नाले की गैस से चाय बनाने वाले श्याम राव को PMO ने कॉल कर मदद का दिया आश्वासन, पीएम पहले ही कर चुके हैं चर्चा
By ऐश्वर्य अवस्थी | Published: August 19, 2018 04:38 AM2018-08-19T04:38:39+5:302018-08-19T04:38:39+5:30
10 अगस्त 2017 को बायोफ्यूल डे के मौके पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने एक संबोधन नाले की गैस से चाय बनाने वाले इसी शख्स का किस्सा सुनाया था।
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में रहने वाले श्याम राव सिर्के एक बार फिर से सुर्खियों में हैं। हर किसी को याद है कि 10 अगस्त 2017 को बायोफ्यूल डे के मौके पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने एक संबोधन नाले की गैस से चाय बनाने वाले इसी शख्स का किस्सा सुनाया था। हांलाकि इसके बाद पीएम की जमकर आलोचना की गई थी। यहां तक कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी कर्नाटक में एक रैली के दौरान मोदी पर कटाक्ष किया था।
खबर के अनुसार श्याम राव ने ऐसा यंत्र तैयार किया था जिसमें नाली में बनने वाली मीथेन गैस का इस्तेमाल बायोफ्यूल के रूप में किया जाता था। इस उपकरण को उन्होंने साल 2016 में किया था, लेकिन इसके बाद नगर निगम के अतिक्रमण रोधी दस्ते ने इसे तोड़ दिया। लेकिन अब उनरे लिए एक बार फिर से उम्मीद की किरण नजर आई है। दैनिक जागरण की खबर के अनुसार एक लंबे समय के बाद श्याम राव को पीएमओ से कॉल गया है और उन्हें इस इनोवेशन को दोबारा शुरू करने के लिए हर संभव मदद का आश्वासन दिया गया है।
खबर के अनुसार उन्होंने खुद बताया है कि पीएमओ से उन्हें कॉल आई और उनकी करीब 12 मिनट इस बारे में चर्चा हुई। इस दौरान पीएमओ की ओर से उनके अलगावा उपकरण की पूरी जानकारी ली गई। साथ इससे पहले साइंस सेंटर ने भी उपकरण के निर्मांण के लिए श्याम राव को 40 हजार रुपयों की सहायता दी थी।
इतना ही नहीं खबर की मानें तो पीएमओ से गए फोन के अलावा उनसे कानपुर के भाजपा पदाधिकारी अरुण गौर ने भी संपर्क किया है। उन्होंने श्याम राव के सामने प्रस्ताव रखा है कि वे कानपुर आएं और यहां के सबसे बड़े सीसामऊ नाले में अपना उपकरण स्थापित करें। वह अब पीएमओ से आश्वासन मिलने के बाद वे अपने उपकरण को दोबारा इन्स्टॉल करना चाहते हैं।
श्याम राव ने ऐसे उपकरण को बनाया है को सामान्य सी थ्योरी पर काम करता है और पानी के बुलबुले इकट्ठा करने के लिए मिनी 'कंडक्टर" बनाया गया है। वहीं, इनोवेशन को प्रोत्साहित करने के पीछे प्रधानमंत्री मोदी की मंशा यही थी कि इस तरह देश में बायोफ्यूल के उपयोग को बढ़ावा मिले। देशभर में गंदे नालों में व्यापक पैमाने पर मिथेन गैस तैयार होती है।