इसी साल अप्रैल में बंगाल की खाड़ी में आए चक्रवात फोनी के बाद अब अरब सागर में चक्रवात आनेवाला है। इस चक्रवात का नाम 'वायु' रखा गया है। यह नाम भारत ने दिया है। दरअसल, अरब सागर में पैदा गर्म समुद्री हवाओं की वजह से कम दबाव वाले क्षात्रे ने सोमवार को डिप्रेशन का रूप ले लिया और मंगलवार सुबह तक चक्रवात में बदल गया।
मौसम विभाग के अनुमान के मुताबिक चक्रवाती तूफान गुजरात की तरफ बढ़ रहा है। गुरुवार तक 'वायु' तूफान अपने चरम पर होगा। इसके 13 जून या 14 जून की सुबह तक गुजरात पहुंचने की संभावना है। चक्रवात के कारण लगभग 135 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से हवा चलने की भी संभावना है। माना जा रहा है कि तूफान मानसून की रफ्तार पर भी प्रभाव डाल सकता है। इसकी वजह से केरल के कुछ हिस्सों में हल्की से मध्यम बारिश देखने को मिल सकती है, जबकि कर्नाटक के तटीय इलाकों में भारी बारिश हो सकती है।
'फोनी' से कमजोर है 'वायु' चक्रवात
फोनी के मुकाबले वायु बेहद कमजोर है। विभाग पूर्वानुमान के अनुसार इसके सबसे मजबूत होने पर 110-120 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से हवाएं चलने की संभावना है। जबकि फोनी जुड़ी हवाओं की गति लगभग 220 किमी प्रति घंटा थी।
इसके अलावा वायु केवल 'भीषण चक्रवाती तूफान' के रूप में वर्गीकृत किया गया। जबकि फोनी को 'बेहद भयंकर चक्रवाती तूफान' या 'सुपर चक्रवात' के रूप में वर्गीकृत गया था। लेकिन मानसूनी हवाओं से सभी नमी को अपनी ओर खींचकर चक्रवात के सामान्य प्रगति में हस्तक्षेप करने की उम्मीद जाताई जा रही है।
मानसून पर भी 'वायु' का असर
मानसूनी हवाओं से सभी नमी को अपनी ओर खींचकर चक्रवात के मानसून की सामान्य प्रगति में हस्तक्षेप करने की उम्मीद जाताई जा रही है। चक्रवात की जगह पर निम्न दाब का क्षेत्र बनने लग जाता है। पास मौजूद ठंडी हवा निम्न दाब वाले क्षेत्र को भरने के लिए इस तरफ बढ़ने लगती है।
वहीं अरब सागर में निम्न दबाव वाला क्षेत्र बना हुआ है। पिछले 120 वर्षों में मौजूद रिकॉर्ड के मुताबिक सभी चक्रवाती तूफानों का लगभग 14 प्रतिशत और भारत में 23 प्रतिशत गंभीर चक्रवात अरब सागर में आए हैं।
लगभग एक सप्ताह की अनुमानित देरी के बाद दक्षिण पश्चिमी मानसून ने केरल तट पर शनिवार को दस्तक दे दी। दक्षिण पश्चिम मानसून ही उत्तर और मध्य भारत सहित देश के अधिकांश इलाकों में लगभग चार महीने तक चलने वाली बारिश की ऋतु का वाहक माना जाता है। जिला कलेक्टर ने उन क्षेत्रों में लोगों को अलर्ट रहने को कहा है जहां पिछले साल मानसून के दौरान भूस्खलन की घटनाएं हुई थी।