नई दिल्ली: केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) की 10वीं कक्षा के अंग्रेजी के प्रश्नपत्र के अंशों में ''लैंगिक रूढ़िवादिता'' को कथित तौर पर बढ़ावा दिए जाने और ''प्रतिगामी धारणाओं'' का समर्थन करने संबंधी आरोपों के बाद विवाद खड़ा हो गया है। इसके चलते बोर्ड ने रविवार को इस मामले को विषय के विशेषज्ञों के पास भेज दिया।
शनिवार को आयोजित 10वीं की परीक्षा में प्रश्नपत्र में ''महिलाओं की मुक्ति ने बच्चों पर माता-पिता के अधिकार को समाप्त कर दिया'' और ''अपने पति के तौर-तरीके को स्वीकार करके ही एक मां अपने से छोटों से सम्मान पा सकती है'' जैसे वाक्यों के उपयोग को लेकर आपत्ति जतायी गई है।
प्रश्नपत्र के ऐसे अंश सोशल मीडिया पर वायरल हो गए। इन्हें लेकर ट्विटर पर लोग सीबीएसई पर निशाना साध रहे हैं और उपयोगकर्ता हैशटैग ''सीबीएसई इनसल्टस वुमैन'' (सीबीएसई ने महिलाओं का अपमान किया) का समर्थन करने का आह्वान करते दिखाई दिये।
परीक्षा के पेपर को शेयर करते हुए अनुरीत कौर नाम का हैंडल ट्वीट करता है कि पुरुषों साफ-साफ कह दो ना कि अधिकारों वाली महिलाओं से आपको डर लगता है।
खुश्बू श्री लिखती हैं कि सीबीएसई के जिस शख्स ने इस पेपर को तैयार किया है उसे साफ तौर पर मदद की जरूरत है। कोई भी लिंग घरेलू शोषण का शिकार हो सकता है।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने लोकसभा में इस मुद्दे को उठाया है. उन्होंने इसे साफ तौर पर स्त्री विरोधी बताते हुए माफी की मांग की है.
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने भी प्रश्नपत्र पर आपत्ति जताते हुए ट्विटर का सहारा लिया। उन्होंने कहा, ''अविश्वसनीय। क्या हम वास्तव में बच्चों को ऐसा निरर्थक ज्ञान दे रहे हैं? स्पष्ट रूप से भाजपा सरकार महिलाओं संबंधी इन प्रतिगामी विचारों का समर्थन करती है, अन्यथा ये सीबीएसई पाठ्यक्रम में क्यों शामिल होंगे?''
राहुल गांधी ने भाजपा-आरएसएस की विचारधारा पर हमला करते हुए कहा कि सीबीएसई के अब तक के अधिकांश पेपर बहुत कठिन थे और अंग्रेजी के पेपर में कॉम्प्रिहेंशन पैसेज बहुत ही घृणित थे। युवाओं के मनोबल और भविष्य को कुचलने की यह आरएसएस-भाजपा की साजिश का प्रचलित तरीका है। बच्चों, अपना सर्वश्रेष्ठ दो। मेहनत रंग लाती है। कट्टरता नहीं।