सबरीमाला मंदिरः खून से सने पैड वाले बयान पर घिरीं केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी, देनी पड़ गई सफाई
By रामदीप मिश्रा | Published: October 23, 2018 08:03 PM2018-10-23T20:03:58+5:302018-10-23T20:03:58+5:30
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर रजस्वला आयु वर्ग की महिलाओं के प्रवेश पर लगे प्रतिबंध हटाये जाने के बाद पहली बार खोले गये सबरीमला मंदिर के कपाट छह दिन बाद सोमवार रात में बंद कर दिए गए।
सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर पूछे गए सवाल का जवाब देकर केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी फंस गईं। उनके बयान को लकेर सोशल मीडिया पर लोगों ने जमकर भड़ास निकाली। मामला बढ़ता देख उन्हें सफाई दी और अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से लगातार पांच ट्वीट किए। दरअसल, उन्होंने महिलाओं से सवाल करते हुए पूछा था कि क्या आप माहवारी के खून से सने सैनिटरी नैपकिन को लेकर अपने दोस्त के घर जाएंगी, तो आप उसे भगवान के घर में क्यों ले जाएंगे।
इस बयान के बाद उन्हें सोशल मीडिया पर लोगों ने घेर लिया, जिसके जवाब में उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा, 'चूंकि कई लोग मेरी टिप्पणियों के बारे में बात कर रहे हैं, मुझे मेरी टिप्पणी पर टिप्पणी करने दें। एक हिंदू होने के नाते और एक पारसी से शादी करने की वजह मुझे अग्नि मंदिर में प्रवेश करने की इजाजत नहीं है।'
Since many people are talking about my comments — let me comment on my comment.
— Smriti Z Irani (@smritiirani) October 23, 2018
As a practising Hindu married to a practising Zoroastrian I am not allowed to enter a fire temple to pray.
उन्होंने आगे ट्वीट करते हुए कहा, 'मैं पारसी समुदाय/पुजारियों का सम्मान करती हूं और दो पारसी बच्चों की मां होने नाते वहां पूजा करने के अधिकार के लिए किसी कोर्ट के दरवाजे पर नहीं गई। वहीं, मासिकधर्म वाली पारसी या गैरपारसी महिलाएं भी किसी अग्नि मंदिर में नहीं जाती है। ये दो तथ्यात्मक बयान हैं।
I respect that stand by the Zoroastrian community / priests and do not approach any court for a right to pray as a mother of 2 Zoroastrian children. Similarly Parsi or non Parsi menstruating women irrespective of age DO NOT go to a Fire Temple.
— Smriti Z Irani (@smritiirani) October 23, 2018
आगे स्मृति ईरानी ने लिखा, 'जहां तक माहवारी के खून से सने सैनिटरी नैपकिन को अपने दोस्त के घर ले जाने वाले बयान का सवाल है, तो मुझे अब तक कोई ऐसा व्यक्ति नहीं मिला है जो ऐसा करता हो।'
As far as those who jump the gun regarding women visiting friend’s place with a sanitary napkin dipped in menstrual blood — I am yet to find a person who ‘takes’ a blood soaked napkin to ‘offer’ to any one let alone a friend.
— Smriti Z Irani (@smritiirani) October 23, 2018
उन्होंने कहा, 'लेकिन यह मेरे लिए चौकाने वाला नहीं है बल्कि इस पर हंसी आती है कि एक महिला के नाते मुझे अपना दृष्टिकोण रखने की अनुमति नहीं है। जब तक मैं 'उदारवादी' दृष्टिकोण के अनुरूप हूं, मैं स्वीकार्य हूं। वह कितना उदार है ??
But what fascinates me though does not surprise me is that as a woman I am not free to have my own point of view. As long as I conform to the ‘liberal’ point of view I’m acceptable. How Liberal is that ??
— Smriti Z Irani (@smritiirani) October 23, 2018
आपको बता दें, एक कार्यक्रम में उनसे सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर उपजे विवाद पर सवाल पूछा गया था, जिस पर उन्होंने कहाल था, 'मुझे पूजा करने का अधिकार है, लेकिन अपवित्र करने का नहीं। मैं एससी फैसले पर बात करने वाली कोई नहीं हूं क्योंकि मैं मौजूदा केंद्रीय मंत्री हूं।' इसके बाद उन्होंने महिलाओं से सवाल करते हुए कहा, 'क्या आप माहवारी के खून से सने सैनिटरी नैपकिन को लेकर अपने दोस्त के घर जाएंगी? तो आप उसे भगवान के घर में क्यों ले जाएंगे।'
उल्लेखनीय है, सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर रजस्वला आयु वर्ग की महिलाओं के प्रवेश पर लगे प्रतिबंध हटाये जाने के बाद पहली बार खोले गये सबरीमला मंदिर के कपाट छह दिन बाद सोमवार रात में बंद कर दिए गए। हालांकि मंदिर के गर्भगृह तक रजस्वला महिलाओं के पहुंचने के आदेश का पालन नहीं कराया जा सका। 10 से 50 साल की आयु वर्ग में कार्यकर्ताओं और पत्रकारों सहित करीब एक दर्जन महिलाओं ने इतिहास रचने का बहादुरीपूर्ण प्रयास किया, लेकिन भगवान अयप्पा के श्रद्धालुओं के विरोध के चलते उन्हें वापस लौटना पड़ा।
सबरीमला मंदिर में 'दर्शन' के आखिरी दिन, सोमवार (22 अक्टूबर) को 'रजस्वला' आयुवर्ग की एक और महिला ने मंदिर में प्रवेश का प्रयास किया लेकिन प्रदर्शनकारियों के विरोध के चलते उन्हें वापस लौटना पड़ा।