दक्षिण कश्मीर है अब आतंकियों का गढ़, इस साल अब तक यहां 55 आतंकियों को किया जा चुका है ढेर
By सुरेश एस डुग्गर | Published: May 11, 2022 04:04 PM2022-05-11T16:04:24+5:302022-05-11T16:06:55+5:30
इस साल अभी तक मारे गए 80 के करीब आतंकियों में से 55 को दक्षिण कश्मीर के चार जिलों में ही ढेर किया गया है। इसके पीछे का कारण, सुरक्षाबलों द्वारा अमरनाथ यात्रा की सकुशलता का टारगेट लेकर छेड़ा गया ‘तलाश करो और मार डालो’ अभियान है।
जम्मू: अमरनाथ यात्रा आरंभ करवाए जाने की घोषणा के बाद से ही दक्षिण कश्मीर आतंकी मुठभेड़ों का हॉट स्पॉट बन चुका है। इस साल अभी तक मारे गए 80 के करीब आतंकियों में से 55 को दक्षिण कश्मीर के चार जिलों में ही ढेर किया गया है। इसके पीछे का कारण, सुरक्षाबलों द्वारा अमरनाथ यात्रा की सकुशलता का टारगेट लेकर छेड़ा गया ‘तलाश करो और मार डालो’ अभियान है।
कश्मीर रेंज के आईजी विजय कुमार भी कल मारे गए दो आतंकियों को लेकर यह कहा कि अमरनाथ यात्रा पर खतरा टाल दिया गया है। उनके बकौल, आंतकियों का टारगेट अब अमरनाथ यात्रा है तो सुरक्षाबलों का भी टारगेट अब वे आतंकी हैं जो इस यात्रा को निशाना बनाना चाहते हैं। हालांकि सूत्र कहते हैं कि अमरनाथ यात्रा पर खतरा अभी पूरी तरह से इसलिए नहीं टला है क्योंकि बहुत से आतंकी सीमा पार से इन्हीं जिलों में आ चुके हैं।
दक्षिण कश्मीर से होकर अमरनाथ यात्रा में श्रद्धालु शिरकत करते हैं। फिलहाल तीन महीनों से अनंतनाग, पुलवामा, कुलगाम और शोपियां सुरक्षाबलों के ‘तलाश करो और मार डालो’ अभियान से थर्रा रहे हैं। इस अवधि में करीब 60 गिरफ्तार किए गए। ओवर ग्राउंड समर्थकों में से 42 को इन्हीं चार जिलों में पकड़ा गया और भारी मात्रा में हथियार और गोला बारूद बरामद किया गया।
अगर सुरक्षाधिकारियों की मानें तो दक्षिण कश्मीर समेत अन्य इलाकों में तेज होते आतंकी हमले आतंकियों की उस हताशा का परिणाम है जो सेना के ‘तलाश करो और मार डालो’ अभियान से उनमें फैली हुई है। खबरों के मुताबिक, अमरनाथ गुफा के रास्तों पर सेना के जवानों की तैनाती का कार्य विपरीत मौसम के बावजूद इस बार जल्दी ही आरंभ हो जाएगा।
सेना तैनाती से पूर्व क्षेत्र को आतंकियों से मुक्त कर लेना चाहती है। वैसे अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा की खातिर सेना की तैनाती आधिकारिक तौर पर नहीं होगी। सेनाधिकारी कहते हैं कि उनके पास यात्रा के बाहरी इलाकों की सुरक्षा का भार हमेशा की तरह रहेगा। वहीं सूत्रों के अनुसार, अन्य सुरक्षाबलों को इस बार भी खतरे को भांपते हुए सेना की कमान के तहत ही अमरनाथ यात्रा में कार्य करना होगा।