लेकर विवाद काफी पुराना है. यह धार्मिक विवाद कुल 13.37 एकड़ जमीन पर मालिकाना हक से जुड़ा है. मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मस्थान के पास 10.9 एकड़ जमीन का मालिकाना हक है, जबकि ढाई एकड़ जमीन का मालिकाना हक शाही ईदगाह मस्जिद के पास है.
हिंदू पक्ष शाही ईदगाह मस्जिद को अवैध तरीके से कब्जा करके बनाया गया ढांचा बताता है और इस जमीन पर भी दावा किया है. हिंदू पक्ष की ओर से शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने और ये जमीन भी श्रीकृष्ण जन्मस्थान को देने की मांग की गई है. श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद हाईकोर्ट भी पहुंच गया था. कुछ याचिकाकर्ता इलाहाबाद हाईकोर्ट में श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद को लेकर पहुंच गए थे.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए निचली अदालत को चार महीन के अंदर इस मामले में सुनवाई पूरी कर मामले को निस्तारित करने का आदेश दिया था. इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के बाद मामले की सुनवाई में तेजी आई और शनिवार को कोर्ट ने शाही ईदगाह के सर्वे का आदेश दिया.
श्रीकृष्ण जन्मभूमि को लेकर विवाद भी बेहद संवेदनशील मसला है. इसे लेकर वर्षों से देश में राजनीति हो रही है. तमाम हिंदू संगठन और राजनीतिक दल अयोध्या की तर्ज पर वाराणसी में भव्य विश्वनाथ मंदिर और मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि परिसर भव्य मंदिर निर्माण की मांग कर रहे हैं.
मुस्लिम समाज इस तरह की मांग को अनुचित मानता है. उनका कहना है कि वाराणसी में विश्वनाथ मंदिर से सटी उनकी ज्ञानवापी मस्जिद है और मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि से सटी हुई उनकी शाही ईदगाह है. इस विवाद के चलते ही यह प्रकरण अदालत पहुंचा है.
श्रीकृष्ण जन्मभूमि इतिहास के आईने में :
1- शाही ईदगाह मस्जिद मथुरा शहर में श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर परिसर से सटी हुई है.
2- इस स्थल को हिंदू धर्म में भगवान कृष्ण की जन्मस्थली माना जाता है.
3- हिंदू पक्ष का कहना है कि औरंगजेब ने श्रीकृष्ण जन्मस्थली पर बने प्राचीन केशवनाथ मंदिर को नष्ट कर 1669-70 में शाही ईदगाह मस्जिद का निर्माण कराया था.
4- इस विवाद के अदालत में पहुँचने पर वर्ष 1935 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 13.37 एकड़ की विवादित भूमि बनारस के राजा कृष्ण दास को अलॉट कर दी थी.
5- भारत के आजाद होने पर वर्ष 1951 में श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट ने ये भूमि अधिग्रहीत कर ली.
6- जिसे लेकर विवाद हुआ तो वर्ष 1968 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ और शाही ईदगाह कमिटी के बीच हुए समझौते में इस 13.37 एकड़ जमीन का स्वामित्व ट्रस्ट को मिला और ईदगाह मस्जिद का मैनेजमेंट ईदगाह कमेटी को दे दिया गया.
7-इसके बाद से यह विवाद चल रहा है, हिंदू पक्ष ईदगाह मस्जिद हटाकर जमीन हिंदू पक्ष को देने की मांग कर रहा है.